बिना छाती खोले हार्ट के पुराने दो सर्जिकल वाल्व का पुनःप्रत्यारोपण, टावी वाल्व इन वाल्व तथा ट्राइकस्पिड वाल्व बैलून वाल्बुलोप्लास्टी हाई रिस्क प्रक्रिया एसीआई के कार्डियोलॉजी विभाग की टीम ने सफलतापूर्वक संपन्न की

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हृदय के दाहिने और बाएं दोनों तरफ के वाल्व में एक साथ बिना छाती खोले वाल्व प्रक्रिया बहुत ही असाधारण और दुर्लभ

इससे पहले दो बार की हार्ट सर्जरी में चार वॉल्व हुए चेंज, धड़कन फिर भी असमान्य, धड़कन को सामान्य करने के लिए पेसमेकर लगाया, हार्ट पम्पिंग 20 प्रतिशत से भी कम, अंततोगत्वा गंभीर लक्षणों के साथ मरीज पहुंची थी एसीआई में

डॉ. स्मित श्रीवास्तव के नेतृत्व में कार्डियोलॉजी विभाग की टीम ने एक साथ दो ख़राब सर्जिकल वाल्व का जांघ की नस के रास्ते जटिल पुनःप्रत्यारोपण कर सुरक्षित किया मरीज का जीवन

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय तथा डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में छत्तीसगढ़ निवासी एवं उम्र के छठवें दशक के मध्य में मरीज के हृदय में ट्रांसकैथेटर ऐऑर्टिक वाल्व प्रत्यारोपण (टावी) करके तथा ट्राइकस्पिड वाल्व बैलून  वाल्बुलोप्लास्टी के जरिए हृदय के वाल्व में आयी समस्या को दूर कर मरीज का जीवन सुरक्षित बचा लिया। एसीआई के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव के नेतृत्व में हुए इस उपचार प्रक्रिया के बाद मरीज को हृदय से संबंधित पुरानी सभी जटिलताओं से निज़ात मिल गई।

छत्तीसगढ़ निवासी उम्र के छठवें दशक के मध्य की महिला मरीज की 2010 में निजी अस्पताल में ओपन हार्ट सर्जरी हुई थी जिसमें हृदय के दो वाल्व चेंज हुए थे। 2017 में पुनः ओपन हार्ट सर्जरी हुई जिसमें दो वाल्व और चेंज हुए। इसके बाद मरीज की 2017 में हुई सर्जरी की जटिलता के कारण जनित धड़कन की कमी के चलते 15-20 दिन के बाद पेसमेकर लगाने के लिए फिर सर्जरी हुई। इन तीन सर्जरी के बाद मरीज का हार्ट पम्पिंग काफी कम हो गई थी। अगले कुछ सालो में पुराने सर्जिकल वाल्व भी धीरे धीरे खराब हो गए। मरीज को दोनों सर्जरी द्वारा प्रतिरोपित वाल्व में अत्यधिक सिकुड़न होने के कारण साँस लेना कठिन होता जा रहा था । टिश्यू वाले वाल्व में खराबी और सिकुड़न जल्दी आ जाते हैं।  इसके बाद मरीज को एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के कार्डियोलॉजी विभाग में आगे उपचार के लिए आकलन और परियोजना बनाई गई। इस जटिल कार्डियक प्रक्रिया करने की योजना बनाने के लिए डॉ भीमराव आंबेडकर हॉस्पिटल के रेडियोडायग्नोसिस विभाग से डॉ. एस. बी. एस. नेताम ने सी टी कोरोनरी एंजियोग्राफी द्वारा वाल्व का सटीक माप निर्धारित करके दिया और निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. शशांक ने मरीज़ को बिना बेहोश किए पूरी प्रक्रिया के दौरान अर्धचेतन अवस्था में संभाले रखा।  टेक्निकल टीम का नेतृत्व खेम सिंह और जीतेन्द्र चेलकर और कैथ लैब में मुख्य नर्सिंग असिस्टेंट आनंद सिंह ने मरीज़ के  ब्लड प्रेशर और धड़कन को मॉनिटर किय। डॉ प्रतिक गुप्ता ने प्रक्रिया के दौरान इकोकार्डियोग्राफी द्वारा वाल्व की स्थिति निरंतर दिखाई। 

डॉ. स्मित श्रीवास्तव के अनुसार दो वाल्व की एक साथ प्रक्रिया करना जोखिम को कई गुना बढ़ा दिया था , साथ ही पुराने पेसमेकर  का एक तार खराब हुए वाल्व के बीच में था जिसके प्रकिया के दौरान मरीज की धड़कन के बंद होने की सम्भावना का कारण बन सकता था।  मरीज का हार्ट कम पम्प कर रहा था इसलिए  दवाओं के सहारे हार्ट की पम्पिंग क्षमता को ठीक किया और बिना छाती खोले हार्ट के बाएं तरफ के ऐऑर्टिक वाल्व का टावी प्रोसीजर के जरिए वाल्व चेंज करने का निर्णय लिया। इसके साथ ही साथ दाहिने तरफ के ख़राब  ट्राइकस्पिड वाल्व को भी खोलने का निर्णय लिया। हार्ट के बाएं हिस्से में स्थित पुरानी 2010 की सर्जरी द्वारा लगाए गए एओर्टिक वाल्व के अंदर ही जांघ की नासिका के रास्ते बिना छाती खोले नया वाल्व लगाया जिसे सेल्फ एक्सपेंडिंग वाल्व कहते हैं। इस वाल्व को पुराने वाल्व से थोड़ा ऊपर खोला जिसके कारण मरीज के खून का बहाव काफी अच्छा हो गया। इस वाल्व को लगाने के बाद मरीज की सांस फूलने और अन्य दूसरी गंभीर दिक्कतें दूर हो गई। मरीज का जीवन पहले की तुलना में बेहतर हो गया। डॉ. स्मित श्रीवास्तव के अनुसार दिल के दाहिने हिस्से में पुरानी 2017 की सर्जरी द्वारा लगाए गए संकीर्ण और ख़राब हो चुके पुराने ट्राइकस्पिड वाल्व को भी बिना छाती खोले दायें गर्दन की नस जुगलर  वेन के माध्यम से बैलून की सहायता से खोल दिया गया। उपचार प्रक्रिया के बाद पुराना पेसमेकर यथावत अपना काम कर रहा है और मरीज़ पूर्ण स्वस्थ होने की राह पर है।  

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