डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय रायपुर : एसीआई के हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग में 50 वर्षीय महिला के हृदय के तीन वाल्व का हुआ सफल ऑपरेशन

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डॉ.कृष्णकांत साहू (विभागाध्यक्ष) के नेतृत्व में हुआ यह जटिल ऑपरेशन

महिला को 20 साल से सांस फूलने की थी शिकायत, महिला के पेट में बार बार भर जाता था पानी

महिला के हृदय  के तीनों वाल्व थे खराब, माइट्रल वाल्व में लगाया गया कृत्रिम वाल्व, ट्राइकस्पिड वाल्व एवं एओर्टिक वाल्व का किया गया रिपेयर, महिला को सात दिन तक रखा गया पेसमेकर में

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय रायपुर स्थित एसीआई के हार्ट चेस्ट एंड वैस्कुलर सर्जरी विभाग ने डॉ. कृष्णकांत साहू के नेतृत्व में एक और कारनामा कर दिखाया। डॉ. कृष्णकांत साहू के अनुसार कोरबा की रहने वाली एक 50 वर्षीय महिला कार्डियक सर्जरी विभाग के ओपीडी में आयी, उस समय उसके पेट में बहुत ही ज्यादा पानी भरा हुआ था, जिसको मेडिकल भाषा में एसाइटिस (Ascites) कहा जाता है, जिसके कारण उसकी सांसे बहुत ही ज्यादा फुल रही थी एवं हाथ पैरों में भी बहुत ज्यादा सूजन आ गया था।

यह बीमारी उसको लगभग 20 साल से थी एवं पेट में पानी भरने की शिकायत 4 महीने से थी। बाहर के डॉक्टरों ने ऑपरेशन की सलाह दी थी परन्तु ऑपरेशन के लिए हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी एवं बहुत समय निकल जाने के कारण उसका हृदय बहुत अधिक कमजोर हो गया था (हार्ट फेल्योर)। जांच करवाने पर पता चला कि महिला के तीनो वाल्व (माइट्रल वाल्व, ट्राइस्पिट वाल्व एवं एओर्टिक वाल्व) खराब हो गये हैं। डॉ. साहू ने बताया कि तीनों वाल्व का ऑपरेशन करना वो भी ऐसे हार्ट में जो पहले भी काफी ज्यादा कमजोर हो गया है, इसका ऑपरेशन बहुत चुनौतीपूर्ण होगा एवं जान का खतरा रहेगा। ऑपरेशन के पहले इस महिला के पेट में नली डालकर हर रोज लगभग 1 से 1.5 लीटर पानी निकाला जाता था तब यह ठीक से सांस ले पाती थी।

इस महिला के हृदय के माइट्रल वाल्व को मेटल के कृत्रिम वाल्व से प्रत्यारोपित किया गया एवं ट्राइकस्पिड वाल्व को रिंग डालकर रिपेयर किया गया। इस ऑपरेशन में यह खास बात रही कि महिला के एओर्टिक वाल्व को भी विशेष तकनीक द्वारा रिपेयर किया गया। सामान्यतः एओर्टिक वाल्व को रिपेयर करना बहुत ही कठिन कार्य होता है। ऑपरेशन के बाद महिला के ह्रदय की धड़कन बहुत ही कम थी, जिसके लिए कृत्रिम पेसमेकर उपकरण लगाया गया था एवं महिला के ह्रदय की गति सामान्य आने पर लगभग 07 दिन बाद इसे निकाल लिया गया।

ऑपरेशन के बाद 14 दिनों तक इस महिला को सतत् निगरानी में रखा गया था, कि ऑपरेशन के बाद भी कहीं पेट में फिर से पानी तो नहीं भर रहा है। ऑपरेशन के बाद पेट से पानी निकालने की आवश्यकता ही नही पड़ी। आज यह महिला पूर्ण स्वस्थ्य होकर अपने घर को जा रही है एवं एसीआई के डॉक्टर एवं नर्सिंग स्टॉफ को बहुत धन्यवाद दे रही है, कि यहॉ पर मरीजों की देखभाल प्राइवेट अस्पताल से भी ज्यादा अच्छा है। यह महिला कोरबा जिले की है।

इस ऑपरेशन में शामिल टीम

हार्ट सर्जन- डॉ. कृष्णकांत साहू विभागाध्यक्ष,  डॉ.निशांत सिंह चंदेल, डॉ.सुरभि सोनी (रेसीडेंट), कार्डियक एनेस्थेटिस्ट – डॉ. तान्या छौडा, पर्फ्युज़निस्ट – चंदन, डिगेश्वर, नर्सिंग – कुसुम, कोमल, राजेन्द्र साहू, नरेन्द्र, मुनेश, चोवाराम, टेक्नीशियन – भूपेन्द्र, हरीश

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