हड़ताली स्वास्थ्य कर्मचारियों पर बड़ी कार्रवाई, कलेक्टर ने 265 तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों को किया निलबिंत

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100 अन्य कर्मचारियों अधिकारियों के लिए अनुशंसा पत्र शासन को किया प्रेषित

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, बलौदाबाजार-भाटापारा

राज्य शासन के निर्देश पर कलेक्टर चंदन कुमार ने आज बडी सख्ती के साथ अनिश्चितकालीन हड़ताल में गये स्वास्थ्य विभाग के तृतीय श्रेणी के 265 हड़ताली कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलबिंत कर दिया है। इस हेतु उन्होंने आदेश भी जारी कर दी है। साथ ही लगभग 100 अन्य कर्मचारियों अधिकारियों जिनकी नियुक्ति शासन स्तर एवं सम्भागीय स्तर में हुई है उनके लिए के अनुशंसा पत्र शासन को प्रेषित किया गया है।

छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम, 1965 का उल्लघंन है। जिला मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी डॉ महिस्वर ने बताया कि उक्त कार्रवाई  छत्तीसगढ़ शासन द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं के विषय में एस्मा (छत्तीसगढ़ अत्यावश्यक सेवा संधारण तथा विच्छिन्नता निवारण अधिनियम, 1979) की धारा-4 की उपधारा (1) एवं ( 2 ) द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए लागू किया गया है। जिसके उपरांत भी संबंधित अधिकारी / कर्मचारी के कार्य पर उपस्थित नहीं होने पर एस्मा अंतर्गत एवं छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम, 1965 के नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही किए जाने हेतु निर्देशित किया गया है। कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बलौदाबाजार के पत्र कमांक/स्टेनो/2023/6808 बलौदाबाजार, दिनांक 22 अगस्त  2023 के माध्यम से दिनांक 25अगस्त 2023 को शाम 04 बजे तक कार्य पर उपस्थिति दिये जाने हेतु नोटिस जारी किया गया था। परंतु आपके द्वारा नोटिस का अवहेलना करते हुये आज दिनांक तक अपनी उपस्थिति नहीं दी गई है। अतः तत्काल  उक्त कर्मचारियों को शासकीय सेवा से निलंबित किया जाता है। गौरतलब है की छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के तहत् स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत अधिकारियों / कर्मचारियों अपनी मांगों के संबंध में अनाधिकृत रूप से निरंतर हड़ताल पर हैं एवं इस कारण लोक हित / नागरिक सेवाएं तथा शासकीय कार्य प्रभावित हो रहे हैं और आम जनता को असुविधा हो रही है।

विदित है कि स्वास्थ्य जैसे संवेदनशील क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। जो सीधे पीडित मानवता की सेवा से जुड़ा हुआ है। विभाग द्वारा समय-समय पर आपकी उचित मांगों पर सकारात्मक रूप से विचार किया गया है। आपके स्वयं को कार्य से पृथक रखने पर अनेकों गरीब मरीजों एवं परिजनों को अनावश्यक कष्टों का सामना करना पड़ रहा है। आप यह भी जानते हैं कि विभाग में अनेक कार्य समय-सीमा में (टीकाकरण, प्रसव, गंभीर मरीजों का व्यवस्थापन आदि) किया जाना अति आवश्यक अन्यथा उक्त कार्य हेतु समय निकल जाता है। इसका दुष्परिणाम हितग्राही को पूरे जीवन भर भी उठाना पड़ सकता है, जो किसी भी दृष्टि से स्वीकार्य योग्य नहीं होना चाहिए।

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