सरगुजा कमिश्नर ने जिला संग्रहालय का किया अवलोकन : गौरवशाली परम्पराओं और जनजाति समुदाय की संस्कृति का सुंदर समावेश, इसे सहेज के रखें-कमिश्नर

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, जशपुर

जशपुर जिले के दौरे में आई सरगुजा कमिश्नर श्रीमती शिखा राजपूत तिवारी ने जशपुर के जिला संग्रहालय का अवलोकन किया और जनजाति समुदाय के जीवन शैली से संग्रहित पुरातत्व चीजों की जानकारी ली। इस दौरान उन्हें आदिवासी संस्कृति अनुरूप आदिवासी गमछा प्रदाय कर स्वागत किया। शासकीय एनईएस कॉलेज के प्राचार्य एवं इतिहासकार डॉ. विजय रक्षित ने संग्रहालय में रखी आदिवासियों की पारंपरिक एवं पुरातात्विक सामग्रियों की जानकारी दी एवं जशपुर एक अध्ययन, जशपुर रियासत का इतिहास किताब भेंट किया। इस अवसर पर कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल, उपयुक्त श्री महावीर राम, अपर कलेक्टर श्री आईएल ठाकुर, एसडीएम श्री प्रशांत कुशवाहा एवं विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

सरगुजा कमिश्नर श्रीमती शिखा राजपूत तिवारी ने जनजातियों के संस्कृति, उनके रहन-सहन, रीति-रिवाज, आभूषण, औजार, दैनिक जीवन में उपयोग की जाने वाली वस्तुओं की भी जानकारी ली। उन्होंने कहा कि गौरवशाली परम्पराओं और जनजातियों समुदायों की संस्कृति का जिला संग्रहालय में सुंदर समावेश किया गया हैं इससे सहेज के रखने की जरूरत है।

उल्लेखनीय है कि जिला प्रशासन के द्वारा जिला खनिज न्यास निधि संस्थान से 25 लाख 85 हजार की लागत से पुरातत्व संग्रहालय बनाया गया है। जो जिले में अपने आप में अनूठा और आकर्षक है। संग्रहालय का लाभ जशपुर जिले के आस-पास के विद्यार्थियों को मिल रहा है। पुरातात्विक ऐतिहासिक चीजों को बचाने एवं संरक्षित रखने हेतु अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो रही है। संग्राहलय में 13 जनजाति बिरहोर, पहाड़ी कोरवा, असूर जनजाति, उरांव, नगेशिया, कवंर, गोंड, खैरवार, मुण्डा, खड़िया, भूईहर, अघरिया आदि जनजातियों की पुरानी चीजों को संग्रहित करके रखा गया है। संग्राहलय में तीन कमरा, एक गैलरी को मूर्त रूप दिया गया है।

संग्रहालय में लघु पाषाण उपकरण, नवपाषाण उपकरण, ऐतिहासिक उपकरणों को रखा गया है। साथ ही भारतीय सिक्के 1835 से 1940 के सिक्कों को संग्रहित करके रखा गया है। संग्रहालय में मृदभांड, कोरवा जनजाति के डेकी, आभूषण, तीर-धनुष, चेरी, तवा, डोटी, हरका, प्रागैतिहासिक काल के पुरातत्व अवशेष के शैलचित्र को भी रखा गया है। साथ ही जशपुर में पाए गए शैल चित्र के फोटोग्राफ्स को भी रखा गया है। अनुसूचित जनजाति के सिंगार के सामान चंदवा, माला, ठोसामाला, करंज फूल, हसली, बहुटा, पैरी, बेराहाथ आदि को भी संरक्षित किया गया है। संग्राहलय में चिम्टा, झटिया, चुना रखने के लिए गझुआ, खड़रू, धान रखने के लिए, नमक रखने के लिए बटला, और खटंनशी नगेड़ा, प्राचीन उपकरणों ब्लेड, स्क्रेपर, पाईट को संग्रहित किया गया हैं।

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