महिला आयोग की जन सुनवाई : कोरिया जिले के 21 प्रकरण एवं सूरजपुर जिले के 9 विभिन्न मामलों के प्रकरण रखे गए, जिसमें से 22 प्रकरणों पर की गई सुनवाई

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12 प्रकरणों का निपटारा कर नस्तीबद्ध किया गया, वहीं 3 प्रकरणों को सुनवाई के लिए रायपुर बुलाया गया

आयोग द्वारा लिए स्वतः संज्ञान के प्रकरण में आवेदिका को मिला न्याय, पति-पत्नि को एक-दूसरे के बीच सामंजस्य बनाने दी जिम्मेदारी

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर/सूरजपुर

छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य श्रीमती नीता विश्वकर्मा की अध्यक्षता में महिला आयोग की जन सुनवाई जिला पंचायत सभाकक्ष में रखी गई। आज की सुनवाई में कोरिया जिले के 21 प्रकरण एवं सूरजपुर जिले के 09 प्रकरणों की विभिन्न मामलों के प्रकरण रखे गए, जिसमें से 22 प्रकरणों पर सुनवाई किया गया. 12 का निपटारा कर नस्तीबद्ध किया गया वहीं 03 प्रकरणों को सुनवाई के लिए रायपुर बुलाया गया है। सुनवाई में कलेक्टर सुश्री इफ्फत आरा, पुलिस अधीक्षक रामकृष्ण साहू, जिला पंचायत की सीईओ सुश्री लीना कोसम, अधिवक्ता सुश्री शमीम रहमान उपस्थित रही।

जनसुनवाई में एक अन्य प्रकरण की सुनवाई करते हुए डॉ. श्रीमती किरणमयी नायक ने कहा कि एक प्रकरण में पति-पत्नि वर्तमान में अलग-अलग रह रहे है। आवेदिका वर्तमान में रायपुर में कार्य कर रही है और अपना भरण पोषण करने में सक्षम है। पति-पत्नि को आयोग ने आगामी सुनवाई दिनांक में रायपुर कार्यालय में सुनवाई किया जायेगा।

एक अन्य प्रकरण में दोनो पक्ष देवरानी और जेठानी हैं  और अनावेदिका के द्वारा आये दिन आवेदिका के विरूद्ध दहेज प्रताड़ना की शिकायत की जाती हैं, जबकि अनावेदिका अपने पति व सास ससुर से कोई शिकायत नही हैं इससे यह पता चलता की दोंनो के बीच वास्तविक में दहेज प्रताड़ना जैसी कोई बात नही है। दोनों के खिलाफ एक सहमति बनाना आवश्यक है इस प्रकरण की निगरानी हेतु आयोग की सदस्य श्रीमती नीता विश्वकर्मा करेंगी और दोंनो के मध्य सहमति नामा बनवाये जाने के निर्देश के साथ इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने आयोग में शिकायत किया था कि तीन से चार वर्ष से मै एक लड़के से प्रेम कर रही हूं। मेरे फुफा के कारण मेरे माता-पिता उस लड़के से विवाह नही करा रहे हैं और मुझे घर में बंद कर दिया गया है और मेरे मोबाईल भी छिन लिया गया है। यह शिकायत आयोग में आते ही इसे तत्काल आयोग की सदस्य श्रीमती नीता विश्वकर्मा को जिम्मेदारी देते हुये इस प्रकरण को स्वतः संज्ञान में लिया गया था, जिसमें इस प्रकरण की संपूर्ण जांच किया गया और लड़के और लड़की के माता-पिता एवं अन्य रिश्तेदार को समझाया गया और आपसी सहमति से लड़के और लड़की का विवाह हो गया है। जिसकी संपूर्ण दस्तावेज के साथ संरक्षण अधिकारी नवा बिहान ने आयोग को सौंपी है। इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने आयोग के समक्ष लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत की थी जिसमें आन्तरिक जिला स्तरीय समिति ने अनावेदक को दोषी पाया था, जिसकी पुनः जांच अनावेदक ने करने की मांग किया था, उस पर अनावेदक की गवाही को सुना गया था। शिकायत समिति ने यह माना कि उभयपक्षों के बीच का विवाद शिक्षण संस्थान का आन्तरिक विवाद हैं, कार्य स्थल पर लैंगिक विवाद का कोई विषय नहीं है। आन्तरिक जिला स्तरीय समिति के आदेश के बाद आवेदिका ने एक साल बाद आयोग में शिकायत किया है और दोनो पक्षों को ऐसा लगता है कि सुनवाई निष्पक्ष नहीं हुई है। आयोग की सदस्य नीता विश्वकर्मा को इस प्रकरण से संबंधित सभी शिक्षिकाओं से गोपनीय गवाही लिये जाने के निर्देश आयोग की अध्यक्ष ने दिया है। दोनो पक्षों और शिक्षिकाओं की गवाही लेने के पश्चात इस प्रकरण का निराकरण किया जा सकेगा। बैठक में जिला अध्यक्ष श्रीमती भगवती राजवाडे़, महिला बाल विकास के जिला कार्यक्रम अधिकारी चंद्रबेस सिसोदिया, एसडीओपी प्रकाश सोनी, जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल तथा अन्य अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

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