बस्तर एवं आदिवासियों की कला, संस्कृति, भाषा एवं साहित्य के संरक्षण एवं संवर्धन का महत्वपूर्ण केन्द्र बनेगा बादल: कलेक्टर

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संस्थान को शीघ्र मूर्तरूप देने आदिवासी समाज के प्रमुखों तथा कला, साहित्य एवं संस्कृति जगत से जुडे़ लोगों की ली बैठक

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो

जगदलपुर, बस्तर अकादमी ऑफ डांस, आर्ट, लिटरेचर एण्ड लेंग्वेज अर्थात बादल बस्तर एवं आदिवासियों की कला, संस्कृति, भाषा एवं साहित्य के संरक्षण एवं संवर्धन का महत्वपूर्ण केन्द्र बनेगा कलेक्टर रजत बंसल ने कहा । इस महत्वपूर्ण संस्थान के कार्यो को शीघ्र मूर्तरूप देने आज जगदलपुर शहर के समीपस्थ ग्राम आसना में निर्मित बादल के परिसर में आदिवासी समाज के प्रमुखों तथा कला, साहित्य एवं संस्कृति जगत से जुड़े लोगों की बैठक ली। इस दौरान यूनिसेफ के चीफ फील्ड ऑफिसर श्री जॉब, सहायक आदिवासी विकास विवेक दलेला एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

बैठक में कलेक्टर बंसल ने बस्तर के आदिवासियों की भाषा, कला एवं संस्कृति के अभिलेखीकरण के कार्य की विस्तृत समीक्षा की। उन्होंने कहा कि बस्तर में आदिवासी समाज के धुरवा, भतरी एवं गोंडी आदि बोलियां विलुप्त होने के कगार पर है। इन बोलियों का संरक्षण एवं संवर्धन करना बादल के प्रमुख कार्य में शामिल है। श्री बंसल ने बैठक में उपस्थित सामाजिक प्रतिनिधियों को अपने-अपने समाज के भाषा के अलावा लोक कला एवं लोक गीत तथा नृत्य की जानकारी अभिलेखीकरण हेतु अनिवार्य रूप से देने को कहा।

उन्होंने सभी समाज प्रमुखों को बादल संस्थान को मूर्तरूप देने तथा इसे जीवंत रखने हेतु सक्रीय भागीदारी सुनिश्चित करने की अपील भी की। उन्होंने बताया कि इस कार्य के अन्तर्गत बस्तर संभाग के 40 प्रकार के परम्परागत लोक गीतों के संकलन का कार्य लगभग पूर्णता की ओर है। बैठक में कलेक्टर ने बताया कि बादल संस्थान के भौतिक अधोसंरचना से जुड़े लगभग 90 प्रतिशत कार्य पूरा हो गया है। इसके साथ ही शेष कार्यों को भी शीघ्र पूरा कर लिया जाएगा। कलेक्टर श्री बंसल ने बैठक में उपस्थित लोगों से सुझाव भी लिए।

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