कच्चे रास्ते को अलविदा, कमार जनजाति के लिए खुशियों की सौगात, विकास की नई किरण

कच्चे रास्ते को अलविदा, कमार जनजाति के लिए खुशियों की सौगात, विकास की नई किरण

August 22, 2024 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज़ रायपुर, 22 अगस्त/ छत्तीसगढ़ राज्य के गरियाबंद जिले में अकलवारा और कमारपारा के आस-पास के इलाकों में निवासरत कमार विशेष पिछड़ी जनजाति के लोग पक्की सड़क के निर्माण से बेहद खुश हैं। अब उन्हें ब्लॉक मुख्यालय छुरा और जिला मुख्यालय गरियाबंद जाने-आने में होने वाली दिक्कतों से निजात मिल जाएगी।

छुरा विकासखण्ड के गांव अकलवारा से कमारपारा तक का कच्चा कीचड़ युक्त मार्ग अब प्रधानमंत्री जनमन योजना से मिली स्वीकृति के चलते पक्की डामर सड़क में तब्दील हो रहा है। इस सड़क का निर्माण तेजी से जारी है। लगभग 1.125 किलोमीटर लंबी सड़क का जीएसबी कार्य और इसके मध्य तीन पुलियों का निर्माण पूरा कर लिया गया है। अकलवारा और कमारपारा का क्षेत्र विशेष पिछड़ी कमार जनजाति बाहुल्य है। पक्की सड़क न होने से इस इलाके में आवागमन एवं बुनियादी सुविधाओं को पहुंचाना कठिन था। पक्की सड़क का निर्माण शुरू हो जाने से एम्बुलेंस, उज्ज्वला योजना के गैस की गाड़िया, मोबाइल मेडिकल यूनिट और मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना की गाड़ियां यहां पहुंचने लगी हैं।

गौरतलब है कि पीएम जनमन योजना और छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं के समन्वय से राज्य में विशेष पिछड़ी जनजाति कमार, अबूझमाड़िया, बैगा, बिरहोर, पहाड़ी कोरवा बाहुल्य इलाकों में बुनियादी सुविधाओं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, आवास, पीडीएस खाद्यान्न, बिजली, स्कूल, आंगनबाड़ी, सड़क-नाली आदि का निर्माण तेजी से कराया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल से पिछड़ी जनजातियों को शासन की कल्याणकारी योजनाओं एवं कार्यक्रमों से जोड़कर उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। अकलवारा से कमारपारा सड़क बन जाने से क्षेत्र के लगभग डेढ़ हजार लोगों को आवागमन के लिए बारहमासी पक्की सड़क की सुविधा मिल जाएगी।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ के गरियाबंद ज़िले में कमार जनजाति के 3,350 परिवार रहते हैं। इनकी आबादी 14,285 है। कम जनसंख्या, कम साक्षरता दर, कृषि की आदिम तकनीक और आर्थिक पिछड़ेपन के कारण कमार जनजाति को विशेष पिछड़ी जनजाति घोषित किया गया है। कमार जनजाति का मुख्य भोजन चावल या कोदो का पन्ना, उबला चावल, बेलिया, अरहर, मूंग, पीली दाल, काला चना तथा मौसमी सब्जियां, मांस, जंगली साग आदि हैं। छत्तीसगढ़ में कमार जनजाति की सर्वाधिक जनसंख्या गरियाबंद, मैनपुर, छुरा, नगरी, मगरलोड,महासमुंद एवं बागबाहरा विकासखंडो के छोटे-छोटे ग्रामों में निवासरत हैं। कमार जनजाति के लोग अपनी उत्पत्ति मैनपुर विकासखंड के देव डोगर गांव से मानते हैं और कमारी भाषा और छत्तीसगढ़ी भाषा बोलते हैं।