एसईसीएल से प्रभावित आवेदिकागणों को उनके अधिकार दिलाना आयोग की जिम्मेदारी-डॉ नायक

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न्यायालय में लंबित प्रकरणों पर आयोग में सुनवाई संभव नही

आपसी सहमति से कानूनन पति-पत्नी का विवाह विच्छेद मान्य

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो,

रायपुर, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्यगण सुश्री शशिकांता राठौर, श्रीमती अनीता रावटे एवं श्रीमती अर्चना उपाध्याय की उपस्थिति में आज शास्त्री चौक स्थित, राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की गई। आज जनसुनवाई में 20 प्रकरण में 15 पक्षकार उपस्थित हुए तथा 4 प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया शेष अन्य प्रकरण को आगामी सुनवाई में रखा गया है।

आज सुनवाई के दौरान एसईसीएल से संबंधित एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उन्होंने 18 वर्ष तक अपनी जमीन के लिए संघर्ष किया है। लगभग छः एकड़ जमीन एसईसीएल द्वारा अधिग्रहित किया गया है। जिसमें तीन एकड़ से कोयला निकाला गया है आयोग में प्रकरण दर्ज करने के बाद सितम्बर 2020-2021 में नौकरी के पूर्व की ट्रेनिंग अनावेदकगणों ने चालू किया है। प्रकरण में अन्य शेष अनावेदकगणों में से एक आवेदिका का दो एकड़, दूसरी आवेदिका का 58 डिसमिल, तीसरी आवेदिका का 28 डिसमिल का जमीन लिया गया है। यह तीनों आवेदिका साक्षर हैं, इनके साथ अनावेदकगणों ने नौकरी से संबंधित जो भी दस्तावेज और फाइल बनायी है और उनकी पॉलिसी से संबंधित समस्त दस्तावेज लेकर आगामी सुनवाई में आयोग में उपस्थित होने के निर्देश दिए गए है। साथ ही किसी भी तरह से आवेदिकागणों के ऊपर किसी प्रकार का मानसिक दबाव न डाला जाये इस बात का विशेष ध्यान एसईसीएल को रखने कहा गया।उभय पक्षों का बयान आयोग में दर्ज किया जायेगा। किसी भी आवेदिका के साथ किसी भी प्रकार से भेदभाव न हो यह आयोग की जिम्मेदारी है।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदकगण के मकान में रहने देने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया है क्योंकि वह 4,000 रुपये प्रतिमाह कमाती है जिससे बच्चों का भरण पोषण, घर का किराया अकेले वहन करना सम्भव नही है, उसके दोनो बच्चे अनावेदकगणों के साथ प्रातः 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक रहते हैं। अनावेदिका को समझाइश दिए जाने पर वह आवेदिका को अपने साथ घर मे जगह देने के लिए सहमत नही है। आयोग की समझाइश पर अनावेदिका ने समय की मांग की है इस प्रकरण का निराकरण आगामी  सुनवाई में किया जाएगा।

इसी तरह एक अन्य प्रकरण में अनावेदकगणों ने अपना दस्तावेज प्रस्तुत किया है और दस्तावेजों की प्रति आवेदिका को दिया । अनावेदक के दस्तावेज में उच्च न्यायालय में प्रकरण लंबित है। आवेदिका का कथन है कि उसे इस तथ्य की जानकारी नही है। आवेदिका द्वारा समस्त दस्तावेज को पढ़ने के बाद आगामी सुनवाई में आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखने के लिए समय मांगा है।

आज प्रस्तुत प्रकरण में आयोग की समझाइश पर पति पत्नी आपसी राजीनामे से तलाक के लिए तैयार हुए। पति-पत्नी अपनी अपनी शर्त आयोग के समक्ष रखेंगे और अनावेदक के घर मे आवेदिका के जो भी वस्तुएं है उसे अनावेदक आगामी सुनवाई में लेकर उपस्थित होंगे,तब आपसी राजीनामा से तलाक की प्रक्रिया विधिवत न्यायालय में प्रारंभ की जाएगी।अनावेदक ने आयोग के समक्ष आवेदिका को 5 हज़ार रुपये प्रतिमाह देने सहमति दिया।इस प्रकरण को पति पत्नी के मध्य तलाक होने तक निगरानी में रखा गया है।एक अन्य प्रकरण में आवेदिका अपने पति के साथ रहना चाहती है,परन्तु पति और सास-ससुर से परेशान है। बेटी पैदा होने पर मानसिक रूप से प्रताड़ित करते है और पति दूसरी शादी करना चाहता है। अनावेदक का कहना है कि पत्नी की हरकतों से परेशान है पुत्री के परवरिश के लिये पुत्री को अपने साथ रखना चाहता है। किसी भी शर्त पर पत्नी को नहीं रखना चाहता है। मम्मी-पापा, भाई-बहनो को आवेदिका अनावश्यक रूप से न फंसाये ऐसी स्थिति में आयोग के द्वारा मोवा थाना में एफआईआर दर्ज कराये जाने की सलाह दी गई। इस आधार पर प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।

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