सूचना का अधिकार अधिनियम सरकार के कार्यो को पारदर्शी बनाता है – राज्य सूचना आयुक्त श्री अग्रवाल

Advertisements
Advertisements

आवेदक को समय सीमा में जानकारी देना जनसूचना अधिकारी का दायित्व – श्री त्रिवेदी

कार्यालय में संधारित जानकारी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी जनसूचना अधिकारी की – श्री राठौर

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो,

राजनांदगांव. राज्य सूचना आयुक्त श्री अशोक अग्रवाल ने आज कलेक्टोरेट सभा कक्ष में आयोजित सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 विषय पर आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 सरकार के क्रियाकलापों को पारदर्शी बनाना है। सूचना का अधिकार अधिनियम आम जनता की भलाई के लिए बनाया गया है। नागरिकों को शासकीय योजनाओं, कार्यक्रमों और कार्यों के बारे में जानकारी हासिल करने का अधिकार है। इसलिए शासकीय कार्यों और कार्यक्रमों को विभागीय वेबसाईट में प्रदर्शित किया जाए, ताकि आम नागरिक को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन लगाने की जरूरत ही ना पड़े। सूचना का अधिकार अधिनियम आम जनता की भलाई के लिए बनाया गया है।  कार्यालय में संधारित जानकारी आवेदक के द्वारा मांगे जाने पर उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी जनसूचना अधिकारी की है। इस अवसर पर जिला पंचायत के मुख्य कार्यापालन अधिकारी श्री लोकेश चंद्राकर, अपर कलेक्टर श्री सी एल मारकण्डेय उपस्थित थे।

राज्य सूचना आयुक्त श्री मनोज त्रिवेदी ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 आवेदक को समय सीमा में जानकारी देना जनसूचना अधिकारी का दायित्व है। जनसूचना अधिकारी जानकारी देने की समय-सीमा और शुल्क पर विशेष ध्यान रखें। आवेदक को समय-सीमा के भीतर जानकारी दें अन्यथा निर्धारित समय-सीमा 30 दिन के बाद आवेदक को नि:शुल्क जानकारी देनी होगी। आम जनता सरकार को कर अदा करती है। नागरिकों को शासकीय योजनाओं, कार्यक्रमों और कार्यों के बारे में जानकारी हासिल करने का अधिकार है, इसलिए शासकीय कार्यों और कार्यक्रमों को विभागीय वेबसाईट में प्रदर्शित किया जाए, ताकि आम नागरिक को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन लगाने की जरूरत ही ना पड़े।

संयुक्त संचालक छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग श्री धनंजय राठौर ने पावर पार्इंट प्रजेन्टेंशन के माध्यम से सूचना के अधिकार से संबंधित जानकारी बारीकी से दी। उन्होंने कहा कि जनसूचना अधिकारी अधिनियम के तहत प्राप्त आवेदनों को स्वयं पढ़े, इससे गलती की संभावना कम होगी। जनसूचना अधिकारी को पूर्वाग्रह से भी बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि आवेदक को जानकारी देते समय जनसूचना अधिकारी का नाम, पदनाम का भी स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए। साथ ही आवेदक को प्रथम अपीलीय अधिकारी का नाम और पदनाम की भी जानकारी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि आवेदक द्वारा चाही गई जानकारी आपके कार्यालय से संबंधित नहीं है, तो उसे संबंधित कार्यालय को 5 दिवस के भीतर अंतरित किया जाए। संयुक्त संचालक ने कहा कि जब आवेदक सूचना का अधिकार के तहत आवेदन प्रस्तुत करता है, तो आवेदन पत्र को ध्यान से पढ़े, आवेदन पत्र में एक से अधिक विषय की जानकारी चाही गई है, तो केवल एक विषय की जानकारी आवेदक को दी जा सकती है। इसी तरह सशुल्क जानकारी देने की स्थिति पर शुल्क की गणना भी आवेदक को दी जाए और आवेदक द्वारा शुल्क जमा करने के पश्चात् ही वांछित जानकारी की फोटो कॉपी कराई जाकर उपलब्ध कराया जाए।

जन सूचना अधिकारी अधिनियम के नियमों और उनकी बारीकियों को समझ सकें, इसलिए  राज्य सूचना आयोग ने कार्यशाला का आयोजन किया है। यह कार्यशाला जनसूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारियों के लिए उपयोगी साबित होगा। कार्यशाला में राज्य सूचना आयुक्तद्वय और संयुक्त संचालक ने जनसूचना अधिकारियों और प्रथम अपीलीय अधिकारी के प्रश्नों और शंकाओं का समाधान किया। एक दिवसीय कार्यशाला में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्रीमती प्रज्ञा मेश्राम, एसडीएम मोहला श्री ललितादित्य नीलम, नगर निगम आयुक्त श्री आशुतोष चतुर्वेदी, नगर पुलिस अधीक्षक श्री गौरव राय, एसडीएम राजनांदगांव श्री अरूण वर्मा एवं सभी एसडीएम तथा जन सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

Advertisements
Advertisements
error: Content is protected !!