जशपुर जिला अन्तर्गत कृषि विज्ञान केंद्र डूमरबहार में ड्रम सीडर द्वारा धान की कतार बोनी

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, जशपुर

छत्तीसगढ़ राज्य में 38 लाख हेक्टर क्षेत्र में धान की खेती की जाती है जिसमें लगभग 70 प्रतिशत क्षेत्र लेही पद्धति एवं खुर्रा बोनी द्वारा की जाती है। इन परंपरागत पद्धतियों में 100 से 120 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है तथा रोपाई के समय श्रमिकों की अनुपलब्धता साथ ही 30 से 35 दिनों के बाद बियासी करने की आवश्यकता पौधों की संख्या एवं खरपतवार नियंत्रण के लिए आवश्यक होती है। इन्ही समस्याओं को दूर करने के लिए सूखी खेत में धान की कतार बोनी हेतू नवीन ट्रैक्टर एवं बैल चलित यंत्र-सीड ड्रिल, सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल आदि का उपयोग किया जाता हैं, परंतु लगातार पानी गिरने पर खेत तैयार करने के लिए कृषकों को समय नहीं मिल पाता है ऐसी स्थिति में धान की कतार बोनी करने हेतु ड्रम सीडर का उपयोग किया जा सकता है।

कृषि विज्ञान केंद्र डूमरबहार के प्रक्षेत्र में इसका उपयोग मचाई वाली खेत में किया गया है। लेहि पद्धति से कतार बोनी करने हेतु ड्रम सीडर का उपयोग करना एक अच्छा विकल्प बन रहा है। यह हस्त चलित यंत्र प्लास्टिक से बना होता है जिसका वजन लगभग 10 किलोग्राम होता है इसे आसानी से मताई वाले खेत में कतार बोनी हेतु उपयोग किया जाता है इसमें चार ड्रम होते हैं जिसकी कतार से कतार की दूरी 20 सेंटीमीटर होती है तथा प्रत्येक ड्रम के ऊपर 36 छेद होते है। धान के अंकुरित बीजों को तीन चौथाई भाग तक भरकर ऊपर से ढक्कन बंद किया जाता है। इसकी पश्चात मताई वाले तैयार खेत में पाइप से निर्मित हैंडल द्वारा खेत की एक कोने से समान गति से खींचा जाता है। इसके चलते ही पहियो से स्वतः ही निशान बन जाते हैं। जिससे अगली लाइन को  खींचने में सुविधा होती है। इसके उपयोग से 1 दिन में एक व्यक्ति द्वारा लगभग 1 हैक्टर में कतार धोनी की जा सकती है। ड्रम सीडर द्वारा कतार बोनी में 30 से 35 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर का उपयोग होता है। इसका परंपरागत विधि की तुलना में 71 प्रतिशत बीज की बचत होती है। इसको चलाने के लिए लगभग एक किलोमीटर प्रति घंटा की दर से गति चाहिए होती है।

ड्रम सीडर उपयोग के लाभ –

मचाई वाले खेतों में धान की कतार बोनी के लिए उपयोगी जिससे बीज की बचत होती है। कतार बोनी करने से यंत्र वीडर द्वारा निंदाई की जा सकती है। पर्याप्त पौध संख्या प्रति इकाई क्षेत्र में किया जा सकता है। दवाई छिड़काव एवं धान कटाई में सरलता से की जा सकती है। पड़ती में व्यव होने वाले समय एवं मजदूर की बचत होगी।

ड्रम सीडर हेतु ध्यान देने योग्य बातें –

खेत की तैयारी मचाई करने के बाद खेत पर पाटा चलाना जरुरी है जिससे एक स्थान पर पानी एकत्र न हो पाए। खेतों में मचाई हल्की की जानी चाहिए जिससे कि पहिए ज्यादा अंदर ना जाए। सभी छिद्रों की जांच होनी चाहिए। खरपतवार नियंत्रण के लिए लाइन के बीच में विडर या खरपतवार नाशक का आवश्यकतानुसार प्रयोग किया जाना चाहिए।

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