सुरक्षा बल मुस्तैद लेकिन नक्सल मसले पर भाजपा सरकार मति भ्रम का शिकार है, भाजपा सरकार अपनी नक्सल नीति स्पष्ट करें – सुशील आनंद शुक्ला

सुरक्षा बल मुस्तैद लेकिन नक्सल मसले पर भाजपा सरकार मति भ्रम का शिकार है, भाजपा सरकार अपनी नक्सल नीति स्पष्ट करें – सुशील आनंद शुक्ला

January 31, 2024 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज़, रायपुर : जगारगुंडा थाना क्षेत्र के टेकलगुड़ेम में नक्सलियों के द्वारा किये गये हमले में तीन जवानों की शहादत बेहद दुखद है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इन जवानों के प्रति अपनी सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करती है शहीद जवानों के परिजनों के प्रति अपनी एकजुटता प्रदर्शित करती है तथा घायल जवानों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना है, हमारे जवानों ने बड़ी बहादुरी से आतातायियों का सामना किया। देश को इन जवानों की वीरता पर गर्व है। हमारी सरकार से मांग है कि सरकार अपनी नक्सलवादी नीति स्पष्ट करें। सरकार के अनिर्णय वाली स्थिति के कारण जब से प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी है नक्सली गतिविधियां बढ़ी है। भाजपा की सरकार को तत्काल निर्णय लेने की आवश्यकता है। 

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि सरकार बने डेढ़ महिने से अधिक हो गया है अभी तक सरकार ने नक्सलवाद जैसे महत्वपूर्ण मसले पर अपना कोई राय नहीं बना पाई है। सरकार मति भ्रम का शिकार है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने नक्सलवाद पर एक ठोस नीति बनाया था विश्वास, विकास, सुरक्षा के मूल मंत्र को लेकर कांग्रेस सरकार आगे बढ़ी थी जिसके सकारात्मक परिणाम आये और राज्य में नक्सली गतिविधियों में 80 प्रतिशत तक की कमी आई थी तथा रमन राज में नक्सलवाद 15 जिलों तक पहुंच गया था कांग्रेस सरकार के 5 सालों में बस्तर के सूदुर क्षेत्रों तक सिमट गया था। वर्तमान भाजपा सरकार के अनिर्णय के कारण राज्य में एक बार फिर नक्सली गतिविधियां बढ़ गई है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि सरकार समझ ही नहीं पा रही कि उसे क्या करना है? राज्य के गृह मंत्री पहले तो कहते है नक्सलियों से सख्ती से निपटा जायेगा, फिर उनका बचकाना बयान आता है कि नक्सलवादियों से वीडियों कांफ्रेंसिंग माध्यम से बात करेंगे। सरकार को यह पता है कि अमुक व्यक्ति नक्सल गतिविधि में लिप्त है, जब सरकार के पास इतनी पुख्ता जानकारी है तो फिर उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही करने से रोक कौन रहा है? सरकार नक्सलियों के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाय खुद पहल करके बात करने वह भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत का प्रस्ताव क्यों रखा है?