किशोर न्याय अधिनियम 2015, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 तथा बाल अधिकारों के संरक्षण संबंधित द्वितीय त्रैमासिक समीक्षा बैठक सम्पन्न : एक्ट तो बना हुआ है लेकिन उसका इंप्लिमेंटेशन हो रहा है कि नहीं यह भी देखना है – न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

आज हम लोग यहां इस उद्देश्य के साथ नहीं बैठे हैं कि गलतियों को नहीं खोजें कि बल्कि हम यहां समीक्षा के लिए बैठे हैं। हमारा ध्यान कि गई गलतियों को सुधारना है।  भिन्न-भिन्न स्थान से आए हुए स्टैक होल्डर आपस में आइडिया ले सकते हैं। यह कार्य भोजन बनाने जैसा है। इसमें कौन-कौन सा मसाला डालेंगे, जिससे भोजन अच्छा बनेगा और अच्छा स्वाद आएगा।  सभी मसाले मिलकर स्वादिष्ट भोजन बनाते हैं। उसी के समान हमें इस कार्य हेतु प्रयास करना है।  यह उसी प्रकार है कि जब हम यात्रा करते हैं। हवाई जहाज या ट्रेन का ड्राइवर हमें हमारे गंतव्य तक नहीं पहुंचाता है बल्कि उसके पीछे परोक्ष रूप से अनेक लोगों का प्रयास रहता है। 

उपरोक्त विचार माननीय न्यायमूर्ति श्री गौतम भादुड़ी, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एवं कार्यपालक अध्यक्ष छ.ग. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर द्वारा आज होटल कोर्टयार्ड मेरियेट, रायपुर में किशोर न्याय अधिनियम 2015, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 तथा बाल अधिकारों के संरक्षण संबंधित द्वितीय त्रैमासिक समीक्षा बैठक के शुभारंभ अवसर पर व्यक्त किया गया।  उन्होंने आगे कहा कि आपको बालकों के कल्याण के लिए कार्य मिला है और यह विशेष कार्य है, जिसे भगवान भी देख रहे हैं।  आप के बहुत सारे दोस्त एवं परिचित होंगे, जिन्हें यह मौका ही नहीं मिला है,  जो यह नेक अवसर मिला है।  उसे हमें सार्थक करना है,  जिस प्रकार हम अपने बच्चों को देखना चाहते हैं।  उसी प्रकार इन्हें भी देखें आपको अच्छा लगेगा।  एक्ट तो बना हुआ है।  लेकिन उसका इंप्लिमेंटेशन हो रहा है कि नहीं यह भी देखना है।  उन्होंने पंचतंत्र की एक कहानी सुनाई कि एक गरीब व्यक्ति को कुछ आटा मिल जाता है और वह सपना देखने लग जाता है कि वह उसे बेचकर बकरी खरीद लेगा।  फिर बकरी के दूध से, बकरी के दूध को बेचकर धीरे धीरे अमीर हो जाएगा।  इसी समय नींद में उसका पांव आटे पर पड़ता है और आटा बीखर जाता है।  ऐसा बच्चों को नहीं लगना चाहिए कि यह एक ड्रीम है।  उन्होंने एक और कहानी बताया कि एक व्यक्ति को कहीं जाना था।  उसने स्वामी जी से पूछा कि आप मुझे रास्ता बताए।  स्वामी जी ने कहा कि रास्ता आपके पैरों के नीचे है, जो आपको अपनी मंजिल तक ले जाएगा।  आप सभी स्टैक होल्डरों से मेरा अनुरोध है कि आपको अवसर मिला है और आप बच्चों के लिए कार्य कर सकते हैं।  माननीय न्यायमूर्ति ने प्रसन्नता जाहिर की कि प्रथम त्रैमासिक बैठक और इस बैठक के बीच में काफी अच्छा कार्य हो रहा है, जो कि यहां पर बताये गये आंकडों से दृष्टिगोचर हो रहा है। 

कार्यक्रम को माननीय न्यायमूर्ति श्री पी.सैम कोशी, न्यायाधीश, छ.ग. उच्च न्यायालय एवं अध्यक्ष, किशोर न्याय कमेटी, छ.ग. उच्च न्यायालय, बिलासपुर ने संबोधित करते हुए कहा कि छ.ग.राज्य विधिक सेवा प्राध्किरण, बिलासपुर तथा राज्य बाल संरक्षण आयोग का कार्य बहुत ही सराहनीय है और वह बधाई के पात्र हैं कि वे बच्चों के लिए अपनी जिम्मेदारी को निभा रहे हैं।  उन्होंने कहा कि बच्चों के संरक्षण के लिए अलग-अलग विभाग कार्य कर रहे हैं।  यह कहा जा सकता है कि रास्ते सबके अलग-अलग है। परंतु मंजिल सभी कि एक ही है।  उन्होंने आगे कहा कि अब समय आ गया है कि अपने अपने विभाग कि चार दिवारी से बाहर आ कर मिलजुलकर एकजुट होकर काम करें, जिससे बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए काम किया जा सकें।

कार्यक्रम को माननीय न्यायमूर्ति श्री दीपक तिवारी, न्यायाधीश, छ.ग. उच्च न्यायालय एवं सदस्य, किशोर न्याय कमेटी, छ.ग. उच्च न्यायालय, बिलासपुर ने अपने उदबोधन में किशोर न्याय बोर्ड तथा पॉक्सो एक्ट कानून की दो महत्वपूर्ण एक्ट होना बताते हुए सभी स्टैक होल्डर्स को अपनी भूमिका निभाते हुए बच्चों की सुरक्षा एवं संरक्षा का कार्य एक दूसरे का साथ मिलकर काम करने का आव्हान किया। 

कार्यक्रम को माननीय श्रीमती तेजकुंवर नेताम, अध्यक्ष, छ.ग. राज्य बाल संरक्षण आयोग ने संबोधित करते हुए बताया कि पिछले बैठक के पश्चात् मैंने 15 जिलों का दौरा किया है और यह पाया है कि सभी जिलों में बैठक में लिये गये निष्कर्षो का लाभ उठाया है और अपेक्षानुसार कार्यों में कॉफी प्रगति की है।  मैं बाकी जिलों भी अपेक्षा करूंगी कि वे भी इसमें गंभीरतापूर्वक कार्य करें बाल संरक्षण आयोग हमेशा आपको सहयोग करने तत्पर रहेगा।

कार्यक्रम को यूनीसेफ के राज्य प्रमुख माननीय श्री जॉब जकारिया ने भी संबोधित किया।स्वागत भाषण श्री प्रतीक खरे, सचिव, छ.ग. बाल संरक्षण आयोग के द्वारा किया गया। 

आभार प्रदर्शन श्री आनंद प्रकाश वॉरियाल, सदस्य सचिव, छ.ग. राज्य विधिक सेवा प्राध्किरण, बिलासपुर के द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि एक नाबालिग जिसे यौन शोषण का शिकार बनाया गया है उसे बालिग पीड़ित से ज्यादा सुरक्षा की आवश्यकता है।  क्योंकि शारिरिक उत्पीड़न सामाजिक बहिष्कार और मानसिक उत्पीड़न का सामना करने की क्षमता बालिग व्यक्ति के मुकाबले नाबालिग में कम होती है।  हम यहां उपस्थित सभी इंटेलैक्चुअल लोग भली भांति जानते हैं कि राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में बच्चों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा का संरक्षण अति महत्वपूर्ण हैं।  यह मुश्कराते हुए मासूस प्रार्थी वास्तव में हमारे समाज के हाशिये में पड़े वर्गों में से एक है।  यह अक्षर यौन शोषण उत्पीडन पोर्नोग्राफी ऐसिड अटैक जैसी जघन्य अपराधों के शिकार हो जाते हैं।  ऐसे में हम सभी स्टैक होल्डर बडे बडे पदों पर आसीन हैं।  का नैतिक एवं संवैधानिक कर्तव्य है कि हम इन बच्चों की सुरक्षा एवं सम्मानित जीवन सुनिश्चित करने हेतु अथक प्रयास करें।  उन्होंने आज कार्य शाला में उपस्थित सभी सम्मान्नीय अतिथियों का आभार प्रदर्शन भी किया। 

आज के इस कार्यशाला में छ.ग. उच्च न्यायालय, बिलासपुर के रजिस्ट्रार जनरल श्री अरविंद कुमार वर्मा, सभी जिलों के जिला न्यायाधीश, प्रधान न्यायाधीश, किशोर न्याय बोर्ड, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव, जिले के किशोर न्याय समिति के अध्यक्ष / सचिव एवं पुलिस विभाग के अधिकारीगण, बाल आयोग व बाल संरक्षण आयोग के सदस्यगण, उच्च न्यायालय किशोर न्याय कमेटी के सचिव श्री देवेन्द्र कुमार, छ.ग.राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अवर सचिव श्रीमती कामिनी जायसवाल व श्री शशांख शेखर दुबे, विधिक सहायता अधिकारी एवं यूनीसेफ से श्री चेतना देसाई व श्री हितेश और श्रीमती शीतल शाश्वत वर्मा, विशेष सचिव, छ.ग.शासन एवं महिला एवं बाल विकास विभाग से संचालक, संचालनालय श्री दिव्या उमेश मिश्रा उपस्थित थे।

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