प्रधानमंत्री मोदी का 5 प्रतिशत गरीब होने का आंकड़ा झूठा और भ्रामक, यदि 137 करोड़ आबादी में 81 करोड़ 25 लाख गरीब हैं तो यह 60 प्रतिशत न्यूनतम है या उच्चतम? – सुरेंद्र वर्मा

प्रधानमंत्री मोदी का 5 प्रतिशत गरीब होने का आंकड़ा झूठा और भ्रामक, यदि 137 करोड़ आबादी में 81 करोड़ 25 लाख गरीब हैं तो यह 60 प्रतिशत न्यूनतम है या उच्चतम? – सुरेंद्र वर्मा

February 27, 2024 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज़, रायपुर : देश में गरीबी को लेकर प्रधानमंत्री के दावों पर पलटवार करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि अपनी नाकामियों पर परदेदारी करने, दुर्भावना पूर्वक आंकड़े छुपाना और एजेंसियों पर अनुचित दबाव बनाकर आंकड़े परिवर्तित करने वाली मोदी सरकार अब कोरी लफ्फाजी पर उतर आई है। हकीकत यह है कि विगत 10 वर्षों में मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के चलते देश में गरीबी तेजी से बढ़ी है। केंद्र सरकार के आंकड़ों में ही देश की लगभग 60 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे धकेल दी गई है जिन्हें 5 किलो राशन देने का दावा केंद्र की मोदी सरकार करती है। 137 करोड़ की कुल आबादी में मोदी सरकार के दावों के अनुसार ही 81 करोड़ 25 लाख से अधिक जनता गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने मजबूर है। मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले यह आंकड़ा कुल आबादी का महज 30 से 32 प्रतिशत हुआ करता था जो अब बढ़कर 60 प्रतिशत हो गया है। मोदी सरकार के अदानी परस्त नीतियों के चलते गरीब और गरीब होते गए और मध्यम वर्ग के लोग भी बड़ी तेजी से गरीबी रेखा से नीचे धकेल जा रहे हैं। देश के संसाधनों पर चंद पूंजीपति मित्रों का कब्जा तेजी से बढ़ रहा है। आम जनता को मिलने वाली राहत और सब्सिडी को रेवड़ी करार दी जाने लगी है और देश के संसाधन, देश के सार्वजनिक उपक्रम, देश की संपत्तियां, नवरत्न कंपनियां, खदानें, बंदरगाह, बैंक, बीमा और तमाम मलाई मोदी के मित्रों पर लुटाई जा रही है। मोदी राज में गरीब और गरीब होते जा रहे हैं, गरीबों की संख्या औसतन दुगुनी स्तर पर पहुंचाने वाली मोदी सरकार उल्टे गरीबी के सबसे नीचे स्तर पर पहुंचाने का दावा करके जनता के जख्मों पर नमक छिड़क रहें हैं।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि मोदी सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन और अनर्थशास्त्र की पुष्टि भारत की घरेलू बचत से होती है, जो 50 वर्षों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुकी है। 2021 में यह जीडीपी की 11.5 प्रतिशत थी जो अब 2023 में घटकर 5.1 प्रतिशत पर आ गई है। सामान्यतः कोई भी व्यक्ति अपनी जमा पूंजी तब तक खर्च नहीं करता जब तक भुखमरी की नौबत ना आ जाए। प्रधानमंत्री जिस रिपोर्ट का जिक्र कर रहे हैं उसके अनुसार 2011-12 के बाद से शहरी परिवारों में औसत एमपीसीई 33.5 प्रतिशत बढ़कर 3510 रुपए हो गई है और ग्रामीण परिवारों में 40 प्रतिशत बढ़कर 2008 रुपए हो गई है पर यह उछाल वास्तविक आय में बढ़ते नहीं बल्कि मोदी निर्मित कमर तोड़ महंगाई के कारण हुआ है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि आरबीआई की कंज्यूमर कॉन्फिडेंस के साथ वास्तविक आय, उपभोक्ता पैटर्न, रोजगार, घरेलू ऋण और बढ़ते क्रेडिट जीडीपी के अंतर जैसी अन्य चीजों का अनुचित विश्लेषण करके 5 प्रतिशत गरीबी रह जाने का दावा आधारहीन है, इस भ्रामक झूठ के लिए देश की जनता से माफ़ी मांगनी चाहिए। केंद्र की सरकार बताएं की नीति आयोग का जुलाई 2023 में जारी 19.8 प्रतिशत गरीबी का आंकड़ा कहां से आया था? सर्वे के दावों में कहा गया है कि लोग अनाज कम खा रहे हैं और सब्जी फल पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं, असलीयत यह है कि फ्री राशन की वजह से अनाज पर कम खर्च का मतलब यह नहीं है कि लोग पौष्टिक आहार खा रहे हैं। SOFI की रिपोर्ट के अनुसार मोदी राज में 74 प्रतिशत भारतीय पौष्टिक आहार नहीं खा पा रहे हैं हम निरंतर भुखमरी इंडेक्स में गिर रहे हैं 7.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि असलियत यह है कि विगत 10 साल के मोदी राज में देश की अर्थव्यवस्था का तेजी से बंटाधार किया गया, अर्थव्यवस्था तेज़ी से उल्टे पांव भाग रही है। बड़े पैमाने पर सार्वजनिक उपक्रम बेचने के बावजूद देश पर कुल कर्ज का भार 2014 की तुलना में तीन गुना अधिक बढ़ गया। युद्ध और आपदा जैसी पस्थितियों के लिए संरक्षित आरबीआई का रिजर्व सरप्लस फंड भी मोदी सरकार निकाल कर खा गई। अब अपने झूठे प्रचार के लिए मोदी सरकार देश की आर्थिक आंकड़ों के विश्वसनीयता के साथ खिलवाड़ करना बंद करें।  NSSO जैसी संस्थाओं को दबाव पूर्वक आंकड़े जारी करने से रोकना और आंकड़े बदलवाना बंद करें।