मेट ने कहा कठोर है मिट्टी,तो जिला पंचायत सीईओ ने गैती पकड़ कर खुद मिट्टी खोदर कहा नरम है मिट्टी, मेट और रोजगार सहायक को लगाई फटकार

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जिले के 3 सौ से अधिक ग्राम पंचायतो में 50 हज़ार से अधिक श्रमिक कार्यरत

मनरेगा योजना अंतर्गत कार्य करने वाले सदस्यो को गोदी नाप के अनुसार किया जा रहे है भुगतान

ग्राम स्तर पर जरूरत मंदो को ही रोजगार उपल्ब्ध कराने के दिए निर्देश- जिला पंचायत सीईओ

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, बलौदाबाजार

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ग्रामीण रोजगार मुहैया कराने का एक प्रमुख साधन है वर्तमान समय में किसानों के पास ग्राम स्तर पर कोई कार्य उपलब्ध नहीं हो पाता है। इस खाली समय में अपने को मनरेगा कार्यो में शामिल करके एवं अपने आय के साधन वृद्धि कर आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे है। जिले के सभी पंचायतों में पर्याप्त मात्रा में मनरेगा के कार्य स्वीकृत है। जिले के 385 पंचायतों में 50 हजार से अधिक श्रमिक कार्य कर रहे हैं। जिला पंचायत सीईओ गोपाल वर्मा ने आज ग्राम केसली, उड़ेला और भैसा में मनरेगा कार्य का निरीक्षण कर कार्यो का जायजा लिया। इस दौरान कार्य स्थल पर  मेट पंजी अधूरा पाए जाने पर गहरी नाराजगी प्रकट किया गया। मेट के द्वारा वास्तविक गोदी नही दे कर एक साथ सभी श्रमिकों को कार्य करने हेतु लगाया गया था साथ ही गोदी का इंद्राज मेट पंजी पर नहीं पाया गया।

श्री गोपाल वर्मा को मेट और उपस्थित कार्य करने वाले सदस्यो ने बताया कि मिट्टी कठोर है इसलिए गोदी कम खुदाई हो रही है इस पर तुरंत श्री गोपाल वर्मा कार्यस्थल पर गोदी खोद करके बताए कि मिट्टी कठोर नहीं, नरम है। नरम मिट्टी में निर्धारित गोदी के अनुसार खुदाई करने पर ही 221 रुपये का भुगतान प्रति दिवस किया जाएगा। साथ ही यह भी बताया गया कि कार्य पूरा नहीं करने पर राशि का भुगतान कम होगा और इससे मनरेगा के पंजीकृत सदस्यों को ही नुकसान उठाना पड़ेगा। उनके द्वारा बताया गया कि राज्य सरकार के द्वारा अतिरिक्त 50 दिवस का रोजगार मुहैया कराया जा रहा है यदि गोदी निर्धारित मापदंड के अनुसार नहीं पाया जाएगा तो निर्धारित 150 दिवस के राशि से कम राशि मिलेगा। क्षेत्र के श्रमिक अपने बीच सीईओ को पाकर प्रफुल्लित हुए एवं उनके द्वारा आश्वस्त किया गया कि वास्तविक गोदी नाप आपके अनुसार हम लोग कार्य करेंगे। महात्मा गांधी नरेगा में ग्राम पंचायतों को क्रियान्वयन एजेंसी बनाया जाता है ग्राम पंचायतों के द्वारा वार्ड वार कार्य प्रारंभ किया जाता है, यह सही नही है। इससे वास्तविक रूप से रोजगार की जरूरत वाले परिवार कार्य से वंचित हो जाते हैं एवं ऐसे लोग कार्यस्थल पर अधिक संख्या में उपस्थित रहते हैं जो कार्य करना नहीं चाहते। श्री वर्मा ने बताया कि ऐसे क्रियान्वयन एजेंसियों के सरपंच एवं ग्राम रोजगार सहायक के ऊपर कार्यवाही की जावेगी।

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