‘नवीन कानून दंड संहिता से न्याय संहिता की ओर’ एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन : अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय बिलासपुर के आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ एवं जिला पुलिस बिलासपुर के संयुक्त तत्वाधान में सम्पन्न हुआ आयोजन.
June 19, 2024कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बिलासपुर जिले के पुलिस अधीक्षक श्री रजनेश सिंह एवं कार्यक्रम में अध्यक्ष के रूप में कुलपति आचार्य ए.डी.एन. वाजपेई जी हुए सम्मिलित.
समदर्शी न्यूज़ – बिलासपुर : अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय बिलासपुर के आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ एवं जिला पुलिस बिलासपुर के संयुक्त तत्वाधान में नवीन कानून दंड संहिता से न्याय संहिता की ओर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बिलासपुर जिले के पुलिस अधीक्षक श्री रजनेश सिंह थे एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति आचार्य ए.डी.एन. वाजपेई जी ने किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में अपने अध्यक्षीय उदबोधन में कुलपति आचार्य ए.डी.एन. वाजपेई जी ने कहा कि भारत ने वर्षों में सुदृढ़ता प्राप्त की है और प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ा है और आज चंद्रमा पर चंद्रयान भेजने की उपलब्धि हासिल किया है। भारत ने यह उपलब्धि लोकतंत्र को जीवित रखते हुए प्राप्त किया है। भारत संवाद में विश्वास रखता है और राष्ट्रीय हित में न्याय प्रक्रिया में संशोधन होना चाहिए यही समय की मांग है। लोकतंत्र में लोक महत्वपूर्ण होता है, समय के रहते परिवर्तन होना चाहिए 1947 से पहले और 47 के बाद की परिस्थितियाँ अलग-अलग हैं तथा उसमें परिवर्तन की आवश्यकता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पुलिस अधीक्षक श्री रजनीश सिंह ने अपने प्रेजेंटेशन में बताया की 1 जुलाई 2024 से भारतीय दंड संहिता बदलकर भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में तब्दील हो जाएगा। पूर्व में जो भारतीय दंड संहिता में खामियां थी उसमें संशोधन करके इसे प्रतिस्थापित किया गया है, इंडियन पेनल कोड में 23 अध्याय और 511 धाराएं थी अब उनकी जगह 358 धाराएं होगी। औपनिवेशिक शासन के दौरान अंग्रेजों के द्वारा बनाए गए कानून का शासन था जो की औपनिवेशिक साम्राज्य की सुविधा के लिए था, ताकि वे अपने उद्देश्य को प्राप्त कर सकें। इस कानून में कई खामियां थी, जिनको बदलने की आवश्यकता थी और इस आधुनिक लोकतांत्रिक भारत में इसे और अधिक प्रासंगिक बनाने की आवश्यकता है। आपने अपने प्रेजेंटेशन में बताया कि संगठित अपराध को रोकने के लिए कानून में संशोधन किया गया है और कानून को अधिक कारगर बनाया गया है। इसके लिए 111 सेक्सन है पहले के कानून में इसमें लोग लोगों को सजा मिलने की संभावनाएं कम रहती थी। पर नए कानून में ऐसे अपराधी नहीं छूट पाएंगे, साइबर फ्रॉड को रोकने के लिए भी भारतीय न्याय संहिता में व्यवस्था की गई है। आपने आम जनता से अनजाने फोन कॉल को तुरंत रिएक्ट नहीं करने का भी अपील किया। इसमें कानून से अपराधों को रोकने में काफी मदद मिलेगी।
हम इस व्यवस्था से दंड से न्याय की ओर जा रहे हैं। जिसमें भारत के जरूरतमंदों को न्याय मिलेगा और अपराधियों को दंड मिलेगा, इस व्यवस्था से हम ऑनलाइन एफआईआर भी कर सकते हैं और जियो एफआईआर भी कर सकते हैं, इसमें टेरर एक्ट को भी डिफाइन किया गया है, जिसमें भारत की संप्रभुता और एकता को चोट पहुंचाने वालों पर राजद्रोह का केस भी दर्ज होगा। अपराधों के अन्वेषण में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को महत्वपूर्ण साक्ष्य माना गया है और उसकी विश्वसनीयता को स्वीकार किया गया है। माब लीचिंग और चैन स्नैचिंग जैसे अपराध को रोकने के लिए भी प्रावधान किया गया है। इसी तरह बलात्कार से पीड़ित महिला के प्रकरण की सुनवाई में महिला मजिस्ट्रेट का होना अनिवार्य होगा और उसके उपस्थिति में ही सुनवाई होगी इसका प्रावधान किया गया है। और महिला प्रताड़ना शब्द को भी भारतीय संहिता में परिभाषित किया गया है, धारा 210 के तहत लैंगिक समानता के अंतर्गत तृतीय लिंग को भी डिफाइन किया गया है, 12 साल से कम उम्र के बच्ची के साथ क्राइम होता है तो उसमें मौत की सजा का भी प्रावधान किया गया है, 60 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों के लिए 3 वर्ष से कम सजा वाले अपराध हो तो उन्हें डीएसपी रैंक के अधिकारी की अनुमति से जमानत का भी प्रावधान रखा गया है। अपराध की कमाई से अर्जित की गई संपत्ति को कुर्की करने का भी प्रावधान किया गया है और साक्षी सुरक्षा योजना के अंतर्गत गवाहों की सुरक्षा के लिए भी पुलिस अधिकारियों को भी निर्देशित किया गया है। डॉक्टरी मुलाहिजा के लिए डॉक्टर को सात दिवस के अंतर्गत मेडिकल रिपोर्ट पुलिस को देना होगा, इसका भी प्रावधान किया गया है। कुछ अपराधों में सजा के तौर पर कम्युनिटी सर्विस का भी प्रावधान किया गया है। अपराधी से आवश्यकता पड़ने पर वॉइस सेंपलिंग लेने की भी अनुमति पुलिस को दी गई है। इस तरह से ऐसे बहुत सारे प्रावधानों को भारतीय न्याय संहिता में लाकर भारत के न्याय क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम उठाया गया है और इसका लाभ देश की जनता को मिलेगा।
कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम समन्वयक डॉक्टर मनोज सिन्हा ने किया कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉक्टर शैलेंद्र दुबे, छात्र कल्याण अधिष्ठाता डा. एच.एस. होता ,सुमोना भट्टाचार्य, तारबाहर थाना प्रभारी श्री गोपाल सतपथी बिलासपुर जिले के तहसीलदार श्री ओम प्रकाश चंद्रवंशी, विश्वविद्यालय के प्राध्यापक जसवंत पटेल, जितेंद्र यादव, रश्मि यादव, गौरव साहू और विभिन्न महाविद्यालय से आए हुए शोधार्थी, डीपी लॉ कॉलेज विधि के छात्र, विश्वविद्यालय शिक्षक विभाग के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।