मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय एकात्म मानववाद प्रणेता की पुण्यतिथि पर किया नमन

Advertisements
Advertisements

समदर्शी न्यूज़, जशपुर : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय एकात्म मानववाद प्रणेता की स्मृति दिवस 11 फ़रवरी को बगिया कैंप कार्यालय में उनके छायाचित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित की l उन्होंने कहा कि एकात्म मानववाद की विचारधारा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद है जो समाजवाद और व्यक्तिवाद से अलग सोचने की आजादी देता हैं।

एकात्म मानववाद एक वर्गहीन, जातिविहीन तथा संघर्ष मुक्त सामाजिक व्यवस्था जो साम्यवाद से अलग है उसके रूप में परिभाषित किया। वो सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक तरीके से भारतीय संस्कृति का एकीकरण होना चाहिए।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय के मुख्य विचारों को उनकी भारतीयता, धर्म, धर्मराज्य और अंत्योदय की संकल्पना में देखा जा सकता है। अंत्योदय, हालांकि गांधीवादी शब्दकोष से संबंधित शब्द है, यह पंडित दीन दयाल उपाध्याय के विचारों में अंतर्निहित है। ‘सभी के लिए शिक्षा’ और ‘हर हाथ कोकम, हरखेत को पानी’ के उनके दृष्टिकोण को आर्थिक लोकतंत्र के उनके विचार में परिणित होते देखा गया। आर्थिक लोकतंत्र के अपने विचार को समझाते हुए वे कहते हैं, ”यदि सभी के लिए वोट राजनीतिक लोकतंत्र की कसौटी है, तो सभी के लिए काम आर्थिक लोकतंत्र का माप है।

उन्होंने बड़े पैमाने के उद्योग आधारित विकास, केंद्रीकरण और एकाधिकार के विचारों का विरोध करते हुए स्वदेशी और विकेंद्रीकरण की वकालत की। उन्होंने आगे कहा कि कोई भी व्यवस्था जो रोजगार के अवसर कम करती हो वह अलोकतांत्रिक है. उन्होंने सामाजिक असमानता से मुक्त एक ऐसी व्यवस्था की वकालत की जहां पूंजी और शक्ति का विकेंद्रीकरण हो।

पंडित दीन दयाल उपाध्याय का कहना था कि भारतीय संस्कृति की नींव पर एक मजबूत और समृद्ध भारतीय राष्ट्र का निर्माण करना था जो सभी को स्वतंत्रता, समानता और न्याय (धर्मराज्य), सभी के लिए अधिकतम भलाई (सर्वोदय और अंत्योदय) और संश्लेषण, न कि संघर्ष को आधार बनाए।

Advertisements
Advertisements
error: Content is protected !!