राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम के अन्तर्गत हितग्राहियों को किया जाएगा लाभान्वित, जशपुर जिले में बायोगैस संयंत्र का निर्माण हेतु लक्ष्य निर्धारित
August 11, 2023घरेलू बायोगैस संयंत्र निर्माण हेतु सभी वर्ग के लिए 23 हजार रूपए तक दिया जाएगा अनुदान
समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, जशपुर
क्रेड़ा विभाग के द्वारा राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम के तहत् जिले के लोगों को लाभान्वित किया जाएगा। जिस हेतु जिले में 80 नग बायोगैस संयंत्र का निर्माण के लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
क्रेड़ा विभाग के सहायक अभियंता ने जानकारी देते हुए बताया कि बायोगैस संयंत्र एक ऐसा ईंधन का साधन है जिसे कोई भी ग्रामवासी जिसके पास समुचित मात्रा में जानवरों (4-6 मवेशी) का गोबर उपलब्ध हो, इस योजना का लाभ उठा सकता है। बायोगैस संयंत्र से भोजन पकाने हेतु गैस तो मिलती ही है, साथ ही उच्च गुणवत्ता की खाद् भी प्राप्त होती है। बायोगैस संयंत्र से निकलने वाली गैस से लैम्प जलाकर प्रकाश की व्यवस्था भी की जा सकती है, इसके उपयोग से जलाऊ लकडी, एल.पी.जी., कैरोसीन आदि की बचत की जा सकती है। साथ ही वनों की कटाई में भी कमी होगी एवं पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा। 02 घन मीटर क्षमता के घरेलु बायोगैस संयंत्र का निर्माण करवाकर हितग्राही बिना किसी व्यय के अपने घर के ही जानवरों से प्राप्त गोबर से 02 एल. पी. जी. के बराबर प्रतिमाह गैस प्राप्त कर सकता है। प्रति घन मी. के लिए 25 किलो ग्राम गोबर की आवश्यकता होती है तथा 02 घन मीटर हेतु 50 किलो एवं 03 घन मीटर हेतु 75 किलो ग्राम गोबर की आवश्यकता होती है। संयंत्र से प्राप्त खाद को हितग्राही बेचकर भी अपनी आमदनी बढ़ा सकता है। वर्तमान में घरेलू बायोगैस संयंत्र निर्माण हेतु केन्द्र तथा राज्य सरकार द्वारा सभी वर्ग हेतु 23350 रूपए (02 से 04 घन मीटर) संयंत्र हेतु अनुदान भी दिया जा रहा है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में जशपुर जिले में 80 नग बायोगैस संयंत्र का निर्माण हेतु लक्ष्य निर्धारित है। बायोगैस संयंत्र स्थापना उपरांत हितग्राहियों को जलाने हेतु गैस प्राप्त होती है बायोगैस संयंत्र निर्माण कर हितग्राही को आर्थिक लाभ भी प्राप्त होती है, जैसे कि लकड़ी की बचत कर प्रत्येक परिवार एक वर्ष में लगभग 24000 रू. की बचत तथा संयंत्र निर्माण होने के पश्चात् सिलेण्डर गैस प्रति वर्ष 24000 रू की बचत हो जाती है। इस प्रकार बायोगैस प्लांट निर्माण पश्चात् मुफ्त में जलाने हेतु गैस एवं उच्चगुणवत्ता युक्त खाद भी प्राप्त होता है जिसका उपयोग फसल एवं साग सब्जियों के पैदावार भी किया जा सकता है।