ग्रामीण एवं शहरी औद्योगिक पार्क अंतर्गत कुटीर, सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा देने की जरूरत : कलेक्टर ने रीपा एवं अर्बन इंडस्ट्रियल पार्क अंतर्गत कुटीर, सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के संबंध में ली उद्यमियों की बैठक

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शासन द्वारा ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग नीति 2023-24 लागू

कुटीर, सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों की स्थापना होने पर इकाईयों को औद्योगिक नीति के प्रावधानों के अधीन अनुदान, छूट व रियायत की होगी पात्रता

अर्बन इंडस्ट्रियल पार्क में होंगी विभिन्न गतिविधियां

ग्रामीण एवं नगरीय क्षत्रों में 3 से 5 एकड़ शासकीय भूमि का चिन्हांकन, सड़क, बिजली, पानी सहित अन्य सुविधाएं की जाएंगी विकसित

भूमि का आबंटन प्रथमत: अधिकतम 30 वर्षो हेतु पट्टाभिलेख पर किया जाएगा

भूमि आबंटन हेतु प्रब्याजी एवं भू भाटक तथा अन्य देय शुल्क छत्तीसगढ़ औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम 2015 के अंतर्गत जिले के निकटतम औद्योगिक क्षेत्र के लिए निर्धारित दर के 50 प्रतिशत के होगा बराबर

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, राजनांदगांव

शासन द्वारा ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग नीति 2023-24 लागू की गई है। जिसके अंतर्गत कुटीर, सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों की स्थापना होने पर इकाईयों को औद्योगिक नीति के प्रावधानों के अधीन अनुदान, छूट व रियायत की पात्रता होगी। इसी कड़ी में कलेक्टर श्री डोमन सिंह ने आज कलेक्टोरेट सभाकक्ष में रीपा एवं अर्बन इंडस्ट्रियल पार्क अंतर्गत कुटीर, सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के संबंध में उद्यमियों की बैठक ली। उन्होंने कहा कि अर्बन इंडस्ट्रियल पार्क के अंतर्गत चाहे ग्रामीण एवं शहरी औद्योगिक पार्क प्रदेश के किसी भी विकासखण्ड में क्यों न हो वहां वन, उद्यानिकी, पशुधन डेयरी, हाथकरघा, रेशम, एवं अन्य ग्रामोद्योग आधारित उद्योग के विस्तार के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने का लक्ष्य है। ग्रामीण एवं कुटीर औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना किया जाना है। जहां सड़क, पानी, बिजली जैसी अधोसंरचना एवं आवश्यक सुविधाएं संबंधित विभागों द्वारा विकसित किए जाएंगे। महिला एवं युवा स्वसहायता समूहों के माध्यम से गौठानों में गोबर के दिए, गोबर के गमले विभिन्न प्रकार के साबुन, बड़ी, पापड़, आचार, अगरबत्ती आदि अनेक छोटे-छोटे कुटीर उद्योग प्रारंभ किए जा रहे हंै। इन कुटीर उद्योगों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूत बन रही है एवं रूरल इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना की गई है। कलेक्टर ने कहा कि प्रदेश के लोगों को रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने के लिए तथा ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की आमदनी में बढ़ोत्तरी करने के लिए प्रमुख आधार ग्रामोद्योग ही हो सकता है। छत्तीसगढ़ के परिप्रेक्ष्य मेें यह ग्रामोद्योग कृषि, पशुधन एवं वनों पर आधारित ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग रहेंगे। उद्योगों की स्थापना हेतु ग्रामीण औद्योगिक पार्कों मे स्थित भूमि का उपयोग किया जायेगा। रीपा अंतर्गत उद्यमियों के चयन में निजी उद्यमी, युवाओं, पुरूष, स्वसहायता समूहों व मितान क्लबों को प्राथमिकता दी जायेगी। चयनित उद्यमी अनिवार्यत: उसी ग्राम पंचायत क्षेत्र के होने चाहिए जहां रीपा संचालित है।

कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि ग्रामीण एवं नगरीय क्षत्रों मे 3 से 5 एकड़ शासकीय भूमि का चिन्हांकन कर उसमे सड़क, बिजली, पानी इत्यादि की सुविधाएं संबंधित प्रशासकीय विभागों द्वारा विकसित की जायेगी। ऐसे भूमि का आबंटन छत्तीसगढ़ औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम 2015 के प्रावधानों के अंतर्गत किया जायेगा। भूमि का आबंटन प्रथमत: अधिकतम 30 वर्षो हेतु पट्टाभिलेख पर किया जायेंगे। ग्रामीण एवं कुटीर औद्योगिक क्षेत्रों मे अनुमोदित मानचित्र के अनुरूप 5 से 10 हजार एवं 20 हजार वर्गफुट के भूखण्ड विकसित किए जायेंगे। जिन्हें उद्यमियों की मांग अनुसार जिला कलेक्टर के अनुमोदन से संबंधित जिले के महाप्रबंधक जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र, द्वारा आबंटित किया जाएगा। भूमि आबंटन हेतु प्रब्याजी एवं भू भाटक तथा अन्य देय शुल्क छत्तीसगढ़ औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम 2015 के अंतर्गत जिले के निकटतम औद्योगिक क्षेत्र के लिए निर्धारित दर के 50 प्रतिशत के बराबर देय होगा। भूमि आबंटन से 3 माह के अंदर इकाई को कार्य प्रारंभ कर अधिकतम 01 वर्ष मे स्थापना कार्य पूर्ण करना होगा। कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि राज्य में कृषि, पशुधन एवं वनधन को शामिल करते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव गौठानों के रूप में की गई है। गौठानों के पुनजीर्वित होने के कुछ महीनों के भीतर ही गौठानों में अनेक प्रकार की आर्थिक गतिविधयां प्रारंभ हो गई है। ग्रामीण क्षेत्रों मे डेयरी, मुर्गी पालन व पशु पालन की अपार संभावनाएं है इस संबंध में पशु पालन विभाग द्वारा मार्गदर्शन दिया जाएगा।  पारम्परिक रूप से छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या मे बुनकर सूती एवं कोसा वस्त्रों का उत्पादन करते रहे हैं, जो कि देश-विदेश में लोकप्रिय है। कॉटन के हैण्डलूम वस्त्रों का उत्पादन शहतूत उत्पादन रेशम उत्पादन के भी कार्य किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि बुनकरों को संगठित कर हैण्डलूम वस्त्रों के उत्पादन और विक्रय कार्य में सहायता कार्य हथकरघा संघ द्वारा किया जा रहा है। पारम्परिक शिल्पी, रॉट आयरन, बेल मेटल, कॉष्ठ शिल्प, बांस शिल्प, आदि की कलाकृतियां, माटीकला के कार्य भी पारम्परिक रूप से होता रहा है। इसके लिए उन्होंने हाथकरघा विभाग से समन्वय करते हुए कार्य करने के लिए कहा। वनोपज आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश मे लघु वनोपज संघ महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। हर्बल ब्रान्ड के अंतर्गत अनेक वन औषधियों से संबंधित उत्पादों पर कार्य प्रारंभ किया गया है। इस उत्पादों की ब्रिक्री एवं ब्रांडिंग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

नगर निगम आयुक्त श्री अभिषेक गुप्ता ने कहा कि ग्रामीण एवं नगरीय क्षत्रों मे 3 से 5 एकड़ शासकीय भूमि का चिन्हांकन कर उसमे सड़क, बिजली, पानी इत्यादि की सुविधाएं संबंधित प्रशासकीय विभागों द्वारा विकसित की जायेगी। ऐसे भूमि का आबंटन छत्तीसगढ़ औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम 2015 के प्रावधानों के अंतर्गत किया जायेगा। भूमि का आबंटन प्रथमत: अधिकतम 30 वर्षो हेतु पट्टाभिलेख पर किया जायेंगे। ग्रामीण एवं कुटीर औद्योगिक क्षेत्रों मे अनुमोदित मानचित्र के अनुरूप 5 से 10 हजार एवं 20 हजार वर्गफुट के भूखण्ड विकसित किए जायेंगे। जिन्हें उद्यमियों की मांग अनुसार जिला कलेक्टर के अनुमोदन से संबंधित जिले के महाप्रबंधक जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र द्वारा आबंटित किया जाएगा। इस अवसर पर महाप्रबंधक जिला व्यापार एव उद्योग केन्द्र श्री बीपी वासनिक सहित जिले के उद्यमी एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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