समदर्शी न्यूज़, जशपुर : जिले में शिशु संरक्षण माह विटामिन ए अनुपूरक कार्यक्रम 16 फरवरी से 22 मार्च 2024 तक आयोजित किया जा रहा है जिसमें प्रति मंगलवार एवं शुक्रवार को वी.एच.एन.डी. सत्र आयोजित किया जा रहा है।

स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त जानकारी अनुसार शिशु संरक्षण माह अन्तर्गत 9 माह से 5 वर्ष के बच्चों को विटामिन ए की खुराक एवं आई.एफ.ए. सिरप पिलाकर प्रतिरक्षित किया जायेगा। शिशु संरक्षण माह कोई अलग कार्यक्रम नहीं है, बल्कि क्षेत्र के संदर्भ में बच्चों में उत्तरजीविता बढ़ाने के लिए आवश्यक अनुकूलतन पैकेज के साथ एकीकृत किया गया कार्यक्रम है। शिशु संरक्षण माह के दौरान विटामिन ए सिरप निर्धारित आयु 9 माह से से 5 वर्ष के बच्चों को निर्धारित अंतराल में पिलाया जाएगा। आई.एफ.ए. सिरप दिया जाएगा। ड्यू बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा। बच्चों का वजन लिया जाएगा। पोषण आहार के विषय में बच्चों की आयु के अनुरूप आहार की जानकारी दी जाएगी। आंगनबाड़ी स्थित सत्रों में संपूरक पोषण आहार की सेवाओं को हितग्राहियों की पात्रता व पोषण तत्वों की आवश्यकता के अनुरूप उपलब्ध कराया जाएगा। अति गंभीर कुपोषित बच्चे जो एसएएम की श्रेणी में हैं, उन्हें चिन्हित कर पोषण पुर्नवास केंद्रों में आहार की प्रदायगी सहित संक्रमण के उपचार हेतु भर्ती किए जाने जैसे सेवाओं के पैकेज दिये जायेंगे।

शिशु संरक्षण माह में आयोजित सत्र फरवरी में क्रमशः 16, 20, 27, तारीख और मार्च में 1, 5, 12, 15, 19, 22, तारीख को सत्रों का आयोजन होगा। जहां लक्षित 84282 बच्चों को विटामिन ए एवं आयरन सिरप पिलाया जायेगा तथा बच्चों का वजन भी लिया जायेगा। आयु एवं लंबाई के आधार पर कम वजन के बच्चों को कुपोषित बच्चों की श्रेणी में माना जाएगा और उन्हें जिले में संचालित पोषण पुनर्वास केन्द्र में 14 दिनों के लिए भर्ती करके उनके वजन में वृध्दि की जायेगी। पोषण पुनर्वास केन्द्र में बच्चे को भर्ती करने पर मां को कार्य क्षतिपूर्ति का राशि भी दिया जायेगा। जिले में 2641 सत्र आयोजित किये जायेंगे। इनमें पत्थलगांव मे 501, फरसाबहार में 360, कांसाबेल में 240, बगीचा में 630, कुनकुरी में 320, दुलदुला में 131, लोदाम में 270, मनोरा में 184 सत्र आयोजित किया जायेगा जिसमें बच्चों को विटामिन ए एवं आयरन सिरप पिलाया जायेगा।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आर.एस.पैंकरा द्वारा बताया कि विटामिन ए अनुपूरक एवं एनीमिया नियंत्रण से क्रमशः 20-20 प्रतिशत बाल मृत्यु में कमी आयेगी तथा 5 वर्ष के बच्चों में कुपोषण नियंत्रण से 45 प्रतिशत एवं शीघ्र एवं पूर्ण स्तनपान एवं समय पर ऊपरी आहार जारी रखने से 19 प्रतिशत बाल मृत्यु में कमी आयेगी।

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