जशपुर जिला भाजपा ने आपातकाल की बरसी को मनाया काला दिवस के रूप में, बताया इतिहास का सर्वाधिक काला काल-खंड

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प्रदेश के कॉंग्रेस के शासन में आज भी अभिव्यक्ति के अधिकारों पर इतना कड़ा पहरा है, असहमति की आवाजों को ऐसे ही दबाया जाता है

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, जशपुर

आज जिला भाजपा कार्यालय जशपुर में बिलासपुर संभाग के संगठन प्रभारी कृष्ण कुमार राय के मुख्य आतिथ्य में एवं जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती रायमुनी भगत, जिला भाजपा अध्यक्ष रोहित साय की उपस्थिति में बैठक आहूत की गई, जिसमें आपातकाल की बरसी को काला दिवस के रूप में मनाया गया। बैठक को बिलासपुर संभाग के संगठन प्रभारी कृष्ण कुमार राय ने संबोधित करते हुए कहा कि आज की आज़ादी हमने कांग्रेस से लड़ कर पायी है।

हम सब जानते हैं कि 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल घोषित था। तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तब की प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल लगा दिया था। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे अलोकतांत्रिक काल था। आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए तथा नागरिक अधिकारों को समाप्त करके मनमानी की गई। लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने इसे भारतीय इतिहास की सर्वाधिक काली अवधि कहा था।

आपातकाल की घोषणा होते ही स्वयंसेवकों और समस्त गैर कांग्रेसी नेताओं की गिरफ्तारी शुरू हो गयी। उन पर प्रताड़नाओं का ͧसिलसिला सा चल पड़ा। देश भर से लाखों लोग सत्याग्रह करके जेल गए और लाखों लोगों को गिरफ्तार किया गया। लोकनायक जयप्रकाश नारायण, मोरारजी भाई देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, के.आर.मलकानी,  अरुण जेटली, जॉर्ज फर्नांडिस, नीतीश कुमार, सुशील मोदी, रामविलास पासवान, शरद यादव, रामबहादुर राय सहित हज़ारों लोग गिरफ्तार कर लिए गए थे। अभी के छत्तीसगढ़ में वरिष्ठ भाजपा नेता सच्चिदानंद उपासने भाईयों सहित जेल में थे। स्वर्गीय बद्रीधर दीवान सहित सैंकड़ो लोगों पर आपातकाल का कहर किस हद तक टूटा था, यह आज भी इतिहास ही है। उस समय जितने लोगों को गिरफ्तार किया गया था, उन्हें यह भी नही पता था कि आपातकाल कब हटेगा और वो कब रिहा होंगे।

दशकों से हमें सेक्युलरिज्म और सोशलिज्म जैसे शब्दों से डराने की कोͧशिश की जाती है। जबकि तथ्य यह है कि ये दोनों शब्द आपातकाल से पहले हमारे संविधान का हिस्सा थे ही नहीं। आपातकाल में जब सारी ताकतें केवल एक व्यक्ति में केन्द्रित कर दी गयी थी। राष्ट्रपति, न्यायपालिका, संसद सहित सभी संवैधानिक निकाय निष्प्रभावी कर दिए गए थे,  तब पंथनिरपेक्षता और समाजवाद  इन दोनों शब्दों को संविधान की प्रस्तावना में चुपके से डाल दिया गया था।

यह खासकर याद रखना होगा कि आपातकाल के दौरान अभिव्यक्ति की आजादी को भी बुरी तरह कुचल दिया गया था। मीडिया पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया था। इमरजेंसी लगाने के तत्काल बाद अख़बारों के दफ्तरों की बिजली काट दी गई थी, ताकि ज्यादातर अख़बार अगले दिन आपातकाल का समाचार ना छाप सकें। आपातकाल के दौरान 3801 अख़बारों को बंद किया गया। 327 पत्रकारों को मीसा कानून के अंतर्गत जेल में बंद कर दिया गया। 290 अखबारों में सरकारी विज्ञापन बंद कर दिए गए। ब्रिटेन के The Times और The Guardian जैसे कई समाचार पत्रों के 7 संवाददाताओं को भारत से निकाल दिया गया। राइटर्स सहित कई विदेशी न्यूज़ एजेंसियों के टेलीफोन और दूसरी सुविधाएं काट दी गई। 51विदेशी पत्रकारों की मान्यतायें छीन ली गई।29 विदेशी पत्रकारों को भारत में एंट्री देने से मना कर दिया गया।

छत्तीसगढ़ सहित जिन मुट्ठी भर प्रदेशों में कांग्रेस या उसके प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष समर्थित दलों का शासन है, वहां क्या हो रहा है, देख लीजिए। महाराष्ट्र में किस तरह से असहमति के कारण अभिनेत्री का घर ढहा दिया जाता है, पत्रकारों के साथ कैसा सलूक होता है। पालघर के साधुओं को भीड़ द्वारा लिंच कर देने की खबर दिखाने के कारण अर्णव गोस्वामी और उनकी टीम के साथ कॉंग्रेस समर्थित सरकार ने वहां कैसा बर्बर अत्याचार किया, यह उदाहरण सामने है, ये तमाम चीजे महज़ संयोग नही बल्कि प्रयोग है। यही आपातकाल वाली कांगेस की मूल वृत्ति है। आप पश्चिम बंगाल का उदाहरण देख लीजिए। कॉंग्रेस कम्युनिस्ट के प्रत्यक्ष समर्थन से चुन कर आयी सरकार सत्ता में आते ही कार्यकर्ताओं द्वारा किस नृशंस तरीके से हत्या, बलात्कार और लूट आदि को अंजाम दे रही है। वास्तव में ऐसे तमाम उदाहरण आपातकाल जैसी मनोवृत्ति के ही है।

प्रदेश की कॉंग्रेस के शासन में आज भी अभिव्यक्ति के अधिकारों पर इतना कड़ा पहरा है, असहमति की आवाजों को ऐसे दबाया जाता है, जिसका कोई सानी नही है। हाल ही में कॉंग्रेस ने छत्तीसगढ़ में धरना प्रदर्शन आदि के लिए ऐसी ऐसी शर्ते लाद दी है कि किसी भी संगठन के द्वारा अब समस्त आयोजन बस सरकार की कृपा दृष्टि के मुहताज रहेगे या आयोजकों को जेल में डाल दिया जाएगा। यहां छोटी-छोटी असहमतियों तक के लिए, देशभक्त समूहों द्वारा शासन की चुनौतियों के खिलाफ लिखे पोस्ट के लिए संगीन आरोपों में मुकदमा कर उन्हें जेल में डाल दिया जाता है। वस्तुतः कॉंग्रेस का मूल चरित्र ही आपातकाल की मानसिकता वाला है। आपातकाल के संदर्भ में एक खास बात हमें बार-बार स्मरण रखने की है कि आज 2021 में हम जिस आजादी की हवा में सांस ले रहे हैं, यह आजादी हमने कॉंग्रेस से लड़ कर हासिल की है। फिरंगियों-अंग्रेजों से गांधी सुभाष के नेतृत्व में लड़ कर हमें जो आजादी मिली थी, वह 1975 में हमने खो दी थी। कॉंग्रेस ने वो आजादी हमसे छीन ली थी।

बैठक के अंत में जिला महामंत्री ओमप्रकाश सिन्हा ने आगामी होने वाले जिला प्रशिक्षण की तैयारी के संबंध में चर्चा और प्रशिक्षण के महत्व को बताया। बैठक को आपातकाल में मीसा बंदी रहे विश्वनाथ सिंह एवं जिला भाजपा अध्यक्ष रोहित साय ने भी सम्बोधित किया। जिला भाजपा मीडिया प्रभारी फैज़ान सरवर खान द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार बैठक में मुख्य रूप से पूर्व विधायक भरत साय, पूर्व विधायक राजशरण भगत, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य नरेश नंदे, जिला भाजपा महामंत्री द्वय ओम प्रकाश सिन्हा, सुनील गुप्ता, जिला उपाध्यक्ष भरत सिंह, जिला मंत्री देवधन नायक एवं सुनील अग्रवाल, जिला पंचायत उपाध्यक्ष उपेन्द्र यादव, नगर पालिका उपाध्यक्ष राजू गुप्ता,  गोपाल राय, विजय आदित्य सिंह जूदेव, गोविंद राम भगत, सालिक साय, संतोष सिंह, रजनी प्रधान,  अनिता सिंह, शांति भगत, राजकपूर भगत, शारदा प्रधान, मुनेश्वर केसर, नितिन राय, संतोष सहाय, कपिलेश्वर सिंह, कपिल साय,  सुनील राय, तुलाधार यादव,  शरद चौरसिया, विजय सहाय, विनोद निकुंज,  मैनेजर राम, अरविंद भगत, टुन्नू सोनी, नीतू गुप्ता, एंजेला खेस, पिंकी लकड़ा, मुन्नी गुप्ता, दीपक गुप्ता, गणेश गुप्ता, रविन्द्र पाठक, गणेश साहू, अमित साय, निखिल गुप्ता, अभिषेक मिश्रा, राहुल गुप्ता, अभिषेक गुप्ता, राजा सोनी, दीपू मिश्रा, कृष्णा गुप्ता, रुद्रेश्वर यादव, आशु राय,  बेंजामिन कुजूर एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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