केंद्रीय इस्पात एवं भारी उद्योग मंत्री के छत्तीसगढ़ दौरे को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज का सवाल, नगरनार के विनिवेशीकरण पर क्या है सरकार का स्टैंड? माइनिंग और उद्योग में छत्तीसगढ़ से भेदभाव क्यों?
September 15, 202480 प्रतिशत राजस्व छत्तीसगढ़ से प्राप्त करने वाले एनएमडीसी का मुख्यालय हैदराबाद से रायपुर कब लाया जाएगा?
रॉयल्टी में हेराफेरी कब बंद होगी? उत्खनित खनिजों की मात्रा और गुणवत्ता, रायल्टी की गणना कब पारदर्शी होगी?
समदर्शी न्यूज़ रायपुर 15 सितंबर/ केंद्रीय इस्पात एवं भारी उद्योग मंत्री एचडी कुमार स्वामी के दो दिवसीय छत्तीसगढ़ प्रवास पर सवाल उठाते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान देश के प्रधानमंत्री ने बस्तर सहित छत्तीसगढ़ की जनता से यह वादा किया था कि एनएमडीसी का नगरनार प्लांट निजी हाथों में नहीं बेचा जाएगा, वर्तमान में केंद्र सरकार के विनिवेशीकरण के वेबसाइट “दीपम” पर एनएमडीसी के नगरनार प्लांट को बेचने की प्रक्रिया तेजी से संपन्न की जा रही है, केंद्रीय इस्पात मंत्री एचडी कुमार स्वामी को एनएमडीसी नगरनार प्लांट के विनिवेशीकरण के संदर्भ में भाजपा सरकार का स्टैंड स्पष्ट करना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार के फोकस में केवल अपने चंद पूंजीपति मित्रों का हित है, भाजपा की सरकार में छत्तीसगढ़ की लगातार उपेक्षा की जा रही है। लोकसभा में छत्तीसगढ़ से भाजपा के 10 सांसद हैं, लेकीन छत्तीसगढ़ की लगातार उपेक्षा होने के बाबजूद दलीय चाटुकारिता में भाजपा के सांसद मौन हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि मध्यभारत में लौह अयस्क के उत्खनन का काम करने वाली अग्रणी नवरत्न कंपनी एनएमडीसी एक सरकारी उपक्रम है, जिसके 6 बड़े माइंस छत्तीसगढ़ में संचालित है। बचेली के अंतर्गत 5 नंबर, 10 नंबर और 11-ए नंबर की खदानें तथा किरंदुल के अंतर्गत 14 नंबर ,11 सी और 11 बी वर्तमान में कार्यशील हैं। एनएमडीसी की एक खदान कर्नाटक में संचालित है। उड़ीसा और आंध्र में एनएमडीसी के लोहअयस्क का कोई भी खदान वर्तमान में नहीं है। एनएमडीसी का कुल वार्षिक टर्नओवर लगभग 22000 करोड़ का है जिसमें से 80 प्रतिशत राजस्व एनएमडीसी को केवल छत्तीसगढ़ से ही प्राप्त होता है, लेकिन अब भी एनएमडीसी का मुख्यालय तेलंगाना के हैदराबाद में है। मुख्यालय दूसरे राज्यों में होने के कारण कॉरपोरेट टैक्स और जीएसटी में राज्य की हिस्सेदारी का भाग, जो छत्तीसगढ़ को मिलना चाहिए, वह छत्तीसगढ़ के हक का पैसा अन्य राज्यों को मिल रहा है। पूर्व में एनएमडीसी के मुख्यालय को हैदराबाद से रायपुर स्थानांतरित करने का विधानसभा का सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव केंद्र सरकार को अनुशंसा हेतु प्रेषित किया जा चुका है, केंद्रीय इस्पात और भारीउद्योग मंत्री यह बताएं कि एनएमडीसी का मुख्यालय हैदराबाद से रायपुर कब स्थानांतरित होगा?
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि छत्तीसगढ़ का आयरनओर, छत्तीसगढ़ का कोयला, छत्तीसगढ़ से बॉक्साइड, टीन सहित तमाम खनिजों का दोहन केंद्र की सरकार और उनके सरकारी उपक्रम करते हैं, लेकिन जब छत्तीसगढ़ को उनके हक और अधिकार देने की बारी आती है तो भाजपा की सरकार में हर छत्तीसगढ़ की बार उपेक्षा होती है। कोल की रॉयल्टी में पेनल्टी के छत्तीसगढ़ का हिस्सा पिछले 7 साल से केंद्र के पास लंबित है। आयरनओर की रॉयल्टी में पहले प्रोडक्शन अर्थात खुदाई और संग्रहण पर रॉयल्टी मिलती थी, खनन कंपनियों को मुनाफा पहुंचाने के लिए अब केंद्र की मोदी सरकार ने विक्रय पर रॉयल्टी देने की व्यवस्था बनाई है, जिससे छत्तीसगढ़ को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि एनएमडीसी में स्थानीय लोगों की भर्ती पिछले 10 साल से लगभग बंद है। छत्तीसगढ़ से ही अपने कुल राजस्व का अधिसंख्यक हिस्सा प्राप्त करने वाली कंपनी एनएमडीसी का मुख्यालय हैदराबाद होने की वजह से रोजगार के मामले में भी छत्तीसगढ़ के स्थानीय युवाओं के हितों की उपेक्षा हो रही है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि आयरन ओर पर रॉयल्टी, गुणवत्ता और ग्रेड के आधार पर तय होती है, लेकिन पिछले कई सालों से स्थानीय प्रशासन, माइनिंग विभाग और जियोलॉजी विभाग की मिलीभगत से आयरन ओर में आयरन की मात्रा और गुणवत्ता में रॉयल्टी के निर्धारण और भुगतान में हेर-फेर करके सरकार को करोड़ों का चूना लगाया जा रहा है, इससे केंद्र के साथ ही छत्तीसगढ़ को भी प्राप्त होने वाले राजस्व में नुकसान उठाना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ में एनएमडीसी को आबंटित खदानों में संचलित खनन गतिविधि, ग्रेडिंग की प्रक्रिया, विवरण, रिकॉर्ड, कुल मात्रा और गुणवत्ता, रायल्टी की गणना सहित तमाम अनियमितताओं पर पारदर्शिता पूर्वक जांच करके तत्काल कार्यवाही होनी चाहिए।