शिक्षा की रोशनी ने दृष्टिबाधित गोपेन्द्र के जीवन में लाया उजियारा, अब शिक्षक पिता के सपनों को पूरा कर गांव के बच्चों को पढ़ाएगा, पढ़िए शिक्षक गोपेन्द्र की पूरी कहानी

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समदर्शी न्यूज़ रायपुर

शिक्षा एक ऐसा माध्यम है जिससे देश का भविष्य निर्माण होता है। समाज को गतिशील बनाकर विकास का आधार प्रदान करने के साथ व्यक्तित्व के विकास में भी शिक्षा के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। शिक्षा एक ऐसी रोशनी है जो किसी के अंधकारमय जिंदगी को संवार कर उजाले की ओर सही दिशा में ले जाती है। कुछ ऐसी ही कहानी गोपेन्द्र सोनकर की है। भले ही वह अपनी आंखों से देख नहीं पाता। लेकिन गांव के स्कूल में मिली शिक्षा ने उसकी जिंदगी को संवार दिया है। दृष्टिबाधित होने के बावजूद गोपेन्द्र ने अपनी पढ़ाई पूरी की। अब अपनी योग्यता की बदौलत वह उसी स्कूल में शिक्षक बनकर गांव के बच्चों को पढ़ाने जाने वाला है  जहां उसने अपनी पढ़ाई शुरू की थी। खास बात यह भी है कि इसी विद्यालय में गोपेन्द्र सोनकर के पिता ढालेन्द्र सोनकर प्रधानपाठक है।

रायपुर जिले के आरंग विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम पंचायत कागदेही निवासी गोपेन्द्र सोनकर ने शिक्षक दिवस के ठीक एक दिन पहले अपनी ज्वाइनिंग शासकीय प्राथमिक शाला ग्राम हरदीडीह में ली है। अब शिक्षक बन चुके गोपेन्द्र ने बताया कि ग्राम हरदीडीह के स्कूल में ही उन्होंने अपनी पढ़ाई की शुरूआत की थी। यहां से आगे की शिक्षा समोदा और गुल्लू में पूरी हुई। उन्होंने बताया कि दृष्टिबाधित होने की वजह से उसे बाहर जाकर पढ़ाई करने में दिक्कत हुई। घर-परिवार के आसपास ही रहकर किसी तरह पढ़ाई पूरी करने के बाद कृछ वर्ष तक पढ़ाई से उसका नाता भी टूट गया था। उनके पिता और भाई डॉ. जितेन्द्र सोनकर से मिली प्रेरणा और मार्गदर्शन ने उन्हें फिर से शिक्षा से जुड़ने मजबूर किया। आखिरकार उसने अपनी शिक्षा जारी रखी और वह शासकीय नौकरी हासिल कर पाया। गोपेन्द्र ने बताया कि गांव में पिताजी लंबे समय से विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं। उन्हें देखकर मुझे भी एक शिक्षक बनकर गांव के विद्यार्थियों को पढ़ाने का मन करता था। दृष्टिबाधित होने की वजह से मेरा जीवन, रहन-सहन बहुत आसान नहीं था। मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। दो बार छत्तीसगढ़ टीईटी और एक बार सीटीईटी परीक्षा पास करने के बाद सामान्य वर्ग से मेरा चयन शिक्षक के रूप में हुआ।

संघर्षमय जीवन को बनाया आसान

रायपुर जिले के अंतर्गत ग्राम कागदेही में रहने वाले शिक्षक गोपेन्द्र सोनकर ने बताया कि दृष्टिबाधित होने की वजह से उसे बहुत संघर्ष करना पड़ा। कही भी नौकरी कर पाना आसान नहीं था। शादी भी नौकरी पक्की होने के बाद की। उसने बताया कि उनके पिताजी ढालेन्द्र सोनकर भी एक शिक्षक है। उनकी प्रेरणा ने ही उन्हें भी शिक्षक बनने प्रेरित किया। वे ग्रामीणों के साथ गांव के बच्चों को लगातार शिक्षा से जुड़ने की बात कहते हैं। गोपेन्द्र ने बताया कि वे आधुनिक टेक्नॉलाजी के माध्यम से गांव के विद्यार्थियों को स्कूल में पढ़ायेंगे। गोपेन्द्र का चयन सहायक शिक्षक विज्ञान विषय पर शासकीय प्राथमिक शाला, ग्राम हरदीडीह में हुआ है। अब शासकीय नौकरी मिलने पर गोपेन्द्र का संघर्षमय जीवन आसान हुआ है।

मुख्यमंत्री और मंत्री डॉ.डहरिया के प्रति जताया आभार

शिक्षक बनने वाले गोपेन्द्र सोनकर ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और सरकार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि 2019 में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करने से ही उन्हें रोजगार मिला। कोरोना की वजह से भले ही कुछ समय तक भर्ती प्रक्रिया बाधित रहीं, लेकिन कुछ माह बाद ज्वॉइनिंग मिलने से वह आज शासकीय नौकरी में आ गया है। शिक्षक गोपेन्द्र ने क्षेत्र के विधायक और नगरीय प्रशासन एवं विकास तथा श्रम मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया के प्रति भी आभार जताया है। उन्होंने कहा कि मंत्री जी की पहल से उन्हें गांव से कुछ दूर स्थित विद्यालय में ज्वॉइनिंग मिल पाई है। मंत्री डॉ. डहरिया ने भी अपने क्षेत्र के निवासी गोपेन्द्र की प्रशंसा करते हुए कहा कि दृष्टिबाधित होने के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और अच्छी योग्यता और शिक्षा हासिल कर समाज के समक्ष एक उदाहरण भी पेश किया है कि शिक्षा की रोशनी खुद के साथ अन्य लोगों के जीवन में उजियारा लाती है। आज स्कूल में ज्वॉइनिंग के दौरान क्षेत्र के पार्षद नारायण कुर्रे सहित ग्रामीणों ने भी नए शिक्षक गोपेन्द्र का तिलक लगाकर स्वागत अभिनंदन किया। उनके पिताजी व प्रधानपाठक ने उन्हें स्कूल में ज्वॉइनिंग कराई और शिक्षकीय दायित्व को विस्तार से समझाया।

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