कुनकुरी में छेरछेरा पुन्नी का अनोखा नजारा: कला-संस्कृति और परंपरा का जीवंत उत्सव

कुनकुरी में छेरछेरा पुन्नी का अनोखा नजारा: कला-संस्कृति और परंपरा का जीवंत उत्सव

January 13, 2025 Off By Samdarshi News

कुनकुरी/ छत्तीसगढ़ की अद्भुत कला और संस्कृति का एक मनमोहक दृश्य कुनकुरी के शंकर नगर में देखने को मिला, जहां साल के पहले पर्व छेरछेरा पुन्नी का उल्लास हर घर में झलका। इस पारंपरिक त्योहार में वार्ड की बहनें और छोटी बच्चियां छत्तीसगढ़ी पहनावे में सज-धज कर छेरछेरा मांगने निकलीं।

छत्तीसगढ़ की परंपरा को जीवंत रखती पहल
छेरछेरा मांगने की परंपरा को जीवंत बनाए रखने के लिए महिलाएं और बच्चियां समूह बनाकर हर घर गईं। इस दौरान वे स्पीकर पर छत्तीसगढ़ी गानों की धुन पर पारंपरिक नारे लगाते हुए छत्तीसगढ़ महतारी की जय और जय जोहार कहती नजर आईं। उनका यह प्रयास न केवल परंपरा को आगे बढ़ाने का माध्यम बना बल्कि समाज में एकजुटता और उत्साह का माहौल भी पैदा किया।

छोटी बच्चियों की भागीदारी
छोटी बच्चियां इस आयोजन की खास आकर्षण थीं। छत्तीसगढ़ी परिधान में सजी इन बच्चियों ने पूरे जोश और उत्साह के साथ इस त्योहार में भाग लिया। यह पहल नई पीढ़ी को छत्तीसगढ़ की समृद्ध परंपराओं से जोड़ने का एक सराहनीय प्रयास है।

छेरछेरा मांगने की परंपरा
छेरछेरा पुन्नी के दौरान घर-घर जाकर अन्न, धन या अन्य चीजें मांगी जाती हैं। यह त्योहार छत्तीसगढ़ के ग्रामीण और शहरी इलाकों में समान रूप से उत्साह के साथ मनाया जाता है। मांगने वाले लोग जिस घर में जाते हैं, वहां “जय जोहार” कहकर अभिवादन करते हैं और बदले में लोग खुशी-खुशी उन्हें अनाज या अन्य वस्तुएं देते हैं।

सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण
यह आयोजन छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखने का एक बेहतरीन उदाहरण है। छेरछेरा पुन्नी जैसे त्योहार न केवल छत्तीसगढ़ की संस्कृति को संरक्षित करते हैं बल्कि समुदाय में भाईचारे और सहयोग की भावना को भी प्रोत्साहित करते हैं।

छत्तीसगढ़ महतारी की जय
समूह की महिलाओं और बच्चियों ने इस पूरे आयोजन के दौरान छत्तीसगढ़ महतारी की जय के नारे लगाए। यह न केवल इस प्रदेश की परंपराओं के प्रति सम्मान को दर्शाता है, बल्कि नई पीढ़ी को भी अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने की प्रेरणा देता है।

छेरछेरा पुन्नी का यह आयोजन इस बात का उदाहरण है कि कैसे परंपरा और संस्कृति को सहेजते हुए समाज में एकता और सहयोग का संदेश दिया जा सकता है। कुनकुरी में मनाया गया यह त्योहार छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति को जीवंत रखने का एक प्रेरक प्रयास है।