जशपुर जिले के पमशाला में व्यसन और मानसिक स्वास्थ्य पर एक दिवसीय सेमिनार का किया गया आयोजन : पारंपारिक आस्था चिकित्सकों, धार्मिक विद्वानों, जन प्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने लिया भाग

जशपुर जिले के पमशाला में व्यसन और मानसिक स्वास्थ्य पर एक दिवसीय सेमिनार का किया गया आयोजन : पारंपारिक आस्था चिकित्सकों, धार्मिक विद्वानों, जन प्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने लिया भाग

February 23, 2024 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज़, जशपुर : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के धर्मपत्नी एवं जिले के प्रथम महिला श्रीमती कौशल्या देवी मार्गदर्शन और कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल के निर्देशानुसार स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा ग्राम पमशाला ब्लॉक फरसाबहार में पारंपारिक आस्था चिकित्सकों, धार्मिक विद्वानों, जन प्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए व्यसन और मानसिक स्वास्थ्य पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया।

सेमिनार में लगभग 6 से 7 सौ प्रतिभागियों ने भाग लिया। पारंपारिक आस्था चिकित्सक मुख्य रूप से बैगा, नयाग बैगा, कवर, गोंड और नागेशिया आदिवासी समुदायों से संबंधित थे। साथ ही हिंदू, ईसाई और मुस्लिम जैसे विभिन्न धर्मों के धार्मिक विद्वान, पंचायती राज के कुछ जन प्रतिनिधी, गैर-सरकारी संगठनों के विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ता और गणमान्य व्यक्तियों ने इस सेमिनार में सक्रिय रूप से भाग लिया। सेमिनार के उप विषय मानसिक विकारों के कारण, मानसिक विकार वाले लोगों के लिए विभिन्न प्रकार के कलंक, जैसे व्यक्तिगत, सामाजिक और संस्थागतय मानसिक विकार वाले लोगों के प्रति पूर्वाग्रह, भेदभाव और रूढ़िबद्ध रवैया, मानसिक विकारों के लिए औषधीय और मनोचिकित्सीय हस्तक्षेप के बारे में जानकारी दी गई।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आर.एस. पैकरा, मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर डॉ. एफ. खाखा, मेडिसिन विशेषज्ञ एवं नोडल अधिकारी, एनएमएचपी, डॉ. अबरार खान मनोवैज्ञानिक, प्रभारी सलाहकार, एनएमएचपी, और श्री विवेक कुजूर वरिष्ठ मनोरोग नर्सिंग अधिकारी ने उप-विषयों पर व्याख्यान दिया।

डॉ. आर. एस. पैकरा ने अपने उद्बोधन मे कहा कि नशा भारतीय संस्कृति का हिस्सा नही है, यह स्वतंत्रता के पूर्व अंग्रेजो एवं अन्य विदेशी ताकतो के द्वारा भारत मे निर्यात किया गया है। नशा भारतीयता की पहचान कभी नही रहा है, यह पश्चात्य संस्कृति की देन है। स्वतंत्रता के पूर्व अंग्रजो ने भारत को गुलामी के जंजीरो मे जकटे रखने हेतु युवाओं मे नशा के प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया, जिससे युवा अपने निर्णय लेने की क्षमता का सही उपयोग न कर पाये। वर्तमान समय मे समाज के सभी वर्गा एवं सभी जातियों के युवाओं नशा के प्रति लालसा तीव्र गति से बढ़ रही है, विदेशी ताकते उक्त लालसा को बढ़ने मे मुख्य रुप से जिम्मेदार है। वर्तमान समय मे विभिन्न संचार के माध्यम जैसे फिल्म, टेलीविजन, समाचार पत्रो के विज्ञापनो के माध्यम से युवाओं को नशा के प्रति अभिप्रेरित किया जा रहा है। परिणामतः युवाओं मे नशा के प्रति निर्भरता, नशा से संबंधित मानसिक रोग, नशा के कारण अपराध मे वृद्धि तेजी बढ़ रहा है। जिससे समाज मे असंमाजस्य बनने की स्थिति उत्पन्न होने की आंशका है। वास्तविकता यह है कि, भारत की बढ़ती आर्थिक एवं वैश्विक ताकतो को देखकर विदेशी ताकते ईश्यापूर्वक भारत के विकसित होने के राह मे रुकावटे डाल रही है। अतः आज हम सब भारतीयों को अपने भारतीय संस्कृति को अपनाना आवश्यक है, नशा का बहिष्कार हमे अपने समाज से अवश्य रुप से करना होगा।  

ब्लॉक फरसाबहार की टीम के सदस्य, डॉ. विनय ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर और श्री सुशील ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर ने मानसिक विकारों के मिथकों और तथ्यों पर व्याख्यान दिया।

सेमिनार के दौरान कई पारंपरिक आस्था चिकित्सकों और धार्मिक विद्वानों को मानसिक विकारों के लिए औषधीय और मनोचिकित्सीय उपचार विधियों के बारे में आश्वस्त किया गया। बहुत से पारंपरिक आस्था चिकित्सकों ने मानसिक विकारों के इलाज के लिए रोगियों को जिला अस्पताल में रेफर करने की इच्छा व्यक्त की। कई प्रतिभागियों ने व्यसन और मानसिक बीमारी के बारे में अपनी भावनाएँ व्यक्त कीं।

सुश्री स्मृति एक्का डीपीएम, देवेन्द्र राठौर एएनओ, एनसीडी, राजीव प्रसाद एफएलसी, एनसीडी, निरंजन मानिक एसए,एनएमएचपी, और फरसाबहार ब्लॉक के सभी मानव संसाधनों ने सेमिनार आयोजित किया जाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।