जैविक खेती को अपनाकर कृषक खेमलाल देवांगन ने समृद्धि की दिशा में बढ़ाए कदम, गोधन वर्मी कम्पोस्ट का कर रहे उपयोग, कृषि विभाग के सहयोग से कराया नलकूप खनन, जैविक उत्पाद स्वास्थ्य के लिए है लाभप्रद, कई बीमारियों में विशेष है उपयोगी
December 14, 2021जैविक विधि से पोषक तत्वों से भरपूर प्राचीन पैगम्बरी सोनामोती गेहूँ, देशी बंशी गेहूँ, जिंक बायो फोर्टिफाइड गेहूँ, ब्लैक राइस, रेड राइस, ग्रीन राइस, ज़िंक राइस, बासमती, काला नमक किरण, विष्णुभोग, श्यामला, लायचा धान की ले रहे उपज
समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो,
राजनांदगांव, जैविक खेती को अपनाकर डोंगरगांव विकासखण्ड के ग्राम सोमाझिटिया के प्रगतिशील कृषक श्री खेमलाल देवांगन ने समृद्धि की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। उनके जीवन में परिवर्तन आया कृषि विभाग के कृषि मेला में पहुंचकर जहाँ वेस्ट डी कम्पोजर के कल्चर निःशुल्क प्रदान किया जा रहा था। वैज्ञानिक पद्धति से कृषि करने के विचारों को सुनकर वे प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि लघु धान्य फसलों को बढ़ावा देने के लिए शासन द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीदने की पहल सराहनीय है। वे अभी अपने खेतों में जैविक विधि से पोषक तत्वों से भरपूर प्राचीन पैगम्बरी सोनामोती गेहूँ, देशी बंशी गेहूँ, जिंक बायो फोर्टिफाइड गेहूँ, काला गेहूँ (शुगर फ्री), खपली गेहूँ, ब्लैक राइस, रेड राइस, ग्रीन राइस, ज़िंक राइस, बासमती, काला नमक किरण, विष्णुभोग, श्यामला, लायचा धान की उपज ले रहे हैं, जिनकी मार्केट में खासी डिमांड है और वे अन्य राज्यों में भी निर्यात कर रहे हैं। ये जैविक उत्पाद स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद हैं और कई बीमारियों में विशेष उपयोगी हैं। जैविक खेती के लिए उनका जज्बा देखकर यह पंक्तियां उपयुक्त लगती हैं-
उठो ये मंजर-ए-शब-ताब देखने के लिए, कि नींद शर्त नहीं ख्वाब देखने के लिए
कृषक खेमलाल देवांगन ने कृषि विभाग के सहयोग से नलकूप खनन योजनांतर्गत एक नलकुप खनन करवाया जिसमें में अस्थाई विद्युत कनेक्शन लेकर लगभग 8 एकड़ जमीन की सिंचाई कर रबी सीजन में काला गेंहूॅं, शरबती गेंहॅू एवं गेंहॅू की प्रचानी एवं देशी वेरायटी में प्राचीन पैगंबरी सोना मोती गेहूँ, देशी बंसी गेहूॅं की फसल पूर्ण जैविक विधि से लेने लगे। जिससे फसल क्षेत्र में वृद्धि हुई और जैविक गेहूँ के बीज एवं आटा की मार्केटिंग से आय में वृद्धि हुई। उन्होंने बताया कि सरकार ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत धान की सुंगधित वेरायटी लगाने पर इनपुट सब्सिडी दिये जाने का प्रावधान किया है, जिसमें मैनें 4.36 एकड़ पर सुगंधित धान की फसल लगाकर इस योजना में सहभागिता निभाई है, जिससे मुझे लगभग 40 हजार रूपए का अनुदान प्राप्त होगा, जो मेरी अतिरिक्त आमदनी होगी। उन्होंने बताया कि पहले वे अपनी पैतृक जमीन पर वर्षा आधारित धान की फसल रासायनिक खेती करते थे। लेकिन वर्ष 2015 में धान की रासायनिक खेती में वेस्ट डिंकपोजर के कल्चर का उपयोग सिंचाई में करने यूरिया, डीएपी एवं पोटाश की कम मात्रा में उपयोग करने के बावजूद उत्पादन प्रभावित नही हुआ। धान को बालियों की लबांई, दानों का वजन, कटाई तक धान के पौधे का नही गिरना जैसे आश्चर्यजनक परिणाम से प्रभावित होकर वे जैविक खेती की ओर अग्रसर हुए। शासन की नरवा, घुरवा, गरवा, बाड़ी के योजना अंतर्गत गोधन वर्मी कम्पोस्ट एवं सुपर कंपोस्ट खरीदकर जैविक खेती में मुख्य एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति हेतु उपयोग कर रहे हैं। वेस्ट डिंकपोजर की सहायता से 200-200 लीटर के ड्रम में तैयार तरल घोल को खेतों तक ले जाने में कठिनाई को देखते हुए उन्होंने 8 एकड़ में चौड़ा रास्ता बनाया एवं बोरवेल पंप के बाजू में एक पंप हाउस का निर्माण कराया ताकि सभी जैविक तरल घोल को ड्रम में बनाकर खेतों एवं फसलों पर सिंचाई या स्प्रे के माध्यम से आसानी से दे सकें। उन्होंने बताया कि बोरवेल पंप को मोबाइल से कॉल करके चालू एवं बंद करने हेतु मोबाईल पंप स्टार्टर इंस्टाल किया है। जिसमें छोटे बड़े खेतों में जितनी पानी की आवश्यकता हो उतने समय तक पंप चालू रखकर पानी को संरक्षित करने का प्रयास किया है। इस स्टार्टर को खेत में उपस्थित नहीं रहने पर भी दुनिया के किसी भी कोने से मोबाइल नेटवर्क रहने पर पंप को चालू एवं बंद किया जा सकता है। बिजली बंद होने पर आपरेट किया जा सकता है।