‘चिंतामणी महाराज’ ने कांग्रेस को दिया झटका ! ‘हाथ’ छोड़ थामा ‘कमल’

‘चिंतामणी महाराज’ ने कांग्रेस को दिया झटका ! ‘हाथ’ छोड़ थामा ‘कमल’

October 31, 2023 Off By Samdarshi News

चिंतामणी महाराज के भाजपा प्रवेश का असर 6 विधानसभाओं में देखने का मिल सकता है

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, सरगुजा/जशपुर

जशपुर : सरगुजा (Chintamani Maharaj) के साथ-साथ पूरे प्रदेश में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है, लेकिन उन्हीं के क्षेत्र में कांग्रेस को मंगलवार 31 अक्टूबर को बड़ा झटका लगा है।

दरअसल, टिकट कटने से बागी हुए सामरी विधानसभा कांग्रेस विधायक चिंतामणि महाराज मंगलवार को बीजेपी में सम्मिलित हो गए। प्रदेश प्रभारी ओम माथुर ने उन्हें भाजपा में प्रवेश कराया। चिंतामणि महाराज अपने समर्थकों के साथ अंबिकापुर के राजमोहनी भवन में फिर से भाजपा की सदस्यता ली।

ज्ञातव्य है कि कांग्रेस ने सामरी से विधायक चिंतामणी महाराज की टिकट काटकर विजय पैकरा को प्रत्याशी बनाया है। तब से चिंतामणी महाराज के तेवर बगावती थे। वे लगातार भाजपा के संपर्क में थे। पहले चिंतामणि महाराज ने भाजपा में शामिल होने के लिए अंबिकापुर से प्रत्याशी बनाए जाने की शर्त रखी थी।

भाजपा ने चिंतामणि को अंबिकापुर से भाजपा प्रत्याशी बनाने की शर्त को दरकिनार कर दिया। अंबिकापुर से राजेश अग्रवाल को डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव के खिलाफ प्रत्याशी घोषित कर दिया। चिंतामणि के भाजपा प्रवेश की अटकलें इसके बाद भी थी।

चिंतामणि महाराज करीब 11 साल पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। 2013 में उन्हें कांग्रेस ने लुंड्रा से टिकट दिया था और वे विधायक बने। फिर 2018 में चिंतामणि महाराज को कांग्रेस ने सामरी से प्रत्याशी बनाया और वे दूसरी बार विधायक चुने गए।

रमन सरकार के पहले कार्यकाल में चिंतामणि महाराज 2004 से 2008 तक राज्य संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष रहे। भाजपा से उपेक्षित होने पर उन्होंने 2008 में सामरी विधानसभा से ही निर्दलीय चुनाव लड़ा, जिसमें हार गए थे।

चिंतामणि महाराज अञ्चल के पूज्य संत गहिरा गुरू के पुत्र हैं। संत समाज के अनुयायी पूरे सरगुजा संभाग और रायगढ़ जिले में भी हैं। हालांकि उनके ज्यादा अनुयायी अंबिकापुर, लुंड्रा, सामरी, जशपुर, कुनकुरी और पत्थलगांव विधानसभा क्षेत्रों में हैं। उनके भाजपा प्रवेश का असर इन 6 विधानसभाओं में देखने का मिल सकता है।

चिंतामणि महाराज 2004 से 2008 तक अध्यक्ष राज्य संस्कृत बोर्ड रहे थे. फिर उन्होंने 2008 में बलरामपुर जिले के सामरी विधानसभा से ही निर्दलीय चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2013 में वे फिर से सामरी विधानसभा से ही चुनाव मैदान में कूदे पर अंतर सिर्फ इतना था कि वे इस बार निर्दलीय चुनाव न लड़कर कांग्रेस की टिकट पर खड़े हुए थे और चुनावी मैदान फतह कर पहली बार विधायक बने थे.

2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से उन पर भरोसा जताया और एक बार फिर वे सामरी विधानसभा से चुनावी मैदान में उतरे. इस बार उन्होंने भाजपा प्रत्याशी सिद्धनाथ पैकरा को हराया. चिंतामणि महाराज को कुल 180,620 वोट प्राप्त हुए तो वहीं उनके करीबी प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी सिद्धनाथ पैकरा को 58697 वोट मिले.