खरीफ कृषक वैज्ञानिक परिचर्चा का हुआ आयोज, कृषकों को धान एवं सोयाबीन फसलों के खेतों में अतिरिक्त जल की निकासी करने की दी गई सलाह

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नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना, गोधन न्याय योजनाए वर्मी कम्पोस्ट उपयोग लाभ, जैविक कीटनाशक निर्माण एवं उपयोग, खरीफ  की कीट व्याधि प्रबंधन सहित विभिन्न विषयों पर हुई परिचर्चा

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो

राजनांदगांव. कृषि विभाग जिला राजनांदगांव एक्सटेंशन रिफार्म्स ‘आत्मा योजनांतर्गत खरीफ कृषक वैज्ञानिक परिचर्चा वर्ष 2021 का आयोजन आज शहीद वीर नारायण सिंह भवन कौरीनभाठा में किया गया। कार्यक्रम में जिले के सभी विकासखण्डों से 50 प्रगतिशील कृषक, खरीफ  कृषक वैज्ञानिक परिचर्चा में शामिल हुये। कार्यक्रम में उप संचालक कृषि जीएस धुर्वे, कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. बीएस राजपूत, डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर राजु कुमार, पशुपालन विभाग के सहायक पशुचिकित्सा अधिकारी डॉ. ममता मेश्राम, डॉ. खूबचंद बघेल कृषक अंलकरण से सम्मानित कृषक बिसेसर दास साहू एवं एनेश्वर वर्मा तथा राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय सम्मानित कृषक मंजीत सिंह सलूजा एवं भूपेन्द्र कतलाम की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम में शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा अउ बाड़ी, गोधन न्याय योजना, वर्मी कम्पोस्ट उपयोग लाभ, राजीव गांधी किसान न्याय योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, फसल अवशेष प्रबंधन, बीज उपचार, वेस्ट-डी कम्पेाजर बीज उत्पादन कार्यक्रम, जैविक कीटनाशक निर्माण एवं उपयोग, खरीफ  की कीट व्याधि प्रबंधन आदि विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई।

उप संचालक कृषि जीएस धुर्वे ने ग्रीष्मकालीन धान के बदले दलहन-तिलहन फसलों की खेती के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने मक्का, मूंग, गेहूँ, चना, सरसों, तिवड़ा, कुसुम, अलसी आदि कम जल मांग वाली फसलों की खेती एवं उसके लाभ के बारे में कृषकों को परिचर्चा में ज्ञानवर्धन किया तथा राजीव गांधी किसान न्याय योजनांतर्गत कृषकों को पंजीयन कराने संबंधित विस्तृत जानकारी एवं लाभ के बारे में भी बताया। जिले में लगातार हो रही वर्षा को ध्यान में रखते हुये कृषकों को धान एवं सोयाबीन फसलों के खेतों में अतिरिक्त जल की निकासी करने की सलाह भी दी गई एवं कीट व्याधि आदि का सतत निगरानी करने की अपील की गई। कृषि विज्ञान केन्द्र के बीएस राजपूत द्वारा खरीफ फसलों में लगने वाले कीट एवं बीमारियों के प्रबंधन एवं रबी फसल हेतु दलहन-तिलहन फसलों के उन्नत किस्मों एवं मशरूम के उत्पादन के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर राजु कुमार साहू द्वारा वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग एवं लाभ, वर्षा जल के संवर्धन, कम जल मांग वाली फसलों जैसे-अलसी, कुसुम, चना एवं विभागीय योजना के बारे में बताया गया। महिला समूहों को जैविक कीटनाशक के निर्माण एवं विक्रय प्रबंधन के बारे में जानकारी दी गई।

मंजीत सिंह सलूजा द्वारा कृषकों को संतुलित पोषक तत्वों के उपयोग एवं कीट व्याधि के नियंत्रण एवं चने फसल की खेती की उन्नत तकनीक के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी कृषकों को दी गई। बिसेसर दास साहू ने कृषकों को सब्जी वर्गीय फसलों की खेती करने एवं कीट बीमारी के नियंत्रण हेतु जैविक विधि के बारे में बताया तथा कृषकों को उन्नत बीज के उपयोग के बारे में जानकारी दी। भूपेन्द्र कतलाम ने जैविक कीट-व्याधि नियंत्रण की विधियों एवं जैविक कीटनाशक तैयार करने एवं उपयोग के बारे में बताया। एनेश्वर वर्मा ने खेतों के मेढ़ो में उगे हुये खरपतवार के प्रबंधन एवं मेढ़ो में फलदार पौधे लगाने एवं उनसे होने वाले आर्थिक लाभ के बारे में बताया। मुनगा जैसे लाभप्रद पौधो के रोपण, पोषण वाटिका तैयार कर तथा बागवानी फसलों के साथ-साथ कम समय में अधिक लाभ देने वाले उच्च बाजार मूल्य वाली खेती के बारे में कृषकों को जानकारी दी। कार्यक्रम में उप संचालक कृषि द्वारा वर्मी कम्पोस्ट के प्रचार-प्रसार एवं वितरण में विशेष सहयोग प्रदान करने हेतु कृषक संगवारी को प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया गया।

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