कविता प्राण लहरे पर आरोप भाजपा का सांप्रदायिक चरित्र, जनप्रतिनिधि सभी धर्म जाति समाजों के कार्यक्रमों में जाते है – सुशील आनंद शुक्ला

कविता प्राण लहरे पर आरोप भाजपा का सांप्रदायिक चरित्र, जनप्रतिनिधि सभी धर्म जाति समाजों के कार्यक्रमों में जाते है – सुशील आनंद शुक्ला

February 27, 2024 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज़, रायपुर : कांग्रेस विधायक कविता प्राण लहरे के मसीही समाज के एक कार्यक्रम के वीडियों पर भाजपा द्वारा किये गये बयानबाजी को प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने स्तरहीन और अमर्यादित बताया है। कविता प्राण लहरे एक जनप्रतिनिधि है। जनप्रतिनिधि सभी समाजों धर्मों जातियों के कार्यक्रमों में समभाव से जाता है तथा प्रजातंत्र में सभी की भावनाओं का आदर करना है। जनप्रतिनिधि का कर्तव्य होता है। विधायक कविता प्राण लहरे ने भी मसीही समाज के कार्यक्रम में उस समाज की भावनाओं का आदर करते हुये शामिल हुई थी। भाजपा अपने सांप्रदायिक चरित्र के अनुसार इस मामले में निम्न स्तर की राजनीति कर रही है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि विधायक कविता प्राण लहरे बाबा गुरु घासी दास जी के अनुयायी है बाबा गुरु घासी दास जी ने दुनिया को मनखे-मनखे एक समान का संदेश दिया है। समाज मे फैले भेदभाव, ऊंच नीच, छुआछूत, अगड़ी पिछड़ी की द्वेष नकारात्मक को खत्म किया है। कविता प्राण लहरे बाबा घासी दास जी के बताये मार्ग में चलकर सभी धर्म संप्रदाय समाज को समान नजर से देखते हैं सबका सम्मान करती है ऐसे में भाजपा जिसका मूल काम नफरत और वैमनस्यता फैलाना है। भाजपा ने बाबा गुरु घासीदास जी के अनुयाई कविता प्राण लहरे के खिलाफ अपनी निम्न स्तरीय सोच और घटिया राजनीति का परिचय देते हुए अनुसूचित जाति के महिला की छवि धूमिल करने का जो षड्यंत्र रचा है। यह बाबा गुरु घासीदास जी का अपमान है आरएसएस और भाजपा काटों और बाँटो की राजनीति करती है और कविता प्राण लहरे मनखे मनखे एक समान के संदेश को चरितार्थ किया है भाजपा को कविता प्राण लहरे के खिलाफ षडयंत्र पूर्वक की गई चरित्र हनन की राजनीति के लिए बाबा गुरु घासीदास जी सतनामी समाज और कविता प्राण लहरे से माफी मांगना चाहिए।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मजार पर गये थे, अडवानी जिन्ना की मजार पर गये थे तो क्या वे सब अपना मूल धर्म छोड़कर मुस्लिम हो गये या फिर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने मसीही भोग करवाया था इसका मतलब आरएसएस ईसाई धर्म की प्रचारक हो गई है। भाजपा को इसका जवाब देना चाहिये।