मृदा स्वास्थ्य-टिकाऊ खेती का आधार – डॉ.के.डी.महंत

मृदा स्वास्थ्य-टिकाऊ खेती का आधार – डॉ.के.डी.महंत

December 6, 2023 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायगढ़

विश्व मृदा दिवस का सन्देश-मृदा एवं जल जीवन का श्रोत है। कृषि विज्ञान केन्द्र के डॉ.के.डी.महंत ने जानकारी देते हुए बताया कि विश्व स्तर पर मिट्टी की रक्षा करने और किसानों की मदद करने के प्रयास में एफएओ ने चेतावनी दी कि हर पांच सेकंड में एक फुटबॉल पिच के बराबर पृथ्वी नष्ट हो जाती है। केवल कुछ सेंटीमीटर ऊपरी मिट्टी बनाने और भूमि की बहाली में मदद करने में भी लगभग एक हजार साल लग जाते हैं। स्वस्थ्य मृदा का मतलब है कि मृदा में पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों (कार्बनिक पदार्थ) मुख्य एवं सूक्ष्म तत्व की भरपूर मात्रा एवं नमी रोकने की क्षमता हो। जिससे अधिक फसल उत्पादन लिया जा सकें। उन्होंने बताया कि मृदा स्वास्थ्य आधार में पाँच सिद्धांत शामिल हैं जिनमें मृदा कवच, मिट्टी की अशांति को कम करना, पौधों की विविधता,निरंतर जीवित पौधा/पाद और पशुधन एकीकरण। इन सिद्धांतों का उद्देश्य मृदा निर्माण प्रभाव को अधिकतम करते हुए सिस्टम दृष्टिकोण में लागू करना है। मृदा स्वास्थ्य पर्यावरणीय स्वास्थ्य, मानव स्वास्थ्य, पौधों के स्वास्थ्य और पशु स्वास्थ्य की अवधारणाओं के अनुरूप है। मानव स्वास्थ्य एक कार्यात्मक अवधारणा है जो हमारी कार्य करने की क्षमता, एक-दूसरे और हमारे पर्यावरण के साथ बातचीत करने और भविष्य में ऐसा करने की क्षमता का वर्णन करती है। विक्टोरिया की प्राकृतिक संपदा के प्रबंधन के लिए मिट्टी के स्वास्थ्य को समझना, उसकी रक्षा करना और उसमें सुधार करना महत्वपूर्ण है। मृदा स्वास्थ्य मूल रूप से भूमि उत्पादकता और पर्यावरणीय स्थिरता से जुड़ा है।

मृदा के गुणों के आधार पर मृदा स्वास्थ्य के स्तर का पता चलता है जो कि निम्नलिखित है। मृदा अभिक्रिया इसका अभिप्राय मृदा विलयन की अम्लता, क्षारीयता एवं उदासीनता से है। मृदा विलयन में विभिन्न तत्व आयन्स के रूप में होते है। अम्लीय आयन्स जैसे हाइड्रोजन, नाइट्रेट व सल्फेट आदि तथा क्षारीय आयन्स जैसे हाइड्रोंजन ऑक्साइड, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम, पोटेशियम आदि मृदा विलयन मे रहते है। यदि मृदा कोलाइड पर हाइड्रोजन आयन्स का सान्द्रण हाइड्रोजन ऑक्साइड से ज्यादा हो तो मृदा अम्लीय होती है और यदि हाइड्रोजन आयन्स का सान्द्रण कम हो तो मृदा क्षारीय होती है तथा बराबर समान संख्या होने पर मृदा अभिक्रिया उदासीन होती है। मृदा स्वास्थ्य का अर्थ मृदा के उन सभी प्रभावों से है जिनके आधार पर फसल का उत्पादन अच्छा हो सके और जिसमें पौधों की वृद्धि एवं विकास के सभी गुण उपस्थित हो तथा जीवों की संख्या और उनकी क्रियाशीलता आदर्श स्तर की हो। इन्ही वांछित गुणों के आधार पर मृदा स्वास्थ्य को निर्धारित करते हैं। मृदा स्वास्थ्य के आधार मृदा स्वास्थ्य का इसकी उर्वराशक्ति और उत्पादकता के सिद्धान्त के कारकों से सीधा संबंध होता है।