कुनकुरी विधानसभा सीट पर वोट कटुवा उम्मीदवारों के प्रदर्शन पर दोनों प्रमुख राजनैतिक दल भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों की टीकी है उम्मीदें…

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, कुनकुरी

सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में हॉट सीट कुनकुरी में परम्परागत प्रतिद्वंदी राजनैतिक दल भाजपा एवं कांग्रेस के बीच हमेशा की तरह सीधा मुकाबला है। पिछले चुनाव में लगभग 4 हजार वोटो के अल्प अंतर से हुई कांग्रेस की जीत से उबरने के लिये भाजपा ने अपने सहयोगी संगठनों के साथ पूरा जोर लगा दिया है। 17 नवम्बर को सम्पन्न हुए चुनाव में प्रत्याशियों का भाग्य मत पेटी में बंद हो गया है लेकिन दोनो ही पक्ष अपनी जीत के दावे सोशल मीडिया में कर रहे है।

भाजपा का गढ़ रही कुनकुरी सीट पर कांग्रेस ने एक ओर जहां अपने वर्तमान विधायक यूडी मिंज पर भरोसा करते हुए प्रत्याशी बनाया है वही भाजपा ने अपने कद्दावर आदिवासी नेता विष्णुदेव साय को मैदान में उतारा है जिनके पास केन्द्रीय मंत्री, सांसद, विधायक, पार्टी अध्यक्ष के रूप में बड़ा राजनैतिक अनुभव है। इस विधानसभा सीट पर अन्य नौ प्रत्याशी भी संगठन विहीन राजनैतिक दलों के प्रत्याशी एवं निर्दलिय प्रत्याशी के रूप में अपना भाग्य आजमा रहे है। मतदाताओं में इन प्रत्याशियों के प्रति कोई विशेष रूझान चुनाव में दिखाई नही दिया। दोनो प्रतिद्वंदी इन वोट कटुवा उम्मीदवारों के प्रदर्शन पर भी आस लगाये बैठे है। कुछ निर्दलीय प्रत्याशी अपने सामाजिक आधार पर वोट काटकर दोनो प्रमुख राजनैतिक दलों के प्रत्याशियों के वोटो में सेंध लगा रहे है। कईयों पर आरोप है कि प्रमुख प्रत्याशियों के द्वारा वोट काटने के लिये ही इन्हे खड़ा किया गया है। जिसका अंदाजा परिणाम घोषित होने के बाद सहज ही लगाया जा सकेगा।

इस सीट पर राजनैतिक दल आम आदमी पार्टी का प्रत्याशी भी पहली बार चुनावी मैदान में है लेकिन इस चुनाव में अपनी उल्लेखनीय उपस्थिति संगठन के अभाव में दिखा पाने में उतनी सफलता प्राप्त नही कर सका है। यद्यपि इनका चुनाव प्रचार वाहन बिना कार्यकर्ता के यांत्रिक रूप से प्रचार करता हुआ दिखाई दिया। इनकी राजनैतिक उपस्थिति का दारोमदार चुनाव परिणाम घोषणा में मिलने वाले मतो पर निर्भर करेगा। इस पार्टी का इस क्षेत्र में तीसरी ताकत बनने का सपना पूरा होगा या नही।

राजनैतिक बरसात में मेंढ़क की तरह चुनाव मैदान में उतरी निष्क्रीय राजनैतिक दल एवं निर्दलीय के रूप में कुछ प्रत्याशी मैदान में ऐसे है जिनका न तो कोई राजनैतिक इतिहास है और न ही कोई राजनैतिक भविष्य। इस प्रकार के अधिकांश प्रत्याशियों को न तो चुनाव प्रचार करते देखा गया और न ही मतदाताओं से सम्पर्क करते हुए।

कुल मिलाकर दोनो प्रमुख राजनैतिक दलों के प्रत्याशी भी कमोबेश इन वोट कटुवा प्रत्याशियों के प्रदर्शन पर नज़र गड़ाये हुए आगमी 3 दिसम्बर को घोषित होने वाले चुनाव परिणाम की प्रतिक्षा में पलके बिछाये हुए है। पहली बार इस चुनाव में चुनाव परिणाम घोषणा के पूर्व लम्बे अंतराल में इतना सन्नाटा छाया हुआ है। सारी सक्रियता सोशल मीडिया में ही दिखाई दे रही है। मतदाता एवं प्रत्याशियों के समर्थक भी 3 दिसम्बर को घोषित होने वाले चुनाव परिणाम की प्रतिक्षा में है।

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