जशपुर जिले के गोठानों से महिलाओं को मिल रहा रोजगार, मशरूम उत्पादन से दुर्गा स्व-सहायता समूह की महिलाएं बन रही आर्थिक रूप से सम्पन्न

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बाजार में मशरूम के मांग एवं अच्छी कीमत मिलने से समूह उत्साह के साथ कर रही है कार्य

प्रथम उत्पादन में ही 26 हजार रुपए आमदनी हुई अर्जित

प्रदेश सरकार एवं जिला प्रशासन का जताया आभार

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, जशपुर

प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी के संचालन से जिले के विभिन्न क्षेत्रों के महिलाएं स्वावलंबन की ओर अग्रसर हो रही है। जिले में महिलाएं स्व-सहायता समूह से जुड़ कर गोठानों में संचालित योजनाओं का लाभ उठा रही है जिससे उनका परिवार आर्थिक रूप से सम्बल बन रहा है। जिला प्रशासन द्वारा भी उन्हें हर सुविधा मुहैया कराई जा रही है जिसमें उन्हें प्रशिक्षण से लेकर आवश्यक सभी संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे है।  इसी कड़ी में जशपुर विकासखण्ड के पुत्रीचौरा गोठान से जुड़ी महिलाओं को आजिविका उपलब्ध कराने के लिए प्रशासन द्वारा मशरूम उत्पादन कराने हेतु प्रशिक्षण प्रदान कराया गया है। मशरूम उत्पादन हेतु दुर्गा स्व-सहायता समूह में कुल 10 महिलाएं जुड़ी है। उन्हें उनके अपेक्षा से अधिक लाभ मिल रहा है। जिससे महिलाएं गोठान से जुड़कर काफी खुश है।

दुर्गा स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती सुमन्ती बाई ने बताया कि वर्ष सितम्बर 2021 में उनके द्वारा मशरूम उत्पादन का कार्य प्रारंभ किया गया। जिससे उन्हें प्रथम उत्पादन में ही अच्छा मुनाफा हुआ। जिससे समूह की महिलाएं उत्साह के साथ और अधिक मेहनत करने लगी है। उन्होंने बताया कि उन्हें एनआरएलएम एवं कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा प्रशिक्षण दिया गया है। गोठानों में मशरूम हट बनाये गए है। इस हट में मशरूम उत्पादन के लिए पॉलिथीन बैग में स्पान डालकर लटकाए गए है। सुमन्ती बाई ने बताया कि समूह के द्वारा अब तक कुल 270 किलोग्राम मशरूम का उत्पादन किया। जिसके विक्रय से उन्हें लगभग 26 हजार की आमदनी अर्जित हुई है। वर्तमान में बाजार में इसकी मांग और की अच्छी कीमत मिलने स्वसहायता समूहों की रूचि मशरूम उत्पादन में बढ़ रही है।

उल्लेखनीय है कि जिले का वातावरण मशरूम उत्पादन के लिए बेहद अनुकूल है। इसकी खेती नियंत्रित वातावरण में वर्ष-भर किया जा सकता है। जिससे महिलाओं को मशरूम उत्पादन में कोई परेशानी नहीं होती है। और वे इसका आसानी से लाभ बाजारों में विक्रय भी कर लेती है। मशरूम के उत्पादन के लिए समूहों द्वारा पालीथीन के थैली बनाए गए थे। जिसमें पुआल कुट्टी तथा नारियल जूट का रेशा आदि सामग्री भरा गया था। इसके साथ गेहूं का भूसा भी मिलाया गया था। इसके उपरांत 45 दिनों में ही मशरूम तोड़ने लायक हो गया। महिलाओं ने कहा कि प्रदेश सरकार महिलाओं को आगे बढ़ाने एवं उनके परिवार को आर्थिक रूप से सम्पन्न करने हेतु बहुत सराहनीय कार्य कर रही है। जिससे ग्रामीण क्षेत्र के महिलाओं एवं घरेलू महिलाओं को इसका सीधा लाभ मिल रहा है। उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार एवं जिला प्रशासन को धन्यवाद दिया।

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