संक्रामक रोगों, बैक्टीरिया एवं वायरस से लड़ने में मददगार है टीकाकरण, विश्व टीकाकरण दिवस पर लोगों को किया जाएगा जागरूक
November 9, 2022समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, तखतपुर–बिलासपुर
टीकाकरण शिशु की सुरक्षा में मददगार होता है। सभी आयु वर्ग के बच्चों को विभिन्न संक्रामक रोगों और बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके प्रति जन-जागरुकता फैलाई जा सके, इसी उद्देश्य से 10 नवंबर को टीकाकरण दिवस मनाया जाता है। इसी कड़ी में गुरूवार को स्वास्थ्य केन्द्र में लोगों को टीकाकरण के लिए जागरूक करते हुए विश्व टीकाकरण दिवस मनाया जाएगा। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अनिल श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में इसकी जानकारी भी विशेष दिवस पर स्वास्थ्य केन्द्र में लोगों को दी जाएगी।
इस संबंध में खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुनील हंसराज ने बताया: “बच्चों के जीवन और भविष्य की सुरक्षा के लिए सबसे प्रभावी और किफायती तरीकों में से एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, टीकाकरण से कई जानलेवा रोगों जैसे डिप्थीरिया, टिटनेस, पोलियो, खसरा, निमोनिया और रोटावायरस आदि को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा भी कई टीके हैं जो अन्य रोगों के नियंत्रण में सहायक हैं। शिशु के जन्म के फौरन बाद ही टीकाकरण का चक्र शुरू हो जाता है। इसलिए बच्चों का टीकाकरण अवश्य करवाना चाहिए। “ उन्होंने आगे बताया “ नन्हें शिशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता इतनी नहीं होती है कि वो हर तरह के वायरस और बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ सके। इसलिए शिशु के पैदा होने के बाद उसे कुछ खास तरह की दवाएं टीके के माध्यम से दी जाती हैं। बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने के लिए और वायरस-बैक्टीरिया से बच्चों को बचाने के लिए टीके लगाए जाते हैं। बच्चों को सही समय पर और सभी टीके लगाना बेहद जरूरी होता है। एक वर्ष तक बच्चों में संक्रमण की संभावना ज्यादा होती है एव 5 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक बच्चे कई बार संक्रमण काल से गुजरते हैं। यदि बच्चा समय से पूरी वैक्सीन ले ले तो शरीर मे इतनी प्रतिरोधक क्षमता बन जाती है जिससे शिशु मृत्यु दर बहुत ही कम हो जाती हैI”
जरूरी टीके – टीकाकरण शिशुओं को कई जानलेवा बीमारियों जैसे – खसरा, टेटनस, पोलियो, क्षय रोग(टीबी), गलघोंटू, काली खांसी तथा हेपेटाईटिस “बी” से बचाव के लिए लगाया जाता है। शिशु के लिए पहला सबसे जरुरी टीका बीसीजी का लगाया जाता है। यह टीका खसरा से बचाव करता है। इसके बाद हेपेटाइटिस बी, ओपीवी ( ओरल पोलियो ड्राप) , पेंटा का टीका, आईपीवी (इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन) लगाई जाती है। इसके अलावा रोटावायरस वैक्सीन, एमआर ( मिजल्स रूबेला वैक्सीन) तथा टाइफाइड का वैक्सीन लगाया जाता है। टीकों की जानकारी और टीकाकरण के बारे में पूरी जानकारी के लिए नजदीकी सरकारी अस्पताल एवं बच्चों के डॉक्टर से संपर्क किया जा सकता है। इसके अलावा कुछ वैकल्पिक टीके भी हैं। जैसे – न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन, इन्फ्लुएंजा फ्लू का टीका , मेनिन्जोकोकल मेनिंजाइटिस, चिकनपॉक्स (वेरीसेला) , जापानी इंसेफेलाइटिस और हैजा (कॉलरा) का टीका।
टीकाकरण कार्यक्रम – भारत में राष्ट्रीय टीकाकरण नीति को वर्ष 1975 में अपनाया गया था, जिसका शुभारंभ EPI (Expanded Program of Immunization) द्वारा प्रांरभ किया गया। जिसे 1985 में बदलकर यूनीवर्सल इम्युनाइजेशन प्रोग्राम (UIP) करके सम्पूर्ण भारत वर्ष में लागू कर दिया गया।