तीतरमारा संगम तट से सात किलोमीटर कांवड़-यात्रा कर श्रीमती कौशल्या साय ने श्रीफलेश्वर महादेव का किया जलाभिषेक : देश और प्रदेशवासियों की सुख-समृध्दि और विकास का मांगा आर्शीवाद.
August 16, 2024वर्षों से चली आ रही भगवान शिव के जलाभिषेक की परम्परा.
हजारों की संख्या में जुटे श्रद्धालु, भगवान भोलेनाथ के जयकारे से गूंजा संगम तट
समदर्शी न्यूज़ जशपुर/कुनकुरी, 16 अगस्त 2024 / तीतरमारा संगम नदी तट से श्रीफलेश्वरनाथ मंदिर बगिया तक भव्य कांवड़-यात्रा का आयोजन किया गया। सात किलोमीटर लंबी इस कांवड़-यात्रा में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय सहित हजारों की संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित हुए। संगम तट से नदी का पवित्र जल कलश में लेकर श्रीमती कौशल्या साय रिमझिम वर्षा के बीच श्रद्धालुओं के साथ पदयात्रा कर श्रीफलेश्वरनाथ मंदिर पहुंची और भगवान शिव का जलाभिषेक कर देश और प्रदेशवासियों की सुख–समृध्दि और विकास का आर्शीवाद मांगा। श्रीमती साय ने बताया कि सावन के पवित्र मास के दौरान श्रीफलेश्वरनाथ महादेव के जलाभिषेक करने की परम्परा सालों से अनवरत चली आ रही है। इस परम्परा का निर्वाहन करते हुए आयोजन किया गया है। उन्होनें बताया कि कांवड़-यात्रा की यह परम्परा स्व:स्फूर्त है। इसके लिए दिन का निर्धारण भी सबकी सहमति से किया जाता है।
कांवड़-यात्रा में शामिल होने के लिए ईब और मैनी नदी के संगम पर सुबह से ही श्रद्धालु कलश और कांवड़ लेकर जुटने लगे थे। रूक-रूक कर हो रही वर्षा की परवाह ना करते हुए भगवा वस्त्र धारण किये हुए हजारों की संख्या में महिला-पुरूष और बच्चे संगम तट पर पूरे उत्साह के साथ जुटे हुए थे। संगम तट भगवान शिव और माता पार्वती के जयकारे से गूंजायमान हो रहा था। भक्तों के साथ श्रीमती कौशल्या साय ने संगम तट से नदी का पवित्र जल कलश में लेकर नंगे पांव पैदल यात्रा करते हुए श्रीफलेश्वर महादेव मंदिर पहुंची। यहां विधि-विधान से वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भगवान आशुतोष की पूजा अर्चना कर जलाभिषेक किया।
जलाभिषेक के बाद मंदिर में विशाल भंडारा का आयोजन किया गया था। इस भंडारे में हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। श्रीमती कौशल्या साय ने भंडारा में पहुंचे श्रद्धालुओं को प्रसाद का वितरण किया। उल्लेखनीय है कि बगिया में मैनी नदी के तट में स्थित श्रीफलेश्वरनाथ शिव मंदिर, शिव भक्तों के आस्था का केन्द्र है। यहां अभी कुछ ही दिनों पहले 51 हजार पार्थिव शिवलिंग के साथ शिव-कथा का आयोजन किया गया था। इस महा आयोजन में भी जिले सहित आसपास के पड़ोसी राज्य झारखंड और ओडिशा से श्रद्धालु सम्मिलित हुए थे।