खाद्य प्रसंस्करण के  क्षेत्र में स्टार्टअप के लिए बहुत अवसर है, प्राकृतिक संपदा से समृद्ध जशपुर में खाद्य प्रसंस्करण उद्यमिता के क्षेत्र में आगे बढ़ा जा सकता है – डॉ विजय रक्षित

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समदर्शी न्यूज़, जशपुर : जिला मुख्यालय स्थित शासकीय राम भजन राय एन. ई. एस.  स्नातकोत्तर महाविद्यालय जशपुरनगर  एवम राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान(निफ्टेम) कुंडली,हरियाणा के संयुक्त तत्वाधान में “खाद्य प्रसंस्करण और खाद्य क्षेत्र में उद्यमिता विकास” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला एवम इंटर्नशिप (प्रशिक्षण) कार्यक्रम का आयोजन  अर्थशास्त्र परिषद ,अर्थशास्त्र विभाग द्वारा किया गया।

 कार्यशाला में स्त्रोतपुरुष के रूप में डॉ प्रसन्न कुमार, वी प्राध्यापक निफ्टेम कुंडल , श्री कवच भगत , कृषि जशपुर व खाद्य संस्करण के रिसर्च स्कॉलर उपस्थित थे।

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ विजय रक्षित ने अपने उद्बोधन में कहा कि खाद्य प्रसंस्करण के  क्षेत्र में स्टार्टअप के लिए बहुत अवसर है। प्राकृतिक संपदा से समृद्ध जशपुर में खाद्य प्रसंस्करण उद्यमिता के क्षेत्र में आगे बढ़ा जा सकता है। जशपुर के युवा विज्ञानीक, खाद्य प्रसंस्करण सलाहकार एवम उद्यमी समर्थ जैन की उपलब्धियों को बताते हुए छात्रा-छात्राओं को  उनसे आवश्यक मार्गदर्शन लेकर इस दिशा में आगे बढ़ने को कहा। स्रोत पुरुष श्री कवच भगत  कृषि जशपुर ने  खाद्य प्रसंस्करण के ऐतिहासिक पक्ष पर प्रकाश डालते हुए कहा कि खाद्य प्रसंस्करण 19वीं सदी से हुआ। इसका उपयोग सबसे पहले सेनाओं के द्वारा शुरू किया गया और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान व्यापक स्तर पर उपयोग में लाया जाने लगा। भारत में इसकी शुरुआत 1960 के दशक में होता है। उन्होंने कहा कि खाद्य पदार्थों में गुणवत्ता वृद्धि कर “आम को खास और लोकल को ग्लोबल” बनाया जा सकता है। जिससे स्थानीय उत्पाद एक ब्रांड के रूप में स्थापित हो सके। जशपुर में उपजने वाले खाद्य पदार्थों के विषय में बताते हुए कहा कि यहां की जलवायु में फलों और सब्जियों के उत्पादन की पर्याप्त संभावनाएं हैं। खाद्य पदार्थों का अच्छे से पैकेजिंग करके प्रभावी तरीके से एडवर्टाइजमेंट कर उद्यमिता के क्षेत्र में आगे बढ़ा जा सकता है। अगले स्रोत पुरुष डॉ प्रसन्न कुमार जीवी ने स्थानीय खाद्यान्न को वैश्विक उद्यमिता के मंच में स्थापित करने के लिए “लोकल से वोकल”पर जोर दिए। उन्होंने उद्यमिता विकास के  लिए बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर पीएमएफएमई सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना के तहत 10 लाख की सहायता राशि व इस पर 3.50 लाख की सब्सिडी दी जाती है। निफ्टेम के रिसर्च स्कॉलरो ने भी खाद्य प्रसंस्करण और उद्यमशीलता के विषय में विस्तार से जानकारी दिए। उन्होंने इस युग को  हरित क्रांति, दूध क्रांति के पश्चात खाद्यान्न प्रसंस्करण क्रांति का युग कहा। इन्होंने बाजार के अनुरूप खाद्य पदार्थों में गुणवत्ता बढ़ाने की विधि व उनको लंबे समय तक कैसे सुरक्षित रखें इस पर चर्चा किए। उद्यमशीलता के विषय में बताते हुए कहा कि आवश्यक दस्तावेजों के माध्यम से कंपनी का रजिस्ट्रेशन एवम ट्रेडमार्क प्राप्त करने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दिए।

कार्यशाला पूरे समय परस्पर संवाद पर आधारित था। सत्र के दौरान छात्र-छात्राओं ने स्रोतपुरुष से प्रश्न किए, वक्ताओं ने छात्र-छात्राओं के प्रश्नों का समाधान भी कियें।

कार्यशाला के अंतिम पड़ाव में  महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ विजय रक्षित ने स्रोत पुरुष प्रोफेसर प्रसन्न कुमार जी वी को स्मृति चिन्ह देखकर सम्मानित किया। कार्यशाला के संयोजक डॉ अमरेंद्र ने आभार प्रदर्शन करते हुए स्रोत पुरुष,रिसर्च स्कॉलर, महाविद्यालय के प्राचार्य और सभी छात्र-छात्राओं को धन्यवाद ज्ञापित  किए।

कार्यशाला में विभागाध्यक्ष भूगोल डॉक्टर जेपी कुजूर, विभागाध्यक्ष हिंदी साहित्य प्रो. सुश्री के के केरकेट्टा, प्रो. एस ई जी लकड़ा, प्रो. एस निकुंज, प्रो. आईलिन एक्का, रजिस्ट्रार बी आर भारद्वाज, प्रो गौतम सूर्यवंशी, अतिथि विद्वान अनुग्रह, एलिस टोप्पो,देवदत्त घृतलहरे , विनीता केरकेट्टा, अल्का सिंह,शालिनी गुप्ता एवं सभी विभागों के स्नातकोत्तर छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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