सरगुजा के बलरामपुर से नक्सलों को खदेड़ने वाली CRPF की 62वीं बटालियन ने अपना 44 वां स्थापना दिवस मनाया

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, अम्बिकापुर

अम्बिकापुर स्थित 62वीं बटालियन, CRPF के कार्मिकों ने श्री प्रमोद कुमार सिंह कमाण्डेन्ट के नेतृत्व में अपनी ऐतिहासिक बटालियन का 44 वॉ स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर बटालियन मुख्यालय अम्बिकापुर तथा भिन्न-भिन्न स्थानों पर तैनात बटालियन की कम्पनियों के तैनात कार्मिकों के लिए कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

कार्यक्रमों की शुरुआत करते हुए श्री प्रमोद कुमार सिंह कमाण्डेन्ट द्वारा देश के लिए कर्तव्य वेदी पर न्योछावर हुए 62वीं बटालियन के 84 शहीद कार्मिकों को श्रद्धांजलि दी गई। श्री प्रमोद कुमार सिंह द्वारा यूनिट के क्वार्टर गार्ड पर सलामी ली गई। इसके पश्चात् कमाण्डेन्ट महोदय ने बटालियन के सभी साहसी जवानों को सम्बोधित करते हुए बताया कि, आज ही के दिन 13 अगस्त 1979 को 62वीं वाहिनी की स्थापना भुवनेश्वर ग्रुप केन्द्र में तत्कालीन आंतरिक सुरक्षा विरोधी परिस्थितियों से निपटने हेतु हुई थी। आज इस बटालियन ने मातृभूमि की सेवा व रक्षा में 44 वर्ष पूर्ण कर लिये हैं।

कमाण्डेन्ट महोदय ने आगे बताया की 2009 में यह बटालियन घनघोर रूप से नक्सलवाद की आग में जलते हुए छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर संभाग के सुकमा जिले में तैनात की गई। इसी कम में अपने कर्त्तव्यों को दृढ़ता से निभाने के दौरान 62वीं बटालियन ने 06 अप्रैल 2010 को तत्कालीन सुकमा जिले के ताड़मेटला / चिंतलनार गाँव के पास 700 से अधिक नक्सलियों का सामना बहादुरी से करते हुए और अपने प्राणों की परवाह न करते हुए सर्वोत्तम बलिदान देकर मातृभूमि का कर्ज अदा किया। कमाण्डेन्ट महोदय ने बताया की विगत एक दशक से 62वीं बटालियन, सरगुजा संभाग के बलरामपुर जिले में तैनात रहकर झारखण्ड सीमा से सटे बूढ़ा पहाड़ के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों जैसे कुसमी, चान्दो, रामानुजगंज, सामरी, सबाग, बन्दरचुआ, चूनचूना, जलजली, चरहो, भुताई, पुन्दाग आदि क्षेत्रों में जबरदस्त नक्सल विरोधी ऑपरेशन चलाती रहती है।

इसी कम में विगत वर्ष 2022 के मार्च माह में भूताही मोड़ तथा सितम्बर 2022 में पुन्दाग गाँवों में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के व छत्तीसगढ़ पुलिस के संयुक्त टास्क फोर्स हेतु कैम्पों की स्थापना की। इसी बजह से दबाव में आकर तथा लगातार ऑपरेशन लान्च होते रहने से पुन्दाग क्षेत्र के नक्सल ग्रुपों की कमर टूट गई है। यही कारण है कि पिछले 18 माह में कई नक्सल आत्मसमर्पण कर चुके हैं।

कमाण्डेन्ट महोदय ने 62वीं बटालियन के सबाग से पुन्दाग तक लगे कैम्पों में रह रहे जवानों को विशेष रूप से बधाई दी तथा कहा कि आपलोगों के जोश व कर्तव्य के प्रति जज्बे के कारण आज आजादी के 77 वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ है कि बन्दरचुआ से भुताई, पुन्दाग तक के गाँव वालों को लोकतांत्रिक व्यवस्था दिखाई देने लगी। 62वीं बटालियन के सुरक्षा कवच की ओट में सुरक्षित रहते हुए ग्रामीणों ने हाट-बाजार लगाना बेधड़क शुरू कर दिया है। सड़क तथा बिजली के खंभे भी स्थानीय प्रशासन के सद्प्रयासेद्वारा नक्सल प्रभावित गाँवों तक पहुंचने लगे है। चाहे राशन वितरण हो या 62 बटालियन का सिविक एक्शन कार्यक्रम द्वारा खेल-कूद, पढ़ाई-लिखाई, घरेलू प्रयोग का सामान बाँटने का कार्यक्रम हो, चाहे 62वीं बटालियन द्वारा लगाये गये चिकित्सा जाँच शिविर हों। सभी में ग्रामीण भारी संख्या में बेधड़क पहुँचते हैं तथा लाभ उठाते है ।

अपने वाले विधानसभा तथा लोकसभा चुनावों को सफलता पूर्वक जनता के बीच करवाकर 62वीं बटालियन नये आयाम स्थापित करेगी ऐसा कमाण्डेन्ट महोदय ने विश्वास जताया। एक बार पुनः श्री प्रमोद कुमार सिंह, कमाण्डेन्ट, 62 बटालियन के सभी जवानों के परिवारों व उन्हें बटालियन के 44 वें स्थापना दिवस की बधाई दी व शुभकामना दी ।

बटालियन मुख्यालय मे वृक्षारोपण का भी आयोजन किया गया तथा क्रिकेट मैच का आयोजन भी किया गया। साथ ही श्री प्रमोद कुमार सिंह कमाण्डेन्ट एवं उपस्थित अधिकारीगण / अधिनस्थ अधिकारीगण एवं जवानों ने मिलकर बड़ेखाने में भाग लेकर 62 वीं वाहिनी के स्थापना दिवस का सफल समापन भी किया।

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