मोदी सरकार में 44 प्रतिशत गिरकर रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा रुपया, एक डॉलर हुआ 83.11 रूपये का, बढ़ती गरीबी, भुखमरी, महंगाई, बेरोजगारी और असमानता सर्वोच्च शिखर पर – सुरेंद्र वर्मा

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मोदी के कुशासन में तेजी से उल्टे पांव भाग रही है देश की अर्थव्यवस्था, कर्ज़ तीन गुना,

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि विपक्ष में रहते हुए रुपए की गिरावट को प्रधानमंत्री की गरिमा से जोड़ने वाले भाजपाई यह बताएं कि मोदी राज के कुशासन में विगत 9 वर्षों में 44 प्रतिशत की गिरावट के साथ रुपया अब तक के रिकार्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है, तो क्या भाजपाई मानते हैं कि मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री पद की गरिमा को गिराया है? दुनिया भर के विश्वविद्यालयों के सिलेबस से बाहर “एंटायर पॉलीटिकल साइंस“ वाले अनर्थशास्त्री के 18-18 घंटे परिश्रम का ही प्रमाण है कि देश की अर्थव्यवस्था तेज़ी से उल्टे पांव भाग रही है। जनता का खून चूस कर दैनिक उपभोग की वस्तुओं को भी टैक्स के दायरे में लाकर कर संग्रहण तीन गुना करने के बावजूद भी 2014 की तुलना में आज देश पर कुल कर्ज का भार तीन गुना अधिक बढ़ गया है, तो आखिर यह पैसा जा कहां रहा है? 30 से अधिक सार्वजनिक उपक्रम औने-पौने दाम पर बेच दिए गए, देश के संसाधन, सरकारी विभागों की संपत्तियां, सार्वजनिक उपक्रम औने-पौने दाम पर पूंजीपति मित्रों को लुटाए गए। पूंजीपत मित्रों के लाखों करोड़ का लोन राइट-ऑफ कर दिए। कोर्पोरेट टैक्स में छूट भी अर्थात् मित्रों को मलाई लेकीन देश के युवा, देश के किसान और आम जनता को मिलने वाली सब्सिडी को रेवड़ी करार देकर उससे भी वंचित कर रहे।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि मोदी सरकार आम जनता से जिस बेरहमी से जीएसटी वसूल रही है इतनी निर्दयता से तो अंग्रेज भी लगान नहीं वसूलते थे, उसके बावजूद देश की अर्थव्यवस्था गर्त में जा रही है। दूरस्थ अंचलों में गरीब परिवारों के बच्चे छात्रावास में रहते हैं हाल ही में मोदी सरकार ने छात्रावास में रहने वाले उन बच्चों पर भी 12 प्रतिशत जीएसटी का अतिरिक्त बोझ डाला है। अस्पताल के कमरों से लेकर कफन के कपड़े तक कुछ भी नहीं छोड़ा, सबकुछ जीएसटी के दायरे में। कृषि उपकरण पर 12 और 18 पर्सेंट जीएसटी, कृषि उपकरणों के स्पेयर पार्ट्स पर 28 प्रतिशत जीएसटी। दही, पनीर, लस्सी, शहद, मटर, गेहूं, मुर्रा जैसे दैनिक उपभोग की वस्तुओं पर भी बेरहमी से जीएसटी वसूलने का काम केंद्र की मोदी सरकार कर रही है। डीजल पर सेंट्रल एक्साइज की दर 2014 में 3 रूपया 56 पैसा प्रति लीटर था जो मोदी में 13 बार बढ़ोतरी करके अधिकतम 31 रूपया 83 पैसा तक पहुंचा दिया गया वर्तमान में 21 रुपया 80 पैसा है अर्थात 530 प्रतिशत अधिक मुनाफाखुरी मोदी सरकार कर रही है। 410 का रसोई गैस सिलेंडर 1200 के पार है 3 गुना अधिक मुनाफाखोरी। दलहन, तिलहन, साग, सब्जी से लेकर दैनिक उपभोग की हर वस्तु बेलगाम महंगाई की चपेट में है लेकिन 100 दिन में महंगाई कम करने का वादा करके सत्ता में बैठी मोदी सरकार 9 साल बाद भी मौन है। केवल एक्साइज ड्यूटी से वसूली 68 परसेंट बढ़ी है। मोदी सरकार ने आम जनता के जेब में 26 लाख़ करोड़ से अधिक की डकैती तो केवल डीजल पेट्रोल से ही की गई है। सवाल फिर वही है कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर संग्रहण बढ़ा जीएसटी सेंट्रल एक्साइज भी बेरहमी से वसूली कर रहे हैं लेकिन आखिर यह पैसा जा कहा रहा है?

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि दुनिया भर में डंका बजने के दावों की हकीकत यह है कि इकोनामिक इंटेलिजेंस यूनिट डेमोक्रेसी इंडेक्स में हम 2014 में 27 वें स्थान पर थे जो मोदी राज में तेज़ी से नीचे खिसककर 53वे स्थान पर आ चुके है। भुखमरी के ग्लोबल इंडेक्स में बेहद ख़राब स्थिती है, पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी पीछे खड़े हैं। महिला न्याय, मानव विकास और मीडिया की स्वतंत्रता में लगातार पिछड़ रहे हैं। प्रेस फ्रीडम की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में गिरकर 150 में स्थान पर पहुंच चुके हैं। इन्हीं के आंकड़ों में 137 करोड़ की आबादी में 81 करोड़ गरीबी रेखा से नीचे हैं अर्थात् 60 प्रतिशत अबादी, जो 2014 में मात्र 20 से 22 प्रतिशत थी। गरीब और गरीब हो रहे है, और मोदी सरकार के संरक्षण में उनके चंद पूंजीपति मित्र हर घंटे करोड़ कमा रहे हैं। मोदी सरकार का फोकस केवल चंद पूंजीपति मित्रों के हित में, आम जनता और देश की अर्थव्यवस्था से इनका कोई सरोकार नहीं।

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