कुष्ठ आश्रम मुडापार में एम.सी.आर, सेल्फ केयर किट का किया गया वितरण

ग्राम सभाओं में कुष्ठ जागरूकता संदेश का हुआ वाचन

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, कोरबा

कलेक्टर संजीव झा के मार्गदर्शन में जिले में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी 30 जनवरी को विश्व कुष्ठ रोग दिवस मनाया गया। साथ ही 30 जनवरी से 13 फरवरी 2023 तक ग्राम सभा में स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान (एस.एल.ए.सी.) चलाया जा रहा है। इसका उद्वेश्य राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उनके पुण्य तिथि पर श्रद्वांजलि देना और लोगों को कुष्ठ रोग के प्रति जागरूक करना है। स्पर्श जागरूकता अभियान के तहत मेडिकल काॅलेज कोरबा में कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें अधिक संख्या में विद्यार्थी , कर्मचारी और गणमान्य नागरिकगण उपस्थित थे। विकासखण्डों के समस्त ग्राम पंचायतों में तथा आश्रित ग्रामों में ग्राम सभा आयोजित कर कुष्ठ जागरूकता संदेश को पढा गया तथा शपथ लिया गया। कुष्ठ रोग से संबंधित जानकारी लक्षण बचाव के उपाय तथा उपचार के संबंध में जानकारी दी गई एवं प्रचार प्रसार के माध्यम से कुष्ठ के संबंध में भय एवं भ्रातिंयों को दूर किया गया। इसी क्रम में जिला कुष्ठ अधिकारी डाॅ.जी.एस.जात्रा के द्वारा आश्रम मुडापार में कुष्ठ रोगियों का एम.सी.आर. चप्पल, सेल्फ केयर किट तथा स्वल्पाहार प्रदान किया गया। इस अवसर पा डाॅ.असरफ अंसारी, जिला कार्यक्रम प्रंबधक, रीता गुप्ता, मिडिया अधिकारी, हरनारायण कुम्भकार एकाउंटेट तथा अन्य टी.बी. कुष्ठ विभाग के कर्मचारी उपस्थित थे।

    मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि जिले में स्पर्श जागरूकता अभियान 30 जनवरी से 13 फरवरी तक पखवाडे के रूप में मनाया जा रहा है। इस पखवाडे में ग्राम सभाओं के माध्यम से लोगो को कुष्ठ रोग के संबंध में जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एक भ्रम है कि यह बिमारी छुआछूत की है लेकिन ऐसा नही है। यह एक संक्रामक बीमारी है और ईलाज के बाद ठीक हो जाता है। उन्होने बताया कि अगर किसी के घर या आसपास कोई इस तरह व्यक्ति है जिसकी आंखों से लगातार पानी आ रहा है, हाथ पैर में छाले हो रहे हो, शरीर के कुछ हिस्से में गर्म ठंड का एहसास नही हो रहा है, शरीर में सुन्रता बढ रही हो, तव्चा पर हल्के रंग के धब्बे जो चपटे ओर फीके रंग के दिखाई दे और हथेली तलवों में सुन्नपान हो चेहरे या कान के आसपास सुजन हो दिखे ऐसी स्थिति में बिना देर किए तुरंत डाॅक्टर से संपर्क करे। अगर कुष्ठ का पता चलता है तो 6 माह से लेकर डेढ साल के अंदर ईलाज के बाद इस बीमारी को पूरी तरह खत्म किया जा सकता है। लोग इस बिमारी को लेकर अपनी जागरूकता बढाये और बिमारी से संबंधित मन में उठने वाली हर शंका कांे अपने डाॅक्टर से सवाल पूछकर दूर करे। कुष्ठ की जांच व उपचार जिला चिकित्सालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में निःशुल्क उपलब्ध है।

            सीएमएचओ ने बताया कि कुष्ठ रोग एक जीर्ण संक्रमण रोग है। इससे त्वचा आंखों,श्वसन तंत्र एवं तंत्रिकाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है, यह बिमारी मायकोबैक्टीरियम लैप्री नामक जीवाणु से होती है। हांलाकी यह बिमारी बहुत ज्यादा संकामक नहीं है लेकिन मरीज के लगातार संपर्क में रहने से सक्रंमण होने का खतरा बढ सकता है। बीमार व्यक्ति के श्वसन या छीकने पर बैक्टीरिया स्वास्थ्य व्यक्ति की सांस में चला जाए तो उसे कुष्ठ रोग संक्रमण हो सकता है। पूर्व में कुष्ठ रोग के प्रति ऐसा मत था कि यह रोग छूने से फैलता है यह सरासर गलत और भ्रामक है। वही मरीजों के आसपास रहने वाले व्यक्तियों को आवश्यक सावधानियां बरतनी चाहिए। कुष्ठ रोग का ईलाज संभव है विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 1995 में विकसित मल्टी ड्रग थैरेपी इस संक्रमण के ईलाज में बेहतर प्रभावी पाई गई है। भारत सरकार कुष्ठ रोग का निःशुल्क इलाज उपलब्ध कराती है। हालांकि बहुत से लोगों को उनके साथ होने वाले भेदभाव और इलाज नहीं मिलने पर द्विव्यांगता की आशांका हो सकती है।

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