जनजातीय गौरव दिवस : लोयोला महाविद्यालय कुनकुरी में मनाया गया आदिवासी संस्कृति का उत्सव, जनजातीय समाज के गौरवशाली इतिहास को किया गया याद

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“जनजातीय समाज का गौरवशाली अतीत” पर लोयोला महाविद्यालय कुनकुरी में कार्यशाला

कुनकुरी 26 अक्टूबर/ लोयोला महाविद्यालय कुनकुरी में जनजातीय गौरव दिवस के नाम पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक, विद्यार्थी और कर्मचारी उपस्थित रहे। इस कार्यकम के अध्यक्ष डॉ. फा. धरमकिशोर लकड़ा (उप प्राचार्य लोयोला महाविद्यालय कुनकुरी) ने अपने अध्यक्षीय भाषण में सबका स्वागत करते हुए कहा कि “जनजातीय समाज का हमारे देश के ऐतिहासिक सामाजिक और आध्यात्मिक जगत में खास योगदान रहा है। आज हम महाविद्यालय के इस कार्यशाला में इस विषय पर आज के वक्ताओं से बहुत कुछ सीखेंगे।” इस प्रकार उन्होने जनजातीय समाज के महापुरुषों का उल्लेख किया और देश के लिए उनके विभिन्न योगदानों का उद्घाटन किया।

निर्दिष्ट विषय पर छात्र निशांत कुजूर एवं सहा. प्रा. सुश्री जैकलीन लकड़ा ने अपना पठन और वाचन प्रस्तुत किया। कार्यकम की मुख्य वक्ता विशिष्ट अतिथि डॉ. कुसुम माधुरी टोप्पो (सहा. प्रा. शास. महाविद्यालय कांसाबेल) ने अपने विस्तृत वक्तव्य से जनजातीय समाज के आरम्भिक दिनों के संघर्ष उनका उत्कर्ष और बदलते परिवेश में जनजातीय संस्कृति को अक्षुण्ण बनाये रखने का आह्वान किया। उन्होने कहा कि जनजातीय समाज के लोग प्रकृति से तदातम्य बनाकर जीवन जीते है। आधुनिकता की दौड़ और भौतिक बिलासिता से दूर रहकर मानव समाज के लिए स्वस्थ वातावरण तैयार करते है।

इस कार्यशाला को फा. जेरोम मिंज (मैनेजर लोयोला समुदाय कुनकुरी) ने भी सम्बोधित किया और जनजातीय जीवन की समानता, भातृत्व और स्वायत्तता पर प्रकाश डाला। उन्होंने भी समय के साथ अपनी परम्परा, धरोहर एवं प्रकृति के साथ विशेष लगाव को बनाये रखने का आह्वान किया। इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि श्रीमती अजेम टोप्पो (अध्यक्ष, नगर पंचायत कुनकुरी) ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये।

कार्यकम के संयोजक डी. आर. विश्वकर्मा एवं सह संयोजक श्रीमती अल्मा ग्रेस तिर्की (सहा. प्रा.) ने कार्यकम के अन्त में सभी का आभार अभिव्यक्त किया।

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