विश्व आदिवासी दिवस पर कांग्रेस का हमला, मुख्यमंत्री साय पर लगाए गंभीर आरोप : कांग्रेस का सवाल – आदिवासी मुख्यमंत्री के राज में ही क्यों बढ़ रहे अत्याचार ? प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

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मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का विश्व आदिवासी  महोत्सव में शामिल नहीं होना आदिवासी समाज का अपमान

समदर्शी न्यूज़ रायपुर, 09 अगस्त 2024/ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय इंडोर स्टेडियम में आयोजित विश्व आदिवासी दिवस महोत्सव कार्यक्रम में समय देने के बाद भी शामिल नहीं हुए। ये समस्त आदिवासी समाज का अपमान है, आदिवासी समाज विष्णु देव साय के मुख्यमंत्री बनने पर गर्व महसूस कर रहे थे। लेकिन साय ने समाज की उपेक्षा की है। भाजपा की सरकार बनने 8 महीने में आदिवासी वर्ग के ऊपर अत्याचार, शोषण, उनके जल, जंगल, जमीन पर कब्जा करने का षड्यंत्र और निर्दोष आदिवासियों को नक्सली बताकर मुठभेड़ में मारा गया है। इस पूरे घटनाक्रम के बाद मुख्यमंत्री साय आदिवासी समाज से नजर मिलाने से डर रहे हैं। कांग्रेस ने हमेशा कहा है कि भाजपा सरकार में आदिवासी वर्ग की उपेक्षा होती है और आज वह दिख भी गया है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को पत्र लिखा

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को पत्र लिखा। आज विश्व आदिवासी दिवस की प्रदेश के आदिवासी भाईयों को आदिवासी दिवस की बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं दी। आदिवासी दिवस के दिन आदिवासी से जुड़े मुद्दे को लेकर आदिवासी मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जी को पत्र लिख रहा हूं। इस 8 महीने की सरकार में, आदिवासी मुख्यमंत्री के राज में सबसे ज्यादा आदिवासी प्रताड़ित हुई है। आपको विश्व आदिवासी दिवस की बधाई और शुभकामनायें। जब आप छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने थे पूरे आदिवासी समाज को प्रसन्नता हुई थी कि आदिवासी समाज से प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया है। 8 महीने की आपकी सरकार में आदिवासियों के ऊपर हो रहे अत्याचार, उपेक्षा से आज पूरा समाज आहत है। बस्तर में एक बार फिर से आदिवासी वर्ग नक्सलवादी तथा सुरक्षाबलो के दो पाटों के बीच पीस रहा है। पिछले पांच वर्षों में फर्जी मुठभेड़ में आदिवासियों की हत्यायें रूक गयी थी, आपके सराकर में लगातार फिर से बस्तर के आदिवासियों के ऊपर फर्जी मुठभेड़, फर्जी सरेंडर, फर्जी नक्सलियों के नाम से जेल भेजने का काम और निर्दोष आदिवासियों के ऊपर लगातार अत्याचार कर रही है। मुख्यमंत्री जी बेहद दुखदायी है कि पिछले 8 माह में राज्य में डायरिया और मलेरिया से आदिवासियों की मौते हो रही है। संरक्षित जनजाति बैगा और पहाड़ी कोरवा की समुदाय के अनेकों लोगों की मौत मलेरिया, डायरिया से हुई है। मन व्यथित हो जाता है जब आपकी सरकार और पूरा तंत्र इन मौतों को रोकने ठोस उपाय करने के बजाय मौतों को नकारने में लग जाता है तब ऐसा महसूस ही नहीं होता कि हमारे ही समुदाय का व्यक्ति सरकार का मुखिया है। मुख्यमंत्री जी आपके राज में बस्तर का आदिवासी रायपुर में भी सुरक्षित नहीं है। राजधानी में आदिवासी बच्चे को पीट-पीटकर हत्या कर दी जाती है। बस्तर के लोहंडीगुड़ा में रहने वाला 21 साल का मासूम बच्चा मंगल मुराया का कसूर क्या था? उसने पढ़ाई करने नया रायपुर के एक निजी महाविद्यालय में प्रवेश लिया था। उसका सिर्फ इतना ही कसूर था कि वह मासूम आदिवासी था। उसने मासूमियत से रास्ता पूछा था, लिफ्ट मांगा था, उसको सरेआम गाड़ी में बैठा कर ले जाया गया पीट-पीट कर उसका हत्या कर दी गयी। उसका एटीएम कार्ड छिन भी लिया गया। आदिवासियों को 32 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिलाने छत्तीसगढ़ विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित आरक्षण विधेयक पिछले डेढ़ वर्षों से राजभवन में लंबित है आप उस पर भी मौन है। आपकी सरकार ने शहीद महेन्द्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक बीमा योजना भी दुर्भावनापूर्वक बंद कर दिया। आपकी सरकार ने इसका कोई विकल्प भी नहीं दिया, तेंदूपत्ता श्रमिक आज बीमाहीन है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के द्वारा चलाये जा रहे सुपोषण अभियान को आपने दुर्भावनापूर्वक बंद कर दिया जिसका सर्वाधिक नुकसान आदिवासी बच्चों और महिलाओं को उठाना पड़ रहा है। आपके मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद जब हसदेव जंगल की कटाई शुरू हो गयी तो यह आदिवासी समाज के लिये बहुत ही निराशाजनक था। एक आदिवासी मुख्यमंत्री अपने जंगल, अपने लोगों, अपनी परंपरा की रक्षा नहीं कर पा रहा। विश्व आदिवासी दिवस के दिन आपके शासनकाल में कोई शासकीय कार्यक्रम नहीं होना यह बताता है कि आपकी नाक के नीचे आदिवासी अस्मिता को दबाने का षड़यंत्र सफल हो रहा है। इस पत्र को लिखने की मेरी मंशा मात्र इतनी है कि इस आदिवासी बाहुल प्रदेश का आदिवासी अपने आप को असहाय महसूस कर रहा है। कहने को तो प्रदेश का मुखिया आदिवासी है लेकिन वह आदिवासियों को ही सुरक्षित नहीं रख पा रहा। आपके राज में आदिवासी समाज अपने को ठगा महसूस कर रहा है।

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