कैडेवरिक शपथ देहदान दाता के प्रति आभारयुक्त समर्पण – डॉ. नेरल
November 15, 2024पं. नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय के एनाटॉमी विभाग में एम.बी.बी.एस प्रथम वर्ष के छात्रों को दिलाई गई “कैडेवरिक ओथ”
रायपुर, 15 नवंबर 2024/ पं. जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय, रायपुर के एनाटॉमी विभाग में प्रथम वर्ष के एम.बी.बी.एस छात्रों को “कैडेवरिक ओथ” (मृत देह शपथ) दिलाई गयी। इस अवसर पर चिकित्सा महाविद्यालय के वरिष्ठतम प्राध्यापक, मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष तथा पैथोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अरविंद नेरल, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
एनाटॉमी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. जागृति अग्रवाल ने इस उपलक्ष्य पर समस्त छात्रों को कैडेवरिक शपथ की महत्ता से अवगत कराया। इस परिपेक्ष्य में उन्होंने कहा कि कैडेवर को चिकित्सा छात्र का प्रथम शिक्षक माना जाता है क्योंकि चिकित्सा पाठ्यक्रम की आधारशिला मानव शरीर रचना पर आधारित है। उन्होंने इस अवसर पर देहदान करने वाले व्यक्तियों को यह कहते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया कि इनका त्याग न केवल चिकित्सा छात्रों को बेहतर डॉक्टर बनाने में मददगार होगा, अपितु इस त्याग से पूरे समाज का कल्याण होगा क्योंकि यही छात्र कालावधि में डॉक्टर बनकर समाज को अपनी सेवाएं देंगे।
तत्पश्चात मुख्य अतिथि डॉ. अरविंद नेरल के द्वारा एम.बी.बी.एस. सत्र 2024 के नव प्रवेशित 230 छात्रों को “कैडेवरिक शपथ” दिलाई गई। इस शपथ में छात्रों द्वारा देहदाता के त्याग को धन्यवाद देते हुये उनकी देह के प्रति अभिवादन व्यक्त किया गया तथा उनकी निजता एवं गोपनीयता को सम्मान देने का प्रण लिया गया। इस अवसर पर जनमानस में देहदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता प्रतिपादित की।
डॉ. नेरल ने अभिभाषण में अपने एम.बी.बी.एस. के दिनों को याद करते हुये कैडेवर की आवश्यकता तथा उसकी उपयोगिता बतायी। उन्होंने इस त्याग को सर्वोच्च त्याग के रूप में परिभाषित किया। अब तक कुल 124 बार रक्तदान कर चुके डॉ. नेरल ने एक बार फिर दूसरों के लिये उदाहरण प्रस्तुत करते हुये यह बताया कि उन्होंने स्वयं भी देहदान का प्रण लिया हुआ है तथा उनके 40 वर्षों के चिकित्सकीय जीवन में उनका यह प्रण उनके शैक्षणिक मातृ संस्था को समर्पित है।
इस अवसर पर एनाटॉमी विभाग के सह-प्राध्यापक डॉ. प्रवीण कुर्रे, डॉ. दिवाकर धुरंधर, डॉ. प्रवीण बंजारे, डॉ. संगीता खरे, सहायक प्राध्यापक डॉ. दीप्ति चंद्राकर, डॉ. कुशल चक्रवर्ती, डॉ. प्रवीण कटारिया, प्रदर्शकगण, पी.जी. छात्र तथा कर्मचारी भी उपस्थित थे।