स्कूली बालक-बालिकाओं को मानवाधिकार पर दी गई कानूनी जानकारी

स्कूली बालक-बालिकाओं को मानवाधिकार पर दी गई कानूनी जानकारी

December 11, 2023 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज़, रायगढ़

जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायगढ़ श्री अरविन्द्र कुमार सिन्हा के निर्देशन में विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर, पैरालीगल वालिंटियर्स के द्वारा विभिन्न स्थानों, ग्राम, स्कूल में मानवाधिकार के विषय में विस्तार से जानकारी देते हुए यह बताया कि 10 दिसम्बर 1948 को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा यूनिवर्सल डिक्लेेरेशन ऑफ ह्यूमन राईट को स्वीकार किये जाने के पश्चात 10 दिसम्बर को मानव अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना सरकार द्वारा मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के अधीन की गई थी। आयोग के विषय में विस्तार से जानकारी देते हुऐ पीएलव्ही के द्वारा बच्चों को यह बताया गया कि आयोग में कुल आठ सदस्य होते हैं, जिनमें एक अध्यक्ष, एक वर्तमान अथवा पूर्व सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश, एक वर्तमान अथवा भूतपूर्व उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश, मानवाधिकार के क्षेत्र में जानकारी रखने वाले कोई दो सदस्य तथा राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग एवं राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष। उक्त सभी सदस्यों का कार्यकाल पांच साल का होता है। लोक संहिता प्रक्रिया 1908 पर जानकारी देते हुए बताया कि इसके अधीन आयोग को सिविल न्यायालय की समस्त शक्तियॉ प्राप्त है। आयोग अपने समक्ष प्रस्तुत किसी पीडि़त अथवा उसकी ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दायर किसी याचिका पर स्वयं सुनवाई एवं कार्यवाही कर सकता है। इसके अतिरिक्त आयोग न्यायालय की स्वीकृति से न्यायालय के समक्ष लम्बित मानवाधिकारों के प्रति हिंसा संबंधी किसी मामले में हस्तक्षेप कर सकता है। इसके अतिरिक्त पूर्व सूचित करके किसी भी कारागार का निरीक्षण कर सकता है।

अन्त में बालक-बालिकाओं को रैगिंग के बारे में यह जानकारी दी कि यह मानव अधिकार का पूर्णत: हनन है। छत्तीसगढ़ शैक्षणिक संस्थाओं में प्रताडऩा (रैगिंग) का प्रतिषेध अधिनियम 2001 राज्य शैक्षणिक संस्थाओं में रैंगिंग के द्वारा छात्राओं के मानवीय एवं संवैधानिक मूल्यों का हनन होने से रोकने तथा संरक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से निर्मित किया गया है। रैंगिग का मतलब किसी भी छात्र-छात्राओं को ऐसे व्यवहार या कार्य के लिये बाध्य करना, जिससे उसके मानवीय मूल्यों का हनन व व्यक्तिगत अपमान व उपहास होता हो या उसे अभित्रास सदोष-परिरोध या क्षति या उस पर आपराधिक बल के प्रयोग या सदोष अवरोध, सदोष परिरोध क्षति या आपराधिक बल का प्रयोग कर अभित्रास देते हुए किसी विधि पूर्ण कार्य करने से रोकता है। इसके साथ ही पैरालीगल वालिंटियर्स के द्वारा प्रत्येक शिविर/जागरूकता कार्यक्रम में आग्रामी नेशनल लोक अदालत 16 दिसंबर 2023 के संबंध में मौखिक रूप से तथा पाम्पलेट के माध्यम से लोक अदालत के सफल बनाने हेतु वृहद प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।