समदर्शी न्यूज़, रायपुर/बगिया : मुख्यमंत्री के गृहग्राम बगिया में आज रामनवमी की धूम रही। आसपास के पचास से अधिक गांव के पांच हजार लोगों ने मुख्यमंत्री के साथ पूजा में भाग लिया। विष्णु देव साय ने अपनी अर्धांगिनी कौशल्या साय के साथ मां दुर्गा की उपासना की और प्रसाद का भोग लगाया।

गौरतलब है कि पिछले तीन पीढ़ियों से मुख्यमंत्री का परिवार नवरात्रि का पर्व बड़े उल्लास से मनाता है। सनातन धर्म के प्रति बेहद आस्थावान पूरा परिवार नौ दिन तक पूजा-अर्चना में शामिल होता है। कलश यात्रा निकाली जाती है और दसवें दिन भंडारे का आयोजन होता है, जिसमें पूरा साय परिवार शामिल रहता है। आज भी पूरा परिवार यज्ञ आहूति में शामिल हुआ। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ की उन्नति और खुशहाली की कामना की है।

जशपुर जिले के कांसाबेल ब्लाक के बगिया स्थित सीएम निवास में आयोजित चार दिवसीय भव्य रामनवमी महायज्ञ में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय,जशपुर पहुंचे। यहां,उन्होनें धर्मपत्नी कौशल्या साय और स्वजनों के साथ मातारानी और अपने गुरू धनपति पंडा का आर्शीवाद ग्रहण किया। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री साय,शासकीय हेलीकाप्टर से बगिया पहुंचे थे। यहां वे कुनकुरी और केराडीह में आयोजित रामनवमी पूजा समारोह में शामिल होने के साथ ही,रात्रि विश्राम कर,गुरूवार को बिलासपुर के लिए रवाना होगें। इससे पहले,सीएम निवास में मुख्यमंत्री की पत्नी कौशल्या साय ने विधि विधानपूर्वक नवकन्या पूजन किया और उन्हें भोजन करा कर,आर्शीवाद लिया। उल्लेखनिय है कि सत्य सनातन धर्म देवी संत समाज ने बगिया के सीएम निवास में चार दिवसीय भव्य रामनवमी महायज्ञ का आयोजन किया था। इसका शुभारंभ 14 अप्रैल को कलश यात्रा से हुआ था। इस कलश यात्रा में मुख्यमंत्री की पत्नी कौशल्या साय भी शामिल हुई थी। इस आयोजन से बगिया पूरी तरह से भक्ति में डुबा हुआ था। 17 अप्रैल को आयोजन का अंतिम दिन होने और माता रानी को विदाई देने के लिए जशपुर जिले के साथ,पड़ोसी राज्य ओडिशा और झारखंड से भारी संख्या में श्रद्वालु यहां जुटे थे। श्रद्वालुओं के सैलाब के कारण,सीएम निवास में पैर धरने की भी जगह नहीं थी। मुख्यमंत्री साय ने स्वजनों के साथ हवन पूजन में शामिल हुए और पूर्णाहुति देकर,रामनवमी महायज्ञ का समापन किया। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सहस्त्र स्नान और आर्शीवाद के बाद श्रद्वालुओं ने मांदर और झांझ की थाप के साथ भक्ति संगीत में झूमते हुए,माता रानी की प्रतिमा को मैनी नदी के जल में विसर्जित किया।

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