मोदी सरकार को छत्तीसगढ़ से कोयला, बॉक्साइट, आयरन भरपूर मात्रा में चाहिए फिर चावल लेने में कंजूसी क्यों ? भूपेश सरकार के द्वारा 1 नवंबर से धान खरीदी शुरू करने के निर्णय का कांग्रेस ने किया स्वागत – धनंजय सिंह ठाकुर
September 10, 2023किसानों को धान की कीमत 3600 रु प्रति क्विंटल मिले तो भाजपा के पेट में दर्द क्यों?
भाजपा पहली दल है जो किसानों के बेहतरी के खिलाफ है
समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर
मुख्यमंत्री भूपेश सरकार के द्वारा 1 नवंबर से धान खरीदी शुरू करने एवं 125 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खरीदी के लक्ष्य रखने के निर्णय का कांग्रेस ने स्वागत किया। मोदी सरकार के द्वारा छत्तीसगढ़ से चावल लेने में की गई कटौती पर प्रदेश कांग्रेस वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि जब मोदी सरकार को उद्योगपतियों के लिये छत्तीसगढ़ की खनिज संपदा से कोयला, बॉक्साइट, आयरन, ओर, टीन भरपूर मात्रा में चाहिये। केंद्र का खजाना भरने छत्तीसगढ़ से पेट्रोल, डीजल में एक्ससाइज ड्यूटी एवं जीएसटी में हिस्सेदारी चाहिए। लेकिन जब किसानों का जेब भरने की बारी आती है तब चावल खरीदने में कंजूसी करते है? इससे समझ में आता है कि भाजपा नहीं चाहती कि किसान आर्थिक रूप से सक्षम हो, कृषि का क्षेत्र लाभकारी हो, कृषि से रोजगार मिले और किसान के चेहरे में खुशहाली दिखे। क्योंकि किसान जब रोता है तो भाजपा नेता खुश होते हैं भाजपा के उद्योगपति मित्र खुश होते हैं।
प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि जब किसानों की धान खरीदी का समय आता है तब मोदी सरकार चावल नहीं खरीदने की धमकी देते हैं। समय पर बारदाना नहीं देते हैं, माँगनुसार बारदाना देने में कटौती करते हैं और भाजपा नेता राजनीति करते हैं। अगर किसानों को धान की कीमत 3600 रु प्रति क्विंटल मिलेगा तो भाजपा को इससे तकलीफ क्यों हो रही है? इस वर्ष किसानों को प्रति एकड़ 20 क्विंटल बेचने में 60 हजार रु मिलेगा। जो छत्तीसगढ़ के बाहर भाजपा शासित राज्यों के धान उत्पादक किसान को नही मिलता। भूपेश सरकार ने चालू खरीफ सीजन में प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीदने की घोषणा की तब भी भाजपा इसका विरोध कर रही थी और आज जब धान की कीमत प्रति क्विंटल 3600 रुपए तक दाम मिलने की बात कही जा रही तब भी भाजपा विरोध कर रही है।
प्रदेश कांग्रेस वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों को धान की लागत मूल्य का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य नहीं दिया? 2022 तक किसानों के आमदनी बढ़ाने का वादा था जो पूरा नहीं हुआ है बल्कि मोदी सरकार के किसान विरोधी नीतियों के चलते किसानों की परेशानी तीन गुना बढ़ी है, मोदी सरकार बनने के बाद 16 करोड़ किसान कर्ज में दबे हुए हैं इनके ऊपर लगभग 21 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। मोदी सरकार चंद पूंजीपतियों का लाखों करोड़ों रुपए का कर्ज माफ कर चुकी है लेकिन इन किसानों को कर्ज से मुक्त करने के लिए कोई योजना नहीं बनाई है। भूपेश सरकार ने 20 लाख किसानों का लगभग 11000 करोड़ का कर्ज माफ किया है और 5 साल में 1 लाख 80 हजार करोड़ रुपए किसानों के जेब में डाले भी है।