नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के जनता को मूर्ख कहा – वंदना राजपूत

Advertisements
Advertisements

समदर्शी न्यूज़, रायपुर : प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वंदना राजपूत ने केंद्र सरकार पर महंगाई को लेकर जमकर साधा निशाना और कहा की छत्तीसगढ़ मैं आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी कहते हैं की महंगाई लोगों को समझ में नहीं आ रही है इसका तात्पर्य है यह है कि बस्तर के जो भोली भाली आदिवासी है वह नासमझ  है। नरेंद्र मोदी जी अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए जनता को मूर्ख कह रहे है 100 दिन में महंगाई कम करने के वादे के साथ सत्ता में काबिज हुए और जब से सत्ता में भाजपा की सरकार आई है तब से लगातार दैनिक जीवन की वस्तुओं के दामों में बेतहाशा वृद्धि हुई है बेलगाम महंगाई ने जनता की रीड की हड्डी तोड़ रखी है । बेलगाम महंगाई से आज रसोई में संकट छाया हुआ है।

केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वंदना राजपूत ने आरोप लगाया कि बेरोज़गारी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है और महंगाई आसमान छू रही है तथा ग्रामीण भारत के गंभीर संकट से जूझने के साथ ही असमानता चरम पर पहुंच चुकी है. वंदना राजपूत  ने दावा किया कि केंद्र की गलत नीतियों के चलते यह स्थिति पैदा हुई है. ‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था में जितनी भी खतरे की घंटियां बज रही हैं, वे केवल प्रधानमंत्री मोदी को ही नहीं सुनाई दे रही हैं. उनके कार्यकाल में भारत में बेरोज़गारी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है, महंगाई आसमान छू रही है, वास्तविक मजदूरी में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. कई क्षेत्रों में गिरावट आई है, ग्रामीण भारत गंभीर संकट से जूझ रहा है और असमानता चरम पर है.’’

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वंदना राजपूत ने कहा कि वित्तीय और निवेश सेवाएं प्रदान करने वाली एक कंपनी की ताज़ा रिपोर्ट प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों का भारतीय परिवारों पर पड़ने वाले विनाशकारी प्रभाव को दिखाती है.

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वंदना राजपूत ने कहा, ‘‘ एक रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2023 तक घरेलू ऋण का स्तर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 40 प्रतिशत हो गया. यह अब तक का सबसे अधिक है. इसके अलावा, घरेलू बचत भी 47 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है. शुद्ध वित्तीय बचत जीडीपी के पांच प्रतिशत पर आ गई है.’’ उनके मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि बचत में यह ’आश्चर्यजनक’ गिरावट आय में वृद्धि कम होने के कारण है.

‘‘इससे पता चलता है कि 2023-24 में निजी खपत और घरेलू निवेश का विकास कम क्यों रहा है. 2023-24 के पहले नौ महीनों में परिवारों की शुद्ध वित्तीय बचत जीडीपी के लगभग 5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित थी. कम बचत का अर्थ है व्यापार और सरकारी निवेश के लिए कम पूंजी उपलब्ध होना और अस्थिर विदेशी पूंजी पर बढ़ती निर्भरता.’’

Advertisements
Advertisements
error: Content is protected !!