दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में संरक्षित ट्रेन परिचालन के लिए उठाए जा रहे है एहतियाती कदम : सघन पेट्रोलिंग से संरक्षित परिचालन सुनिश्चित

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में संरक्षित ट्रेन परिचालन के लिए उठाए जा रहे है एहतियाती कदम : सघन पेट्रोलिंग से संरक्षित परिचालन सुनिश्चित

December 13, 2023 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज़, बिलासपुर

ट्रेनों का संरक्षित परिचालन सुनिश्चित करना रेलवे की पहली प्राथमिकता रही है, और इसके लिए समय-समय पर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में अनेक अभियान चलाये जा रहे हैं । इसी कड़ी में ठंड के दिनों में भी सुगम एवं निर्बाध रूप से व्यवधान-मुक्त रेल सेवा प्रदान करने हेतु शीतकालीन पेट्रोलिंग प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष ज़ोरशोर से शुरू की गई है ।

सर्दियोंकेमौसममेंआमतौरपररेल परिचालन बेहदकठिनऔरचैलेंजिंगहोजाताहै । इसदौरानकोहरेकेसाथहीरेलफ्रैक्चरकीघटनाएंभी काफी दर्ज की जातीहैं । शरीर की हड्डी कंपादेनेवालीइस ठंडमेंरेल लाइन की देखभाल करते हुए रेल यात्रियों की यात्राकोसुरक्षितबनाने में बड़ी जिम्मेदारी ट्रैकमैन की होती है । ये ट्रैकमैन भारतीय रेल के रीढ़ की हड्डी हैं जो सेना के जवान की तरह काम करते हैं। ठंड हो या गर्मी यहां तक कि ख़राब मौसम में भी ये ट्रैकमैन रेलवे ट्रैक पर अपनी ड्यूटी पर तैनात रहते हैं।

सर्दियों में रेल लाइनों पर संरक्षा को और अधिक मजबूत बनाने के लिए दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के तीनों रेल मंडलों बिलासपुर, रायपुर एवं नागपुर के सभी रेलखंडों में पेट्रोलिंग कर्मचारियों की तैनाती की गई है । दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में लगभग 921 बीट है । एक बीट 2 किलोमीटर का होता है, जिसमें 02 पेट्रोलिंग कर्मचारी, जो कि ट्रेकमेन, कीमेन होते है प्रतिदिन रात्रि 10 बजे से लेकर प्रातः 06 बजे तक 4 चक्कर लगते है । इस प्रकार प्रत्येक पेट्रोलिंग दल प्रतिदिन 16 किलोमीटर चलकर रेल लाइनों का निरीक्षण करता है । सभी पेट्रोलमैन को जीपीएस ट्रैकर यानी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम दिया गया, जिससे पेट्रोलिंग के समय इन पर निगरानी रखी जा सके । इसके अलावा, आपातकालीन स्थिति में इसी ट्रैकर की मदद से मोबाइल फोन द्वारा पेट्रोलमैन से कम्यूनिकेशन किया जा सकता है ।

रेलवे का पेट्रोलमैन आपात स्थिति में रेलवे लाइन को सुधारने वाले सभी आवश्यक उपकरणों जो कि लगभग 20 से 25 किलो सामान उठाकर रोजाना 16 से 20किलोमीटर चलता है । रात के वक्त ट्रैक की पेट्रोलिंग करने वाले कर्मचारियों को एचएसएल लैंप (रात को इंडीकेशन करने वाली लैंप), लाल झंडी, नट बोल्ट कसने के लिए चाबी व पटाखे दिए जाते हैं। रात के वक्त यदि कोई नट बोल्ट अथवा क्लैंप ढीला पाया जाता है तो उसे तुरंत कस दिया जाता है। अगर ट्रैक में कोई दरार पाई जाती है तो पेट्रोलिंग कर्मचारी तुरंत इसकी सूचना देने के साथ लगते स्टेशन के स्टेशन मास्टर को देते है, ताकि समय रहते किसी भी अनहोनी को टाला जा सके।

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का बिलासपुर-अनुपपुर, रायगढ़-झारसुगुड़ा, अनुपपुर-अम्बिकापुर, चांपा-कोरबा, दुर्ग-गोंदिया, गोंदिया-चांदाफोर्ट, गोंदिया-बालाघाट-जबलपुर, दुर्ग-दल्लीराझरा जैसे अधिकांश सेक्शन अभ्यारण्य क्षेत्र से सटा है और पूरे क्षेत्र में जंगली जानवरों की भरमार है। ऐसे में भी पेट्रोलमैनअंधेरे में जंगली जानवरों के क्षेत्र में अपनी ड्यूटी पूरी ज़िम्मेदारी के साथ निभाता है । विपरीत मौसम में, सर्दी के समय जब रात को कड़ाके की ठंड पड़ती है, ऐसे में भी पेट्रोलमैन अपना कार्य करते हैं,ताकि रेल यात्रियों का सफर संरक्षा के साथ पुरा हो सके।

इसके साथ ही रेलवे के सभी सम्बन्धित विभागों द्वारा भी शीतकालीन के दौरान विशेष संरक्षा अभियान चलाया गया है, जिसके तहत समपार फाटकों, रेल पुलों, रेल पथों, संरक्षा एवं सुरक्षा से जुड़े संसाधनों, ओ.एच.ई.लाइन, सम्बद्ध उपकरणों, सिग्नल प्रणाली आदि का सघन निरीक्षण एवं जांचकर आवश्यकतानुसार उनका अनुरक्षण किया गया है, जिससे शीतकालीन के दौरान भी रेल परिचालन निर्बाध और सुचारू रूप से चलता रहे ।