जशपुर विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी बदलने की मांग की चिंगारी ने आग का रूप लिया

भाजपा के जशपुर जिले की तीनों विधानसभा सीट जीतने के अभियान को संगठन की लापरवाही से लग सकता है झटका

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, कुनकुरी/जशपुर

कुनकुरी: आसन्न विधानसभा चुनाव में भाजपा संगठन के लम्बे समय से निष्क्रीय रहने का प्रतिफल सामने आने लगा है। निरंतर बढ़ रहे असंतोष के बीच निष्ठावान कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का आरोप लगाया जा रहा है और इसी के परिणाम स्वरूप पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी को बदलने की मांग को लेकर जशपुर अंचल से उठी आवाज राजधानी रायपुर के प्रदेश कार्यालय तक पहूंच गई है। इस उठी चिंगारी को समय रहते नही बुझाया गया तो यह विकराल रूप भी ले सकती है और कार्यकर्ताओं का आरोप है कि संगठन में परिक्रमा से काबिज़ पदाधिकारियों के कारण पार्टी को चुनाव में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। एक ओर भाजपा द्वारा चुनाव अभियान चलाने पार्टी चुनाव कार्यालयों का किया जा रहा है उद्घाटन दुसरी ओर पार्टी से विवादित तरीके से निकाले जा रहे है पदाधिकारी।

जशपुर विधानसभा से पार्टी की अधिकृत प्रत्याशी रायमुनी भगत को बनाये जाने के बाद से विरोध का प्रदर्शन दिनोदिन उग्र होता जा रहा है और इसके राजधानी में पार्टी प्रादेशिक मुख्यालय तक पहूंच जाने से जशपुर जिले में भी पार्टी कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति निर्मित होती जा रही है। इस विवाद के कारण जिलाध्यक्ष जशपुर सुनील गुप्ता द्वारा भाजपा सोनक्यारी मंडल के अध्यक्ष मनोज भगत एवं भाजयूमो मण्डल मनोरा के अध्यक्ष विकास प्रधान को पार्टी से निष्कासित करने की ख़बर वायरल हो रही है।

इस संबंध में जिलाध्यक्ष सुनील गुप्ता से सम्पर्क किये जाने पर उनके किसी सहयोगी द्वारा पार्टी कार्यक्रम में व्यस्त होने के कारण बात करने में असमर्थता व्यक्त की गई और इस संबंध में जानकारी नही दी गई। भाजयूमो जिलाध्यक्ष जशपुर शौर्य प्रताप सिंह जूदेव से भी इस प्रकरण में जानकारी लेने का प्रयास किये जाने पर उन्होने बताया कि उन्हे भी ख़बरों के माध्यम से ही इस संबंध में जानकारी मिली है। आश्चर्यजनक है कि भाजयुमो मण्डल अध्यक्ष का निष्कासन जिलाध्यक्ष की जानकारी के बगैर कर दिया गया है। इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार निष्कासन से पूर्व संबंधितों को किसी प्रकार का कारण बताओ नोटिस दिये जाने की जानकारी नही मिली है।

जशपुर जिले में भाजपा संगठन के अंदर जारी अंतर्कलह एवं खेमेबाजी को लेकर एक ओर जहां प्रतिद्वंदी राजनैतिक दल कांग्रेस खुशी मना रहा है वही भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता असमंजस की स्थिति में है कि उनकी मेहनत बड़े नेताओं की महत्वकांक्षाओं की भेंट न चढ़ जाये। समय रहते भाजपा संगठन स्थिति पर नियंत्रण नही करता है तो इस चुनाव में उसे संगठन की अक्षमता और निष्क्रीयता का परिणाम भुगतना पड़ सकता है।

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