वनोपज संग्राहकों के लिए मिसाल बनी सुशीला, शासकीय दर पर खरीदती है वनोपज

Advertisements
Advertisements

समदर्शी न्यूज ब्यूरो, रायपुर

दिव्यांग होते हुए भी सुशील सोढ़ी अपने मेहनत और हौसलों के दम पर आत्मनिर्भर और आर्थिक स्वावलंबी हुई है अब वह दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन रही है। सरकार की वनोपज संग्रहण नीति का लाभ उठाते हुए सुशीला न केवल अपनी जरूरतें पूरी कर रही है बल्कि अपने परिवार का भी ध्यान रख रही है। दिव्यांग होते हुए भी सुशीला सोढ़ी ने ख़ुद के लिए ऐसे रास्ते का चुनाव किया है, जहां उसके माध्यम से वनोपज संग्राहक शासकीय दर में वनोपज बेचकर आर्थिक सशक्त हो रहे हैं।

सुशीला सोढी दिव्यांग हैं, बदलते बस्तर की उभरती तस्वीर के रूप में मर्दापाल में रहती हैं। वनोपज संग्रहण के कार्य में संग्राहकों से वनोपज सरकारी दर में संग्रह करती हैं। शुरू से ही वनाच्छादित बस्तर वनोपज से अपनी आर्थिक सुदृढ़ता की राह तलाशता रहा है, लेकिन आज मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने वनोपज ख़रीदी की उचित व्यवस्था की है, सरकार 65 प्रकार के वनोपज़ो का संग्रहण कर रही है, और समर्थन मूल्य घोषित किया है, परिणामस्वरूप आज देश का 74 प्रतिशत वनोपज का संग्रहण छत्तीसगढ़ कर रहा है। इन्ही योजनाओं की वजह से वनोपज संग्रहण में मेहनत करने वाले आदिवासियों को उनका हक मिल रहा है और बिचौलियों से मुक्ति मिली है।

सुशीला अपने साथ-साथ मर्दापाल क्षेत्र के अनेक वनोपज संग्राहकों को अपने पैरों पर खड़े होने और आर्थिक, सामाजिक समृद्ध जीवन जीने के लिए तैयार कर रही हैं। वे संग्राहकों से शासकीय मूल्य पर वनोपज खरीदती हैं। इस सीजन में 3 लाख की खरीदी की है। वे बताती हैं कि व्यापारी ईमली 25 रुपये में लेते हैं, जबकि शासकीय रेट 33 रुपए है, साल बीज का शासकीय रेट 20 रुपए है व्यापारी 12 से 15 रुपए में देते हैं। सुशीला बताती हैं कि वनोपज ख़रीदी की उचित व्यवस्था और सरकार द्वारा वनोंपज नीति के ज़मीनी स्तर पर बेहतर क्रियान्वयन से हम सबके जीवन में खुशहाली और समृद्धि आई है।

Advertisements
Advertisements
error: Content is protected !!