जशपुर जिला अन्तर्गत बगीचा विकासखण्ड में संर्पदंश के संबंध में दिया गया प्रशिक्षण : संपर्दश पर तुरंत क्या करें, संपर्दश पर तुरंत क्या न करें सहित सर्पदंश प्रबंधन के विषयों पर दी गई जानकारी

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, जशपुर

बगीचा विकासखण्ड में आज संर्पदंश के संबंध में प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जिसमें सहायक शिक्षक तेतरटोली श्री कैंसर हुसैन के द्वारा सर्पदंश के संबंध में प्रशिक्षण प्रदाय किया गया। जिसमें सर्पदंश के बचाव का प्रशिक्षण प्रदाय किया जायेगा। प्रशिक्षण में संपच सुपरवाईजर डब्लू,सी.डी., मितानिन, एम.टी., बी.सी., स्वास्थ्य सुपरवाईन, सी.एच.ओ., ए.एन.एम, बैगा-गुनिया, गांव प्रमुख एवं सामाजिक कार्यरता उपस्थित थे। जिसमें संपर्दश पर तुरंत क्या करें, संपर्दश पर तुरत क्या ना करें सहित सर्पदंश प्रबंधन के विषयो पर जानकारी प्रदाय किया गया।

संपर्दश पर तुरंत क्या करें –

काटे गये जगह को साबून पानी से धोये, दांत के निसान की जांच करें, कही तहरीले सर्प के काटने का दो दंत का निशान तो नहीं, काटे हुए अंग को हृदय के लेवल से नीचे रखें,सर्प-दंश वाले अंग को फिक्स करें, बैंडेज घाव पर और उसके ऊपर लगायें, घायल व्यक्ति को सांत्वना दें, घबराहट से हृदयगति तेज चलने से ररक्त संचरण तेज हो जाएगा। और जहर सारे शरीर में जल्द फैल जायेगा। तुरंत अस्पताल ले जाएँ। यदि जहरीले सर्प ने काटा है तो एनिट वेनोम सांप-एवीएस लगवाए।

संपर्दश पर तुरत क्या ना करें-

बर्फ अथवा अन्य गर्म पदार्थ का इस्तेमाल काटे गये स्थान पर न करें, अशिक्षित व्यक्ति टर्निकेट अर्निकेट न बॉधें। इससे संबंधित अंग में रक्त प्रवाह पूरी तरह रूक सकता है एवं संबंधित अंग की क्षति हो सकती हैं। काटे गये स्थल पर चीरा न लगाएं यह आगे नुकसानन पहूचाता हैं। घायल को चलने से रोकें। शराब या नींद आने की कोई दवा नही दें। मुह से कटे हुए स्थान को न चुसे। मंत्र या त्रंत्रित के झांसे में न आये।

सर्पदंश प्रबंधन –

भय एवं चिन्ता न करें सभी सॉप जहरीले नहीं होते। सभी जहरीले सॉपों के पास हर समय पूरा जहर नहीं होता अअगर पूरा जहर हो तो भी वो इसका लिथल डोज हमेशा नहीं प्रवेश करा पातें है। सॉप के काटने के उपरान्त काटने के निशान की जांच करें। जॉच करे कि जहरीले या विषहीन सॉप ने काटा हैं। विषयों पर प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले को जानकारी प्रदाय किया जायेगा एवं सभी प्रशिक्षक अपने ग्राम में लोगों को जागरूक कर सकें एवं सर्पदंश से होने वाले मृत्यु दर को कम किया जा सके।    

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