डीएनए टेस्ट के मामले में आयोग ने जिला कार्यक्रम अधिकारी को सौंपी जिम्मेदारी
बीएसएफ में कार्यरत अनावेदक के पेंशन एकाउंट से प्रतिमाह दस हजार रुपये आवेदिका के एकाउंट में जमा करने के निर्देश दिए गए
आयोग के अथक प्रयास से दो नाबालिग बच्चे के माता पिता को एक साथ रहने तैयार किया
समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, जशपुर
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य श्रीमती नीता विश्वकर्मा ने कलेक्टोरेट के सभाकक्ष में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए जन सुनवाई की। सुनवाई में 09 प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया है। इस अवसर पर अधिवक्ता सुश्री शमीम रहमान सहित जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन उपस्थित थे।
आज प्राप्त प्रकरण में पटवारी से हस्ताक्षर अभिलेख प्रस्तुत किया है। जो प्रकरण में संलग्न है। तहसीलदार ने यह भी जानकारी दिया कि सभी आवेदकगण घास जमीन पर कब्जा धारी है इनके मकान को हटान की कोई भी कार्यवाही शासन स्तर पर नहीं किया जा रहा है। अपने-अपने कब्जे में यह लोग बने रहेंगे शासन के अधीन घास जमीन पर पट्टा की कार्यवाही की जाती तो केवल उसी दशा में आवेदिका गणो को पट्टा मिल सकेगा। जिसकी समझाईश आवेदिकागणों को दिया गया। इसके साथ ही प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
उभय पक्ष उपस्थित आवेदिका लगभग डेढ़ वर्ष से अपने मायके में निवासरत है। दोनों बच्चों को छिनकर अपने पास रखा लिया था। अनावेदक व्याख्याता है, इनका वेतन 60 हजार रुपये प्रतिमाह है। जिसमे से अनावेदक को कटकर 50 हजार हाथ में मिलता है। आवेदिका ने बच्चों को प्राप्त करने हेतु बाल कल्याण समिति के पास आवेदन प्रस्तुत किया था। बाल कल्याण समिति ने बच्चों को प्राप्त करने का आदेश दिया। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष ने एक आदेश को किया था। जिसमें दोनों नाबालिग बच्चों को अनावेदक को देने का आदेश दिया गया था। आज सुनवाई के दौरान ही पति-पत्नी के मध्य एक काउंसलिंग किया गया जिसमें आयोग की अधिवक्ता सुश्री शमीम रहमान के साथ बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष श्रीमती निर्मला जांगड़े एवं सदस्य श्री विजय गुप्ता ने सुलह करवाया और पति पत्नी के मध्य 7 बिंदुओं पर सशक्त राजीनामा तैयार किया गया है, जिसके अनुसार पति पत्नी दोनों नाबालिग बच्चों के हित में एक साथ रहने के लिए तैयार हुए इस शर्त पर हस्तलिखित है। दोनो के हित मे शपथ पत्र बनाने के भी निर्देश दिए गए हैं जो दो प्रति में तैयार किया जाएगा जिसकी जिम्मेदारी बाल कल्याण समिति के सदस्य को जिम्मेदारी दिया गया है। दोनों पक्षों में लिखित शर्तों पर आपसी राजीनामा तैयार नोटरी से निष्पादित कराने कहा गया। इस प्रकरण की निगरानी जिला संरक्षण अधिकारी को एक वर्ष की निगरानी करने के निर्देश दिए गए।
एक अन्य प्रकरण में उभय पक्ष उपस्थित अनावदेक ने पिछले आदेश में 10 हजार देने के आदेश का पालन केवल 4 माह किया और अब कोई भी भरण पोषण नहीं दिया जा रहा है। अनावेदक बीएसएफ में नौकरी करता था। जहां से उसे पेंशन प्राप्त हो रही है और उसके पास 9 एकड़ जमीन से अलग आमदनी होती है। किन्तु अनावेदक अपने कुंठित मानसिकता के कारण अपने पत्नी एवं बच्चों को भरण देने से इंकार कर रहा था और दिये गये आदेश को नियमित पालन भी नहीं कर रहा है। ऐसी दशा में आवेदिका पक्ष को नियमित भरण पोषण अनावेदक के पेंशन से सीधे आवेदिका को दिलाया जाना उचित होगा। जिसपर अनावेदक के पेंशन एकाउंट से प्रतिमाह 10 हजार रुपये सीधे आवेदिका के एकाउंट में जमा करने के निर्देश दिए गए हैं आवेदिका को निर्देशित किया गया जिसमें आवेदिका अनावेदक के विभागीय पेंशन के उच्च अधिकारी को आवेदन प्रस्तुत कर सीधे अपने बैंक खाता में 10 हजार रुपये नियमित जमा करने का आदेश प्राप्त करें। इस निर्देश के साथ इस प्रकरण नस्तीबद्ध किया जाता है।
एक अन्य प्रकरण में उभय पक्ष उपस्थित दोनों पक्षों को सुना गया। अनावेदक ने बताया कि आवेदिका के पति और अनावेदक के मध्य जमीन के विवाद अनावेदक के मध्य चल रहा है। इन्हीं मामलों से बचने से आवेदिका ने आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। न्यायालय में पंजीबद्ध प्रकरण की प्रति संलग्न है। प्रकरण विभिन्न न्यायालय में लंबित होने के कारण आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर हो जाने से इस प्रकरण नस्तीबद्ध किया जाता है।
एक अन्य प्रकरण में उभय पक्ष उपस्थित पिछली सुनवाई आदेश में डीएनए के टेस्ट का निर्देशित किया गया था। किन्तु आवेदिका निर्धन है जिसपर डीएनए टेस्ट कराए जाने हेतु कलेक्टर जशपुर को एक पत्र प्रेषित किया गया है। जशपुर कलेक्टर ने मानवहित में और निर्धन परिवार के प्रति सहानुभूति करते हुए डीएनए टेस्ट कराने सहमत हुए हैं अब आवेदिका के साथ उनके पुत्र और सम्बंधित सदस्यों को रायपुर में इन चार लोगों का डीएनए टेस्ट कराया जाएगा। इस पूरे प्रकरण में कलेक्टर जशपुर को पत्र जारी करने, चालान जमा कराने और चारों व्यक्तियों को डीएनए टेस्ट कराने रायपुर जाने की जिम्मेदारी जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास जशपुर कोदी गयी है जो आयोग से प्रतिमाह इस प्रकरण की प्रगति प्रतिवेदन को अवगत कराएंगे ताकि आवेदिका को अपने प्रकरण में शीघ्र और त्वरित न्याय मिल सके।