रायपुर जिले के महत्वपूर्ण समाचार संक्षेप में……..

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो,

पोषण के लिए मुनगा के उपयोग को बढ़ावा देने मनरेगा अभिसरण से लगाए जाएंगे इसके पौधे, राज्य मनरेगा कार्यालय ने सभी कलेक्टरों को जारी किया परिपत्र

रायपुर. सुपोषण के लिए पोषक तत्वों से भरपूर मुनगा के उपयोग को बढ़ावा देने मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) अभिसरण से इसके पौधे लगाए जाएंगे। राज्य मनरेगा आयुक्त श्री मोहम्मद कैसर अब्दुलहक ने इसके लिए सभी जिलों के कलेक्टर-सह-जिला कार्यक्रम समन्वयक (मनरेगा) को परिपत्र जारी किया है। उन्होंने केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के दिशा-निर्देशों और प्रावधानों के अनुसार इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही करने कहा है। 

राज्य मनरेगा कार्यालय द्वारा जारी परिपत्र में कलेक्टरों को अवगत कराया गया है कि मुनगा वृक्षारोपण सामुदायिक या व्यक्तिगत संपत्ति (अत्यंत गरीब परिवार के लिए) कार्य के रूप में एक अनुमेय उद्यानिकी गतिविधि है। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा मई-2020 में व्यक्तिगत लाभार्थियों और समुदाय के लिए पोषण उद्यान को बढ़ावा देने राज्य शासन की योजनाओं और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के साथ अभिसरण से मुनगा वृक्षारोपण कार्य लिए जाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किया गया है।

परिपत्र में कहा गया है कि दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) अपनी विभिन्न पहलुओं के माध्यम से मुनगा वृक्षारोपण को बढ़ावा दे रहा है। कुछ राज्यों में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (SRLM) द्वारा स्वसहायता समूहों के सदस्यों के बीच वितरण के लिए मुनगा की नर्सरी तैयार की गई है। दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में बड़ी संख्या में कृषि सखी को भी प्रशिक्षित और तैनात किया गया है, जो वृक्षारोपण व कृषि-पोषक उद्यान को बढ़ावा देने और रखरखाव के काम से अच्छी तरह परिचित हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में एग्रो-इकोलॉजिकल प्रेक्टिस एवं फॉरवार्ड-लिंकेज के लिए महिला किसान सदस्यों के साथ बड़ी संख्या में उत्पादक समूहों की स्थापना की गई है। परिपत्र के साथ कलेक्टरों को मनरेगा के तहत मुनगा वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के लिए केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय से प्राप्त संयुक्त एडवायजरी भी प्रेषित की गई है।

दीपावली के अवसर पर कुम्हारों, स्व-सहायता समूहों, छोटे कारीगरों से नहीं लिया जाएगा कोई भी कर या शुल्क, मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन को जारी किए निर्देश, आम जनता से स्थानीय कारीगरों द्वारा तैयार सामग्री खरीदने की अपील

रायपुर, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दीपावली के अवसर पर कुम्हारों, स्व सहायता समूहों, छोटे कारीगरों से कोई भी कर या शुल्क नहीं लेने और उन्हें पूर्ण सहयोग और समस्त आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश जिला प्रशासन को दिए हैं। ज्ञातव्य है कि इन लोगों द्वारा दीपावली के मौके के लिए विशेष रुप से तैयार की गई सामग्रियों की बिक्री के लिए स्टॉल, दुकानें लगाई जाती हैं। कुम्हार द्वारा दीये, दीप, मूर्तियों, स्व-सहायता समूहों और छोटे कारीगरों द्वारा अनेक सजावटी सामग्री सहित अपने तैयार उत्पादों की बिक्री की जाती है। इन लोगों पर कोई आर्थिक बोझा न पड़े और वे लोग सुविधाजनक रूप से सामग्रियों का विक्रय कर सकें, इसलिए मुख्यमंत्री ने इन लोगों को पूर्ण सहयोग और सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने आज लखनऊ प्रवास पर रवाना होने के पहले ये आदेश जारी किए। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इसी कड़ी में आम जनता से भी यह अपील की है कि वे दीपावली के मौके पर स्थानीय कारीगरों द्वारा तैयार सामग्रियां क्रय कर उन्हें भी अपनी खुशियों में शामिल करने की पहल करें।

जेनेरिक दवाइयां खरीदने के लिए श्री धन्वंतरी मेडिकल स्टोर्स में उमड़ रही भीड़, कम कीमत में ब्रांडेड जैसी गुणवत्तावाली जेनेरिक दवाइयां खरीद रहे हैं लोग

रायपुर, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा शुरु की गई श्री धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर्स योजना के अंतर्गत प्रदेश भर में खोले गए मेडिकल स्टोर्स में हर रोज दवा खरीदने वालों की भीड़ उमड़ रही है। इन मेडिकल स्टोर्स में अधिकतम खुदरा मूल्य पर 50 से 71 प्रतिशत छूट के साथ प्रतिष्ठित कंपनियों की जेनेरिक दवाएं उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराई जा रही हैं। छत्तीसगढ़ हॉस्पिटल बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता का कहना है कि गुणवत्ता के मामले में जेनेरिक दवाएं किसी भी मायने में ब्रांडेड दवाओं से कम नहीं होती हैं। सभी प्रतिष्ठित दवा कंपनियां ब्रांडेड के साथ जेनेरिक दवाईयां भी बनाती हैं। जिन देशों में जेनेरिक दवाईयां इस्तेमाल होती हैं, वहां इनका निर्यात भी होता है। उन्होंने कहा कि सभी डॉक्टर इस बात को जानते हैं कि जेनेरिक दवाईयां भी अच्छी गुणवत्ता की होती हैं और ये ब्रांडेड दवाईयों से किसी भी प्रकार से अलग नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि जेनेरिक दवाएं कम कीमत पर इसलिए मिल जाती हैं क्योंकि कंपनियों को इन दवाओं की ब्रांडिंग पर खर्च नहीं करना पड़ता। जेनेरिक दवाइयां भारत सरकार के गुणवत्ता के मापदंड पर जांचने-परखने के बाद ही बाजार में उतारी जाती हैं। भारत में बिकने वाली सभी दवाओं को भारत सरकार से लाइसेंस लेना होता है, जो दवा के गुणवत्ता  परीक्षण के बाद ही जारी किया जाता है। एक ही कंपनी उसी दवा को ब्रांड के नाम से भी बेचती है और जेनेरिक नाम से भी बेचती है। कम गुणवत्ता की दवा को लाइसेंस ही नहीं मिल सकता है। जेनेरिक दवा गुणवत्ता के मामले में विश्वसनीय होती है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा शुरु की गई श्री धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर्स योजना में केवल अच्छी और नामी कंपनियों की जेनेरिक दवाएं ही बेची जा रही हैं।

असाक्षरों को साक्षर बनाने बनेगी विशेष कार्ययोजना

रायपुर, राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के नवनियुक्त संचालक राजेश सिंह राणा ने न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम के तहत प्रदेश के एक तिहाई असाक्षरों को साक्षर करने के लिए विशेष कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इस कार्ययोजना के माध्यम से बुनियादी साक्षरता और अंक ज्ञान के साथ असाक्षरों का कौशल विकास, जीवन कौशल, वित्तीय साक्षरता, कानूनी साक्षरता, डिजिटल साक्षरता, सतत शिक्षा और बुनियादी शिक्षा पर विशेष जोर दिया जाएगा।

श्री राणा ने कहा है कि असाक्षरों के लिए एक विशेष पाठ्यक्रम तैयार करने एससीआरटी में 28 अक्टूबर से कार्यशाला का आयोजन भी किया जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप अब स्टेट करिकुलम फ्रेमवर्क प्रौढ़ शिक्षा के लिए बनाया जाएगा, जिसमें आगामी 10 वर्ष की कार्य योजना तैयार की जाएगी। उन्होंने अधिकारियों को पढ़ना-लिखना अभियान अंतर्गत महापरीक्षा अभियान में शामिल लगभग दो लाख शिक्षार्थियों के डाटा सीजी स्कूल डॉट इन पोर्टल में 3 दिन के भीतर अपलोड किए जाने के निर्देश दिए। श्री राणा ने बताया कि पढ़ना-लिखना अभियान के सफल शिक्षार्थियों को एनआईओएस नई दिल्ली द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा। इसके लिए एक सप्ताह के भीतर कार्यवाही पूर्ण करने के निर्देश राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के अधिकारियों को दिए।

गौरतलब है कि श्री राजेश सिंह राणा ने आज 25 अक्टूबर को राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के संचालक का पदभार ग्रहण किया और इसके बाद उन्होंने मिशन प्राधिकरण के अधिकारियों की बैठक लेकर साक्षरता कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने असाक्षरों को साक्षर बनाने के लिए विशेष कार्ययोजना बनाने के भी निर्देश दिए। श्री राणा के पदभार ग्रहण के अवसर पर राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के सहायक संचालक श्री प्रशांत पांडे, श्री दिनेश टॉक, परियोजना सलाहकार निधि अग्रवाल, और नेहा शुक्ला, यूनिसेफ सलाहकार डॉ. मनीष वत्स और विकास भदोरिया सहित कर्मचारियों ने श्री राणा से सौजन्य भेंट कर उनका स्वागत किया।

राज्य में रबी फसलों की बोनी शुरू, 18.50 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई का लक्ष्य

रायपुर, राज्य में रबी फसलों की बोनी शुरू हो गई है। 25 अक्टूबर तक 20 हजार हेक्टेयर में रबी फसलों की बोनी की जा चुकी है, जिसमें दलहनी फसलों का रकबा सर्वाधिक है। इस साल राज्य में 18 लाख 50 हजार हेक्टेयर में रबी फसलों की बुआई का लक्ष्य कृषि विभाग द्वारा निर्धारित किया गया है, जो बीते वर्ष के रबी रकबे को लगभग 3 लाख हेक्टेयर अधिक है। बीते रबी सीजन में 17 लाख 45 हजार 680 हेक्टेयर में रबी फसलों की बोनी हुई थी। कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य में अब तक जौ, ज्वार एवं अन्य अनाज के फसलों की बोनी 560 हेक्टेयर में, दलहनी फसलों की खेती 11 हजार 450 हेक्टेयर में, तिलहनी फसलों की खेती 2100 हेक्टेयर में, गन्ना की बुआई 830 हेक्टेयर में तथा साग-सब्जी एवं अन्य फसलों की बुआई 5 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है।

रबी सीजन वर्ष 21-22 में अनाज की फसलों की बुआई के लिए 5 लाख 10 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें गेहूं 2.50 लाख हेक्टेयर में, ग्रीष्मकालीन धान की बुआई एक लाख हेक्टेयर में, मक्का 1.50 लाख हेक्टेयर, जौ-ज्वार एवं अन्य फसलों की बुआई 10 हजार हेक्टेयर शामिल है। रबी सीजन में चना की खेती के लिए 4 लाख हेक्टेयर, मटर के लिए 55 हजार हेक्टेयर, मसूर के लिए 40 हजार हेक्टेयर, मूंग के लिए 35 हजार, उड़द के लिए 30 हजार, तिवड़ा के लिए 2 लाख 30 हजार, कुल्थी के लिए 30 हजार हेक्टेयर इस प्रकार दलहनी फसलों की खेती के लिए कुल 8 लाख 20 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है। इसी प्रकार तिलहनी फसलों में अलसी, राई, सरसों, तिल, सूरजमुखी, कुसुम एवं मूंगफली की खेती के लिए 2 लाख 80 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। गन्न की खेती के लिए 45 हजार हेक्टेयर तथा साग-सब्जी की खेती के लिए 01 लाख 70 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य है।

रबी फसलों के बीज का भण्डारण एवं वितरण शुरू, समितियों एवं निजी क्षेत्र में 27610 क्विंटल बीज भण्डारित, किसानों ने किया अब तक गेहूं, चना, मटर, सरसों आदि के 2186 क्विंटल बीज का उठाव

रायपुर, राज्य में रबी फसलों की बुआई का सिलसिला शुरू हो गया है। कृषि विभाग एवं छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम द्वारा रबी फसलों के बीज का भण्डारण सहकारी समितियों में लगातार किया जा रहा है। अब तक सहकारी समितियों, कृषि विभाग, बीज उत्पादन कार्यक्रम एवं निजी क्षेत्र में रबी की विभिन्न फसलों के 27 हजार 610 क्विंटल बीज उपलब्ध हैं। जिनका वितरण भी किसानों को किया जा रहा है। कृषकों द्वारा अब तक 2186 क्विंटल बीज का उठाव किया गया है, जो कि भण्डारित बीज का लगभग 8 प्रतिशत है। कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार रबी सीजन 2021-22 में एक लाख 55 हजार क्विंटल गेहूं, 96 हजार 900 क्विंटल चना, 15 हजार क्विंटल मटर, 4 हजार क्विंटल सरसों तथा 59 हजार 100 क्विंटल अन्य रबी फसलों के बीज इस प्रकार कुल 2 लाख 90 हजार क्विंटल प्रमाणित बीज वितरण का लक्ष्य है। बीज निगम के पास वर्तमान में एक लाख 770 क्विंटल गेहूं, 65 हजार 20 क्विंटल चना, 1525 क्विंटल मटर, 1150 क्विंटल सरसों तथा 15065 क्विंटल अन्य रबी फसलों इस प्रकार कुल एक लाख 83 हजार 530 क्विंटल प्रमाणित बीज उपलब्ध हैं, जिनका भण्डारण समितियों में कराया जा रहा है।

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